tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post3198441458211272532..comments2024-01-26T14:19:58.834+05:30Comments on मेरे अनुभव (Mere Anubhav): आखिर क्यूँ ???Pallavi saxenahttp://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-91953748749620202322014-01-04T21:46:37.000+05:302014-01-04T21:46:37.000+05:30बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...Kailash Sharmahttp://sharmakailashc.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-65704435338836764402014-01-04T23:51:12.000+05:302014-01-04T23:51:12.000+05:30सोशल साइट पर गंभीर लेखन कम ही पढ़ने-देखने को मिलत...सोशल साइट पर गंभीर लेखन कम ही पढ़ने-देखने को मिलता है। पल्लवी उन चंद लेखकों में से हैं जिनका लिखा मैं गंभीरता से पढ़ता हूं। अपने संवेदनशील यात्रावृत्तांतों से पल्लवी ने कई लोगों के दिलों में जगह बनाई है। इस लेख ने न सिर्फ मुझे कुरेदा बल्कि यह हर संवेदनशील व्यक्ति को झिंझोड़ कर रख देगा, ऐसा मेरा विश्वास है। महिलाओं पर तेजाबी हमले कल्पनामात्र से ही सिहरा देते हैं। ये विकृत मानसिकता की कोख की उपज हैं।<br> इस भावप्रवण लेख के लिए धन्यवाद पल्लवी। <br>कुमा अतुलkumar atulnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-84209186304350951742014-01-05T08:31:01.000+05:302014-01-05T08:31:01.000+05:30यह कैसी पशुता प्रतिबिम्बितयह कैसी पशुता प्रतिबिम्बितप्रवीण पाण्डेयhttp://Www.Praveenpandeypp.Comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-40684847568035798142014-01-05T08:43:10.000+05:302014-01-05T08:43:10.000+05:30समाज में एक तबका संवेदनहीन हो गए हैं और शासक वर्ग ...समाज में एक तबका संवेदनहीन हो गए हैं और शासक वर्ग बेपरवाह हो गए हैं ...आगे क्या होगा ? पता नहीं ....<br>नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो | <br><br>नई पोस्ट <a href="http://www.kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post.html#links" rel="nofollow"> सर्दी का मौसम!</a><br>नई पोस्ट <a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2014/01/blog-post.html#links" rel="nofollow"> विचित्र प्रकृति</a>कालीपद "प्रसाद "http://blogspot.in.noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-50854306750149661502014-01-05T08:49:44.000+05:302014-01-05T08:49:44.000+05:30पल्लवी जी, आज के माता-पिता अपनी संतान के केरियर क...पल्लवी जी, आज के माता-पिता अपनी संतान के केरियर की चिन्ता करते हैं लेकिन चरित्र की नहीं। यह हमारा उत्तर दायित्व है कि हम संतानों में दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करें। तेजाब फेंकने जैसी घटनाएं अपराधी मानसिकता वाले करते हैं और इन्हें भी माता-पिता ही बिगाड़ते हैं। हमारा कानून तो उसका पालन तो सख्त होना ही चाहिए लेकिन साथ में समाज का दायित्व भी बनता है कि वह युवा पीढ़ी के चरित्र पर निगाह भी रखे।ajit guptahttp://www.sahityakar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-29360070880158153452014-01-05T12:22:40.000+05:302014-01-05T12:22:40.000+05:30इस विषय पर पहले भी बहुत सी चर्चाएँ और परिचर्चा आयो...इस विषय पर पहले भी बहुत सी चर्चाएँ और परिचर्चा आयोजित की जाती रही हैं... महिलाओं के प्रति घर के अन्दर और बाहर होने वाले अत्याचार एक ज्वलंत समस्या है.. