tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post8310286388724787626..comments2024-01-26T14:19:58.834+05:30Comments on मेरे अनुभव (Mere Anubhav): इस विषय में भी सोचा है कभी ?Pallavi saxenahttp://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-65679346408533362932012-02-09T00:14:14.000+05:302012-02-09T00:14:14.000+05:30very nice post pallavi ji...very nice post pallavi ji...kanu.....http://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-69437100312414795122012-02-09T05:57:27.000+05:302012-02-09T05:57:27.000+05:30आपके विचार काफी संतुलित और वर्तमान घटनाओं पर प्रका...आपके विचार काफी संतुलित और वर्तमान घटनाओं पर प्रकाश डालने वाले हैं .....लेकिन काफी हद तक मैंने जो महसूस किया है वह यह कि यह सब व्यक्ति की संकीर्ण सोच का परिणाम है .....व्यक्ति - व्यक्ति से भेद करे यह किसी भी स्तर पर नहीं होना चाहिए ....!केवल राम :http://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-22844910763348686962012-02-09T06:00:29.000+05:302012-02-09T06:00:29.000+05:30भेद करने की प्रवृत्ति हम सबके भीतर ही है, सब में ए...भेद करने की प्रवृत्ति हम सबके भीतर ही है, सब में एकरूपता देखने का परमहंसीय गुण तो धीरे धीरे आता है।प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-81467607872870914842012-02-09T09:08:35.000+05:302012-02-09T09:08:35.000+05:30सबको समान मानने की सोच तो लानी ही होगी अगर सद्भाव ...सबको समान मानने की सोच तो लानी ही होगी अगर सद्भाव का वातावरण चाहिए .....डॉ॰ मोनिका शर्माhttp://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-11711425661844177482012-02-09T10:06:41.000+05:302012-02-09T10:06:41.000+05:30बिहार के लोग और महाराष्ट्र के ठाकरे बंधुओं से बेह...बिहार के लोग और महाराष्ट्र के ठाकरे बंधुओं से बेहतर और क्या उदाहरण हो सकता है, और यह नहीं की सिर्फ ठाकरे बंधुओं के ही ऐसी मानसिकता हो मराठियों की एक बड़ी तादाद भी उनके पीछे है ! नार्वे के उस वक्ती का कसूर सिर्फ यह है की उसने ८७ निर्दोषों का क़त्ल किया, बाकी कोई गुनाह नहीं किया ! क्योंकि भेदभाव से उपजी जलन हर इन्सान की प्रवृति होती है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-70067933957971682062012-02-09T14:22:04.000+05:302012-02-09T14:22:04.000+05:30तुम्हारी पोस्ट पढ़ने के बाद अपनी लिखी कुछ पंक्तियाँ...तुम्हारी पोस्ट पढ़ने के बाद अपनी लिखी कुछ पंक्तियाँ याद आ गई .....<br><br>अपने अहंकार को तू थाम <br>कहीं वो<br>तेरी महानता को<br>खत्म ना कर दे |<br>ना कर तू किसी<br>कि तरफ अंगुली<br>देख,तीन तेरी<br>तरफ है झुकी हुई|<br>ना कर तू क्रोध<br>इतना कि<br>तेरे अंदर का<br>ज्वालामुखी फट जाये <br>और सब विवेक को नाश कर दे |.......अनुanju(anu) choudharyhttp://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-16377453780523579802012-02-09T14:30:33.000+05:302012-02-09T14:30:33.000+05:30बहुत संतुलित और विचारणीय आलेख...सभी जगह भेदभाव एक ...बहुत संतुलित और विचारणीय आलेख...सभी जगह भेदभाव एक स्वाभाविक प्रवृति हो चुकी है और जब तक यह दूर नहीं होगी समानता और सद्भाव की बात करना व्यर्थ है...Kailash Sharmahttp://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-76990855826655435102012-02-09T16:00:00.000+05:302012-02-09T16:00:00.000+05:30कहना सही है की हम भी उसी मानसिकता के शिकार हैं जिस...कहना सही है की हम भी उसी मानसिकता के शिकार हैं जिसके पूरा विश्व ... बल्कि हम तो कुछ ज्यादा ही हैं ... एक राज्य के लोग दुसरे राज्य की लोगों को हेय दृष्टि से देखते हैं ... और ये असमानता अपने देश में बढती जा रही है कम होने की बजाये ... पर फिर भी किसी की हत्या करना या माता पिता को बचों से दूर करना गलत है ...दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-47210726439196560142012-02-09T16:51:56.000+05:302012-02-09T16:51:56.000+05:30बिलकुल ठीक .हम ( भारतीयों ) से ज्यादा इस भेदभाव को...बिलकुल ठीक .हम ( भारतीयों ) से ज्यादा इस भेदभाव को कौन करता होगा ? विदेशी छोडो हम तो अपने देश में ही प्रदेश और जातियों के बीच भेदभाव करते हैं और सामने से करते हैं.shikha varshneyhttp://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-44967277155753330592012-02-09T17:43:25.000+05:302012-02-09T17:43:25.000+05:30This comment has been removed by the author.This comment has been removed by the author.archiehttp://www.blogger.com/profile/07245550195121370772noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-31750151958103545652012-02-09T17:47:36.000+05:302012-02-09T17:47:36.000+05:30aap ne sahi likha hai ki jab hamare desh mai yaisa...aap ne sahi likha hai ki jab hamare desh mai yaisa hota hai to hum logo ko yaha rah kar kya umida karni chaye.sunadar lekhaarchiehttp://www.blogger.com/profile/07245550195121370772noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-71796742194864311062012-02-09T19:54:02.000+05:302012-02-09T19:54:02.000+05:30रंगभेद और नस्लभेद दुनिया में पुराना चला आ रहा है. ...