tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post3350224912348815613..comments2024-01-26T14:19:58.834+05:30Comments on मेरे अनुभव (Mere Anubhav): वार्तालापPallavi saxenahttp://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-90994716618958442732012-11-24T21:17:04.000+05:302012-11-24T21:17:04.000+05:30मन का विश्वास दिखता है ईश्वर के रूप में..मन का विश्वास दिखता है ईश्वर के रूप में..प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-75641329593261666002012-11-24T21:26:19.000+05:302012-11-24T21:26:19.000+05:30अपनी अपनी श्रद्धा है,मानो तो भगवान् नही तो पत्थर,,...अपनी अपनी श्रद्धा है,मानो तो भगवान् नही तो पत्थर,,,<br><br>recent post <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/11/blog-post_22.html#links" rel="nofollow">: प्यार न भूले,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरियाhttp://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-34787373123531716422012-11-24T21:30:43.000+05:302012-11-24T21:30:43.000+05:30MOHOTARMAN AAP NEY JO LIKHA BOHOTHI ACHHA LIKHA HA...MOHOTARMAN AAP NEY JO LIKHA BOHOTHI ACHHA LIKHA HAI AAP NE DHARM AUR ISHWAR KO JO SAMAJH NE KI KOSHISH KI HAI WO SARAHANE KE KABIL HAI <br>PAR EK BAAT JO MAINE SAMJHI HAI WO YE HAI KI KISI BHI INSAN KI KAHI HUI BAAT TO GALAT HOSAKTI HAI PAR ISHWAR KI KAHI BAAT HAR ZAMANE MAIN HIN SAHI SABIT HOTI HAI CHA HE WO NAYA ZAMANA HO YA PURANE ZAMANE KA DOOR HO ISHWAR KI KAHI BAAT TO HAR JAGANH AUR HAR DOOR MAIN SAHI SABIT HOTI HAI AUR MAIN USI BAAT KO AUR DHARM KO MANTA HUN<br>MOHOTRMAN AAP JESE MOTBAR AUR PUR KHULUS AUR BEHTRIN LOGON SEY MILNA AUR BAAT KARNA AUR AAP LONON KEY SAWALON KEY JAWAB DEYNA INSAB KAMUN SEY HAUM ARELIYE BADI KHUSHI MEHESUS HOTI HAI <br>BABA MOHAMMAD SALIM SHAH<br> JAYPUR -302001<br>-RAJASTHAN (INDIA)<br>M:09314520103 9309283240 <br>email:-babamohdsalimshaha@gmail.com<br> babamohdsalimshaha@yahoo.in<br> http://roohaniilaj.wordpress.com/ <br>http://roohaniilaj.wordpress. com<br><br><br><br>BABA MOHAD SALIM SHAHAhttp://www.blogger.com/profile/14991032380182629112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-65625409861125985922012-11-24T22:24:22.000+05:302012-11-24T22:24:22.000+05:30बहुत सुन्दर और सहज ढंग से आपने अपने मन की बात पाठक...बहुत सुन्दर और सहज ढंग से आपने अपने मन की बात पाठकों से कह दिया |अच्छी पोस्ट |जयकृष्ण राय तुषारhttp://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-35519131205877730502012-11-25T00:49:52.000+05:302012-11-25T00:49:52.000+05:30एकदम सही कह रही हैं पल्लवी आप .वैसे भी अगर हम इनमे...एकदम सही कह रही हैं पल्लवी आप .वैसे भी अगर हम इनमे उलझते हैं तो उलझकर ही रह जाते हैं .फिर जब ये कहा जाता है किप्रभु श्रृद्धा के भूखे हैं तो और कुछ करने का सवाल ही कहाँ रह जाता है .<a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com/" rel="nofollow">नारी के अकेलेपन से पुरुष का अकेलापन ज्यादा घातक</a>शालिनी कौशिकhttp://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-47806097161942722392012-11-25T07:37:03.000+05:302012-11-25T07:37:03.000+05:30सही कहा है . फिल्म ओम एम् जी का एक डायलोग याद आ रह...सही कहा है . फिल्म ओम एम् जी का एक डायलोग याद आ रहा है - गौड फियरिंग नहीं , गौड लविंग होना चाहिए. डरता वही है जो गलत काम करता है.डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-7422588883212592342012-11-25T10:23:14.000+05:302012-11-25T10:23:14.000+05:30विवेकानन्द ने अपने जीवन में केवल यही सिद्ध करने क...