tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post632200307139014741..comments2024-01-26T14:19:58.834+05:30Comments on मेरे अनुभव (Mere Anubhav): पागल होना,शायद सामान्य होने से ज्यादा बेहतर है...!Pallavi saxenahttp://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-60248245081672536022014-07-01T16:43:06.000+05:302014-07-01T16:43:06.000+05:30सार्थक संवेदनशील आलेख ! आपके आलेख के महत्त्व एवं अ...सार्थक संवेदनशील आलेख ! आपके आलेख के महत्त्व एवं अर्थ को आत्मसात करने के लिये दिल के एक कोने को मानवता के रसायन से मुलायम करने की आवश्यकता होगी !साधना वैदhttp://http//sudhinama.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-79531544598376780292014-07-01T17:12:55.000+05:302014-07-01T17:12:55.000+05:30सच कहो तो इंसान से ज्यादा खतरनाक आज कौन है ... हर ...सच कहो तो इंसान से ज्यादा खतरनाक आज कौन है ... हर समस्या, हर असामान्य परिस्थिथि के लिए इन्सान ही जिम्मेवार है आज .. पागल को तो क्या पाता uska to dimaag hi kaam nahi karta par dimaag waale insaan ke=o kya kahen ...दिगंबर नासवाhttp://swapnmere.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-15853515884213372482014-07-01T21:55:47.000+05:302014-07-01T21:55:47.000+05:30तथाकथित इंसान ही इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है. पागल...तथाकथित इंसान ही इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है. पागल को तो जब अपने बारे में ही कुछ पता नहीं तो वह दूसरे को क्या नुकसान पहुंचाएगा. आज़ इंसान में संवेदनशीलता की कमी होती जा रही है...बहुत सारगर्भित आलेख...Kailash Sharmahttp://sharmakailashc.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-78685811014691516722014-07-01T23:29:33.000+05:302014-07-01T23:29:33.000+05:30भावप्रवणभावप्रवणatulnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-48859440593767153252014-07-02T06:54:27.000+05:302014-07-02T06:54:27.000+05:30हर व्यक्ति का अपना संसार होता है जो उसकी खोपड़ी के...हर व्यक्ति का अपना संसार होता है जो उसकी खोपड़ी के आकार से बड़ा हो ही नहीं समता. पागल का भी अपना संसार होता है जो उसकी खोपड़ी में होता है जो मस्तिष्क की तंत्रिकाओं में हो रही गतिविधि से संचालित होता है. वैसे कहते हैं कि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ मात्रा में पागलपन होता है या कभी न कभी एक पागलपन सवार हो जाता है. दूसरों के प्रति और अपने प्रति भी संवेदनशीलता बहुत ज़रूरी है.भारत भूषणhttp://meghnet.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-38548358812291483782014-07-02T23:12:23.000+05:302014-07-02T23:12:23.000+05:30उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत ब...उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...<br>नयी पोस्ट<a href="http://fulwaari.blogspot.in/" rel="nofollow">@दर्द दिलों के</a><br>नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@बड़ी दूर से आये हैं</a>pbchaturvedihttp://www.pbchaturvedi.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-72877415185150183422014-07-05T16:48:17.000+05:302014-07-05T16:48:17.000+05:30झकझोरता आलेख। वाकई विचारणीय है।झकझोरता आलेख। वाकई विचारणीय है।विकेश कुमार बडोलाhttp://chandkhem.blogspot.innoreply@blogger.com