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी हल कोई दिखाई नहीं देता... ऐसा करने वाले पुरुषों के नज़रिए से देखें तो यह एक मानसिक रोग है... "अगर तुम मेरी नहीं हुई तो किसी की नहीं हो सकती" वाली मानसिकता, स्वयम को तिरस्कृत किए जाने से लगने वाली अहम को ठेस.. ये सब उसी मानसिकता के कारण हैं!!<br>अच्छा आलेख!!सलिल वर्माhttp://chalaabihari.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-39058066876836724002014-01-05T16:33:21.000+05:302014-01-05T16:33:21.000+05:30परेशानी के रूप में यह बहुत बड़ा विकार आ गया है हिन्...परेशानी के रूप में यह बहुत बड़ा विकार आ गया है हिन्दुस्तानी समाज में। इसके होने की वजहें भी मिली-जुली हैं। कुछ वजहें सेक्स, खुलापन, विज्ञापन, समलैंगिक जैसे वेश में बाहर से आईं तो कुछ हमारे समाज की सड़ांध से ही जन्मी हैं। सवाल ये है कि पीड़ितवर्ग और उनके समर्थक अपनी जिस शासन-व्यवस्था से इसकी रोकथाम की गुहार लगाएंगे, वह कहीं-न-कहीं खुद जब इसमें शामिल हो तो वह समाधान कैसे कर सकता है। समस्या का अच्छा विश्लेषण किया गया है। ज्यादा सराहनीय यह है कि लेखिका ने पीड़ितों के रूप में खुद को रख कर लेखांकन किया है समस्या का।विकेश कुमार बडोलाhttp://chandkhem.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-85459237353392491632014-01-05T16:35:59.000+05:302014-01-05T16:35:59.000+05:30सारगर्भित, सटीक एवँ सार्थक आलेख पल्लवी जी ! ऐसे घृ...सारगर्भित, सटीक एवँ सार्थक आलेख पल्लवी जी ! ऐसे घृणित कार्य नकारात्मक सोच रखने वाले अपराधी करते हैं जिन्हें ना तो माता पिता से अच्छे संस्कार मिलते हैं ना ही स्कूल कॉलेजों में मिली शिक्षा को वे सही अर्थों में ग्रहण करने की क्षमता और योग्यता रखते हैं ! कदाचित ऐसी मानसिकता वाले लोगों के घर का वातावरण भी आपराधिक और शिक्षा दीक्षा दोषपूर्ण होती है ! आप से सहमत हूँ कि इस तरह के अपराधों की शिकार हुई लड़कियों की सहायता और मनोबल को बढ़ाने के लिये ठोस कदम उठाने की सख्त ज़रूरत है !साधना वैदhttp://sudhinama.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-55045712905010341602014-01-05T16:39:37.000+05:302014-01-05T16:39:37.000+05:30सार गर्भित ... सोचने को विवश करता आलेख ... हमारे स...सार गर्भित ... सोचने को विवश करता आलेख ... <br>हमारे समाज में नारी के प्रति कुछ ज्यादा ही अत्याचार होते हैं ... शायद क़ानून का ढीलापन, पुरुष प्रवृत या कुछ भी कहो ... पर कई नारियों का सतास प्रयास ... मस्तक नत कर जाता है ...दिगंबरhttp://swapnmere.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-32286762126781383862014-01-05T17:09:11.000+05:302014-01-05T17:09:11.000+05:30अफसोसजनक हैं ये वीभत्स हादसे ..... अमानवीयता की हद...अफसोसजनक हैं ये वीभत्स हादसे ..... अमानवीयता की हद पार करता व्यवहारDr. Monica Sharrmahttp://meri-parwaz.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-85461753291019664872014-01-05T19:25:43.000+05:302014-01-05T19:25:43.000+05:30सटीक और सारगर्भित आलेख…सटीक और सारगर्भित आलेख…maheshwari.kanerinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-50958130570935268942014-01-05T20:24:04.000+05:302014-01-05T20:24:04.000+05:30सारगर्भित पोस्ट |आभारसारगर्भित पोस्ट |आभारजयकृष्ण राय तुषारnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-51158961352133540972014-01-05T20:44:34.000+05:302014-01-05T20:44:34.000+05:30आदरनीय पल्लवी जी आप बहुत उम्दा सोच और सारगर्भित ढं...