रंगभेद और नस्लभेद दुनिया में पुराना चला आ रहा है. ध्यान से देखें तो भारत के जातिवाद के पीछे भी नस्लवाद और रंगभेद है. महावीर और बुद्ध श्याम रंग के थे. वे सिंधुघाटी सभ्यता से संबंधित हैं जिसे अफ्रीकी मूल की जातियों ने विकसित किया था. भारत में वह नस्ल आगे चल कर रक्त मिश्रण से काली-भूरी-सी हो गई और अंग्रेज़ इसे ब्राऊन रेस कहते हैं. आम यूरोपीय और आस्ट्रेलियाई हमारी नस्ल को इसी दृष्टि से देखते हैं. भारत में तो आपने भी देखा होगा कि जिसका रंग भूरा है वह काले रंग के भारतीय को पहले जाति की कसौटी पर परखता/देखता है तब उसके प्रति अपना व्यवहार निर्धारित करता है. जनजातीय लोगों के साथ कितना अन्याय होता है इसे हम तभी थोड़ा समझ पाते हैं जब देश से बाहर निकल कर हमारे साथ भी घृणा का सुलूक होता है. आपके आलेख ने मुद्दा बखूबी उठाया है. हमारी सोच सदियों से जिस रंग में रँगी है उसे बदलना काफी कठिन है. हाँ शिक्षा के साथ परिवर्तन हो रहा है लेकिन उसे भी फिल्म 'आरक्षण' के प्रोमो आकर बिगाड़ जाते हैं.Bharat Bhushanhttp://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-67276774551764261612012-02-10T11:00:29.000+05:302012-02-10T11:00:29.000+05:30विचारणीय पोस्ट। सही कहा, भगवान बनना आसान होता है...विचारणीय पोस्ट। <br>सही कहा, भगवान बनना आसान होता है, इंसान बनना कठिन।Atul Shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-88262161652662531492012-02-10T16:53:30.000+05:302012-02-10T16:53:30.000+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुतिआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल...बहुत बढ़िया प्रस्तुति<br>आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी होगी!<br>सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-84795697730202566302012-02-11T06:35:55.000+05:302012-02-11T06:35:55.000+05:30aadmi ko aadmi hona chahiye!aadmi ko aadmi hona chahiye!अरूण साथीhttp://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-23401321239066874152012-02-11T10:16:56.000+05:302012-02-11T10:16:56.000+05:30आपके आलेख नई चेतना प्रदान करते हैं और विषय को नये ...आपके आलेख नई चेतना प्रदान करते हैं और विषय को नये सिरे से सोचने पर मज़बूर करते हैं। मन में बहुत समय तक विचार मंथन चलता रहता है।मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-68387745297781367712012-02-11T13:10:37.000+05:302012-02-11T13:10:37.000+05:30Vicharniya Post. Bura jo dekhan mai chala bura n d...Vicharniya Post. Bura jo dekhan mai chala bura n dikha koy jo dil khoja aapne mujhse bura n koy.हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संगhttp://www.blogger.com/profile/11665530097513996920noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-45956308389943369012012-02-11T16:05:57.000+05:302012-02-11T16:05:57.000+05:30कई बार भेदभाव न चाहते हुए भी हो ही जाता है.इसके ल...कई बार भेदभाव न चाहते हुए भी हो ही जाता है.इसके लिएअपने आप में एक नई सोच की नई चेतना की आवश्यकता है..आप का की ये चेतना युक्त आलेख जरूर नई दिशा देगा..विचारणीय लेख..Maheshwari kanerihttp://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-36878057444851288202012-02-12T12:32:15.000+05:302012-02-12T12:32:15.000+05:30जब आप खुद किसी व्यक्ति पर एक उंगली उठाते हो, तब आप...जब आप खुद किसी व्यक्ति पर एक उंगली उठाते हो, <br>तब आपकी खुद कि तीन उंगलिया खुद आपकी ओर ही इशारा कर रही होती हैं<br><br>बहुत पते की बात।mahendra vermahttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-21974252170337918872012-02-12T21:04:36.000+05:302012-02-12T21:04:36.000+05:30aapke vichaar se aksharsh sahmat hun. videshiyon k...aapke vichaar se aksharsh sahmat hun. videshiyon ke sath hone wala durvyawahaar sach mein dukhad hai chaahe yahan ho ya videshon mein. mujhe lagta hai ki desh koi bhi ho sochne ka tareeka ek jaisa hi hai, thoda kam thoda jyada. fir bhi hamari tulna mein videshi jyada sammaniye vyavahaar karte hain. sach hai ki dusron kee galti hum dhundhte hain aur apni sochte bhi nahin. achchha aalekh, shubhkaamnaayen.डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-35751247470760205232012-02-13T17:51:36.000+05:302012-02-13T17:51:36.000+05:30सबसे मुश्किल है- चीज़ों को वैसा ही स्वीकारना जैसी ...सबसे मुश्किल है- चीज़ों को वैसा ही स्वीकारना जैसी वे हैं।कुमार राधारमणhttp://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-48001148687181782802012-02-13T18:40:23.000+05:302012-02-13T18:40:23.000+05:30ये भेद-भाव तरक्की के रास्ते में सबसे बड़ा रोढा है ...ये भेद-भाव तरक्की के रास्ते में सबसे बड़ा रोढा है .....यादें....ashok saluja .http://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7390077179800546777.post-79340785472090461222012-02-13T22:12:42.000+05:302012-02-13T22:12:42.000+05:30सच कहा आपने एक नेक दिल इंसान बनना बहुत ही मुश्किल ...सच कहा आपने एक नेक दिल इंसान बनना बहुत ही मुश्किल काम है.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.com