आज सुबह सवेरे में प्रकाशित |
तुम करती ही क्या हो...?
एक औरत दूसरी से तुम क्या करती हो...? मैं एक गृहणी हूँ. हाँ वो तो ठीक है,
पर तुम करती क्या हो.? ‘आई मीन यू नो’...? तुम घर में कैसे रह लेती हो यार, मेरा तो जी घबराता है, बुखार आजाता है. अच्छा, तो तुम क्या जंगल में रहती हो.? व्हाट रबिश... मेरे कहने का मतलब था कि "घर के काम एंड ऑल" ओह.! तो उसमें क्या है, तुम जैसों के
लिए घर को घर बनाते है और क्या. अरे घर में काम ही क्या होता है.आजकल तो सभी
घरों में अधिकतर झाड़ू पोंछे और बर्तन के लिए बाई लगी होती है. बस सिर्फ खाना ही तो
बनाना होता है और थोड़ी बहुत साफ सफाई, बस और तुम फ्री.अच्छा...! तुम्हें कैसे पता कि उसके बाद हम फ्री..? तो और
क्या बढ़िया खाओ और सौ जाओ चैन की नींद. ओह...! तो बच्चों को लाना, उनके आने के बाद उन्हें समय से खिलाना, पढ़ना,
उनके साथ समय बिताना, खेलना और समय से उन्हें
सुलाना. यह सब तो अपने आप ही हो जाता है. है ना...! और कपडे भी खुद ही अपने आप चेक
होकर मशीन में टेलीपोर्ट होकर खुद ही धुल जाते हैं और पता है कमाल की बात तो यह है
कि खुद ही अपने आप बाहर जाके सूखकर, छटकर, प्रेस के लिए भी अपने आप ही चले जाते है. नहीं....! बताओ...! कित्ता
ज़माना बदल गया है भई... मुझे तो सही में अब तक पाता ही नहीं था. एक कुटिल मुस्कान
के साथ, नहीं ...?
खैर, मेरी छोड़ो तुम क्या करती हो...? मैं एक कंपनी में
मैंजर हूँ. हो.....! मतलब तुम कुछ भी नहीं करती...? तुम्हारे
लिए सब दूसरे ही कर के देते हैं. वाह...! क्या मतलब है तुम्हारा ? पूरी टीम को मैंनेज करती हूँ मैं, किसी से काम
करवाना आसान नहीं होता. कभी करा के तो देखो, तब पता चले.
कितना मुश्किल होता है इतने सारे लोगों को मैंनेज करना...ओह...! बाईयों से काम
करना तो बहुत आसान होता है...वो भी जब, जब वो बहुत ही कम पढ़ी
लिखी होती है. मगर दुनियादारी बखूबी जानती है और बच्चे संभालाना, वो तो चुटकीयों का काम है. क्योंकि वो तो नासमझ होते है, तो दिन भर सवाल करते हैं... और उनके सभी सवालों का सही सही जवाब देना
तो....दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती “यू नौ” कुछ भी नहीं रखा है इसमें, नहीं...! और तुम तो पढ़े लिखे बहुत ही समझदार लोगों को संभालती हो...सही
है. तो अब तुम मुझे बताओ कि तुम करती ही क्या हो...?