आदरनीय पल्लवी जी आप बहुत उम्दा सोच और सारगर्भित ढंग से लिखती हैं आपको पढ़ना काफी अच्छा लगता है |आजकल चैनल्स बहुत ही बिकाऊ टाईप सीरियल बना रहे हैं न वहां अच्छे लेखक हैं न अच्छी सोच के डायरेक्टर |महिलाओं की छवि और अधिक बाजारू बना रहे हैं ये सीरियल |विज्ञानं और तकनीकी युग में भी इनके बस कुछ घिसे पिटे विषय ही हैं |जयकृष्ण राय तुषारnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-57460880840958927472014-01-05T21:26:12.000+05:302014-01-05T21:26:12.000+05:30samyik aur ati mahatvpoorn lekh .....manavta ki ra...samyik aur ati mahatvpoorn lekh .....manavta ki raksha honi chahiye .naveen mani tripathihttp://google.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-74181629969951510482014-01-06T07:58:02.000+05:302014-01-06T07:58:02.000+05:30तेजाब के बदले तेजाब हो तो शायद समझ में अाए ।तेजाब के बदले तेजाब हो तो शायद समझ में अाए ।amrita tanmayhttp://amritatanmay.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-48514295197966203732014-01-07T06:53:25.000+05:302014-01-07T06:53:25.000+05:30काश कभी ऐसे मानसिक विकारों और पशुगुण व्याप्त लोगों...काश कभी ऐसे मानसिक विकारों और पशुगुण व्याप्त लोगों को समय रहते रोक लेने के तरीके आ जाएँ.निहारnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-13837820042459090172014-01-07T21:14:36.000+05:302014-01-07T21:14:36.000+05:30पल्लवी ! अच्छा तार्किक विवेचन किया है ,पर मुझे इस ...पल्लवी ! अच्छा तार्किक विवेचन किया है ,पर मुझे इस समस्या का समाधान सिर्फ यही लगता है कि स्त्री को एक स्वंतत्र व्यक्तित्व समझा जाये और उसके प्रति एक सकारात्मक रवैया अपनाया जाये ....... सस्नेह !nivedita srivastavhttp://nivedita-myspace.blogspot.in/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-35445044631931416822014-01-08T13:05:45.000+05:302014-01-08T13:05:45.000+05:30वाह जी वाहवाह जी वाहGhafilhttp://cbmghafil.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-34858140863382932372014-01-08T21:56:52.000+05:302014-01-08T21:56:52.000+05:30आवश्यकता है हमें स्त्री के प्रति अपनी सोच में बदला...आवश्यकता है हमें स्त्री के प्रति अपनी सोच में बदलाव की. परिवार और समाज का दायित्व है कि वह बच्चों में नैतिक भावनाओं और स्त्री के प्रति सम्मान की सोच विकसित करे...बहुत विचारणीय और सारगर्भित आलेख...Kailash Sharmahttp://sharmakailashc.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-77261754108264374442014-01-10T13:42:31.000+05:302014-01-10T13:42:31.000+05:30आपने जो डर महसूस किया वो कितनी लड़कियों पर गुजर चुक...आपने जो डर महसूस किया वो कितनी लड़कियों पर गुजर चुका है लेकिन आपकी तरह मै भी उन लड़कियों की हिम्मत को सलाम करती हूँ .Dr. sandhya tiwarinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-85245982405817237392014-01-11T18:07:22.000+05:302014-01-11T18:07:22.000+05:30..... सटीक आलेख पल्लवी जी..... सटीक आलेख पल्लवी जीसंजय भास्करnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-86839507386208747192014-01-16T19:22:59.000+05:302014-01-16T19:22:59.000+05:30samajik visangati pr apka yah lekh karara prhar ka...samajik visangati pr apka yah lekh karara prhar kar raha hai .na jane kab desh ki kanoon vyavsth nayay kr sakegi ....badhaiNaveen Mani Tripathihttp://google.comnoreply@blogger.com