"वक्र तुंड महाकाय सूर्य कोटी समपप्रभा निर्विघ्नम कुरुमे देवह सर्व कारेषू सर्वदा"
कुछ भी शुरू करने से पहले आप सभी को गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें J
राखी के त्यौहार से ही जैसे त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है सबसे पहले वह सावन का मनमोहक मेहँदी से महकता और भाई बहनो के असीम प्यार से ओतप्रोत त्यौहार रक्षाबंधन, उस के बाद भगवान श्री कृष्ण की मधुर लीलाओं से भरी जन्माष्टमी और फिर ईद की सेवाई की मिठास लिए ईद का त्यौहार और उस के बाद तीज का जागरण लिए (हरतालिका तीज) जो कि अखंड सोभाग्य का रक्षक माना जाता है। ठीक उस के उपरान्त आता है भगवान गणेश का जन्मदिन जिसे गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में या हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्न विनाशक, दुःख नाशक मगलमूर्ति तथा अन्य कई नामों से जाना जाता है। जिसका अर्थ है भगवान श्री गणेश की पूजा करने से कभी भी किसी प्रकार की विपत्ति नहीं आती और सभी दुःख दूर हो जाते हैं। क्यूंकी विघ्नहरता भगवान गणेश आप पर आने वाले सभी विघ्नो को हर लेते है इस के साथ ही श्री गणेश को बुद्धि और ज्ञान का स्वामी भी कहा जाता है प्रति वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है।
बाँकी सभी अन्य त्योहारों कि तरह ही इस पर्व से भी मेरी बचपन कि बहुत सारी और मीठी-मीठी यादें जुड़ी है। इस का एक सब से महत्वपूर्ण कारण हमेशा से शायद यह रहा है कि मेरा जन्मदिन अकसर गणेश चतुर्थी के आस पास ही पड़ता आया है, इसलिए शायद हमेशा से मेरे जीवन में इस त्यौहार के प्रति एक खास तरह का उत्साह रहा है इसलिए आज मैं आप सब के साथ अपने बचपन और इस त्यौहार से जुड़ी यादों और अनुभवों को आप सभी के साथ बाँटना पसंद करूंगी। मगर उसके पहले इस पर्व से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें यह तो मैंने आप को बता दिया कि क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा अर्चना मगर क्या आप जानते हैं, कि हर शुभ काम शुरू करने में भगवान श्री गणेश की पूजा सब से पहले की जाती है, साथ ही क्या आप यह जानते हैं कि उनकी पूजा में दूबा चढ़ाने का क्या महत्व है। आइये इस ओर भी एक नज़र डालते है। पहले यह ज्ञान मुझे भी नहीं था फिर कहीं एक अख़बार में मैंने यह आर्टिकल पढ़ा झूठ नहीं कहूँगी यह मेरी जानकारी नहीं एक पेपर का लेख है, जो मुझे बेहद अच्छा लगा इसलिए सोचा क्यूँ ना आप सबको भी यह जानकारी मिल सके कि क्यूँ और कैसे मनाया जाता है यह गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार।
भगवान श्रीगणेश की पूजा में दो, तीन या पाँच दूर्वा अर्पण करने का विधान तंत्र शास्त्र में मिलता है। इसके गूढ़ अर्थ हैं। संख्याशास्त्र के अनुसार दूर्वा का अर्थ जीव होता है, जो सुख और दुःख ये दो भोग भोगता है। जिस प्रकार जीव पाप-पुण्य के अनुरूप जन्म लेता है। उसी प्रकार दूर्वा अपने कई जड़ों से जन्म लेती है। दो दूर्वा के माध्यम से मनुष्य सुख-दुःख के द्वंद्व को परमात्मा को समर्पित करता है। तीन दूर्वा का प्रयोग यज्ञ में होता है। ये आणव (भौतिक), कार्मण (कर्मजनित) और मायिक (माया से प्रभावित) रूपी अवगुणों का भस्म करने का प्रतीक है। पाँच दूर्वा के साथ भक्त अपने पंचभूत-पंचप्राण अस्तित्व को गुणातीत गणेश को अर्पित करते हैं।
इस प्रकार दूर्वा के माध्यम से मानव अपनी चेतना को परमतत्व में विलीन कर देता है।
गणपति अथर्वशीर्ष में उल्लेख है-और इसलिए यह मान्यता है की जो लोग सच्चे मन से दूर्वा से श्री भगवान गणेश का पूजन करते हैं उन्हें कुवेर के समान धन की प्राप्ती होती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
गणपति अथर्वशीर्ष में उल्लेख है-और इसलिए यह मान्यता है की जो लोग सच्चे मन से दूर्वा से श्री भगवान गणेश का पूजन करते हैं उन्हें कुवेर के समान धन की प्राप्ती होती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
इस ही प्रकार बस एक जानकारी और क्या आप जानते हैं क्यूँ होती हैं भगवान श्री गणेश की चार भुजायें कलियुग में भगवान गणेश के धूम्रकेतु रुप की पूजा की जाती है। जिनकी दो भुजाएं होती है। किंतु धर्मग्रंथों में भगवान गणेश को चार भुजाधारी कहा गया है यानी उनके चार हाथ है। इनमें से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। अंकुश इस बात का सूचक है कि कामनाओं यानी वासना-विकारों पर संयम ज़रूरी है। जबकि पाश नियंत्रण, संयम और दण्ड का प्रतीक है। हर व्यक्ति को स्वयं के आचरण और व्यवहार के प्रति इतना संयम और नियंत्रण रखना ज़रूरी है, इससे जीवन का संतुलन बना रहे। मोदक यानी जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो, इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना ज़रूरी है। तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं।
मोदक ज्ञान का प्रतीक है। जैसे मोदक को थोड़ा-थोड़ा और धीरे धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह वैसे ही ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नहीं देता। परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है। इस प्रकार जो अपने कर्म के फलरूपी मोदक प्रभु के हाथ में रख देता है उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैं। ऐसा चौथे हाथ का सूचक है। अब अगर यहाँ मैं यह कहूँ कि हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान गणेश का सभी देवी देवताओं में एक अलग स्थान और अपना एक अलग ही महत्व है तो मेरा ऐसा कहना गलत नहीं होगा इन्हीं सब जानकरियों के साथ एक बार फिर आप सभी को मेरी और मेरे परिवार की ओर से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें " गणपती बप्पा मोरैया पुरशा वर्षी लौकरिया"
मोदक ज्ञान का प्रतीक है। जैसे मोदक को थोड़ा-थोड़ा और धीरे धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह वैसे ही ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नहीं देता। परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है। इस प्रकार जो अपने कर्म के फलरूपी मोदक प्रभु के हाथ में रख देता है उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैं। ऐसा चौथे हाथ का सूचक है। अब अगर यहाँ मैं यह कहूँ कि हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान गणेश का सभी देवी देवताओं में एक अलग स्थान और अपना एक अलग ही महत्व है तो मेरा ऐसा कहना गलत नहीं होगा इन्हीं सब जानकरियों के साथ एक बार फिर आप सभी को मेरी और मेरे परिवार की ओर से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें " गणपती बप्पा मोरैया पुरशा वर्षी लौकरिया"