विवेकानन्द ने अपने जीवन में केवल यही सिद्ध करने का प्रयास किया था कि भगवान से डरना नहीं चाहिए अपितु प्रेम करना चाहिए। भारतीय दर्शन में भी डर का भाव बहुत बाद में आया है, पहले तो केवल वही था जो सृष्टि का सत्य है।smt. Ajit Guptahttp://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-29715029017861346902012-11-25T19:35:43.000+05:302012-11-25T19:35:43.000+05:30तर्क और आस्था, दो धुरविरोधी अवधारणाएं हैंतर्क और आस्था, दो धुरविरोधी अवधारणाएं हैंकाजल कुमार Kajal Kumarhttp://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-57617656105938899712012-11-25T23:06:50.000+05:302012-11-25T23:06:50.000+05:30भगवान भाव का भूखा है ना कि पूजा सामग्री का।भगवान भाव का भूखा है ना कि पूजा सामग्री का।संदीप पवाँर (Jatdevta)http://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-70275563160641933222012-11-25T23:21:07.000+05:302012-11-25T23:21:07.000+05:30प्रैक्टिकल बात।प्रैक्टिकल बात।<br>संजय @ मो सम कौन ?http://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-90449812193573553622012-11-26T12:58:44.000+05:302012-11-26T12:58:44.000+05:30मानव जाति की वास्तविक विडम्बनायह बात बिल्कुल सही ह...<b>मानव जाति की वास्तविक विडम्बना</b><br>यह बात बिल्कुल सही है कि बहुत सी बातें मौलवी साहिबान और पंडित जी अपने विवेक से बताते हैं और कर्ह बार ऐसा भी होता है कि धर्म की गददी पर ऐसे स्वार्थी तत्व बैठ जाते हैं जिनका मक़सद परोकपकार और ज्ञान का प्रचार नहीं होता बल्कि शोषण होता है। आज ऐसे तत्व ज़्यादा हैं लेकिन धार्मिक जन भी हैं।<br>धर्म जीवन की गुणवत्ता बढ़ाता है, जीने की राह दिखाता है। सबको बराबरी और प्रेम की शिक्षा देता है। ईश्वर सबको आनंदित देखना चाहता है। इसीलिए वह मनुष्य का मार्गदर्शन करता है। <br>उसके मार्गदर्शन का नाम ही ‘धर्म‘ है, <br>अपनी तरफ़ से मनुष्य जो कुछ चलाता है, वह दर्शन है।<br>दुनिया में दर्शन बहुत से हैं जबकि धर्म केवल एक है और सदा से बस एक ही है।<br>यही एक धर्म कल्याणकारी है।<br>लोग अपने स्वार्थ में पड़कर एक धर्म के अनुसार व्यवहार न करके अपने बनाए हुए दर्शनों में चकराते रहते हैं।<br>मानव जाति की वास्तविक विडम्बना यही है।<br>Link-<br>http://commentsgarden.blogspot.in/2012/11/manav-jati.htmlDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-17285843482751807052012-11-26T14:38:03.000+05:302012-11-26T14:38:03.000+05:30अंतिम पंक्ति से सहमत हूँ जाकी रही भावना....... :-...अंतिम पंक्ति से सहमत हूँ जाकी रही भावना....... :-)इमरान अंसारीhttp://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-20347806268265960802012-11-27T17:26:10.000+05:302012-11-27T17:26:10.000+05:30हाँ धर्म की दुहाई देकर पुरुष प्रधान समाज धर्मपत्नी...हाँ धर्म की दुहाई देकर पुरुष प्रधान समाज धर्मपत्नी का शोषण करता है (धर्म पति सुना है कभी आपने ),उद्धरण देते हैं लोग मानस में यह लिखा है ने ये किया सावित्री ने वह किया ...तूने क्या किया ?बढ़िया पोस्ट बढ़िया मुद्दा उठाया है आपने .Virendra Kumar Sharmahttp://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-58965085387812288342012-12-01T10:40:08.000+05:302012-12-01T10:40:08.000+05:30वैसे ये पोस्ट O.M.G देखने के बाद लिखी गयी थी क्या ...वैसे ये पोस्ट O.M.G देखने के बाद लिखी गयी थी क्या :D<br>एनीवे, बात आपने बिलकुल सही कही है....हम लोग तो वैसे भी god fearing लोग हैं, god loving नहीं...(OMG का एक डायलोग )abhihttp://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.com