इस फिल्म को लेकर लोगों ने बहुत कुछ कहा बहुतों ने बहुत कुछ लिखा भी, मगर क्या ज़रूरी हैं कि हम हर उस चीज़ को केवल उसी नज़रिये से देखें जिसका केंद्र बिन्दु बनाकर हमको जो दिखाया जा रहा है। कभी-कभी हम उस विषय के विभिन्न पहलुओं पर भी नज़र डालकर देखें, तो पता चलता है, कि केवल मूल विषय ही नहीं और भी बहुत सी ऐसी बातें है, जिस पर ग़ौर किया जाना चाहिए या फिर गौर किया जा सकता है। इस फ़िल्म को देखने के बाद मेरी भी कुछ यही राय है, कि भले ही इस फ़िल्म के प्रोमोस कितने भी अश्लील रहे हों और फ़िल्म के अंतर्गत कितना भी अंग प्रदर्शन क्यूँ न किया गया हो। मगर यदि आप यह फ़िल्म उसकी थीम को ध्यान में रखकर देखेंगे, तो शायद तब आप को यह फ़िल्म उतनी अश्लील नज़र नहीं आयेगी, जितना की उस फ़िल्म के प्रोमोस देखने के बाद लगता है और जहाँ तक रही फ़िल्म के नाम की बात तो भई जब फ़िल्म का नाम ही है The Dirty Picture तो वो फ़िल्म थोड़ी बहुत तो dirty होगी ही
लेकिन यदि मैं बात करूँ अपने नज़रिये कि, तो मुझे इस फ़िल्म के संवाद और अदाकारी ने बहुत प्रभावित किया। भले ही इस फ़िल्म में ज़्यादातर संवाद दो अर्थी क्यूँ न रहे हो। मगर जो अच्छे है, साफ सुथरे हैं, उनमें जीवन का सच झलकता है। जैसे फ़िल्म में कुछ एक संवाद हैं।
"जब ऊपर वाले ने ज़िंदगी एक दी है, तो बार क्या सोचना"
या फिर
"सब ने सब कुछ देखा, मगर मेरी लगन और मेरी महनत को किसी ने नहीं देखा, सबने कुछ और ही देखा।
यह दोनों ही संवाद मुझे बहुत अच्छे लगे, क्यूंकि कहीं न कहीं यह फ़िल्म को सार्थक रूप देते हैं। "विद्या बालन" एक कलाकार हैं और इस फ़िल्म में उन्होने पात्र को आपने आप में पूरी तरह उतारने की एक बहतरीन कोशिश की है। यह किसी ने नहीं देखा, सबने बस कुछ और ही देखा क्यूंकि फ़ोकस केवल उस कुछ और पर ही किया गया है। इसमें गलती जनता की भी नहीं है, क्यूँकि यह तो मारकेटिंग का फंडा है। जो हर प्रकार के लोगों को अपनी और खींच सके उस चीज़ को केंद्र बनाओ, शायद इसलिए इस फ़िल्म के प्रोमोस ऐसे बनाय गए थे। इस फ़िल्म में एक और संवाद है। जब "इमरान हाशमी" विद्या बालन उर्फ "सिल्क" से यह कहता है,कि
"आज तक तुमको कितने लोगों ने टच किया है"
और जवाब में वो कहती है,
टच तो आज तक बहुतों ने किया है मगर छुआ किसी ने नहीं."..
और जवाब में वो कहती है,
टच तो आज तक बहुतों ने किया है मगर छुआ किसी ने नहीं."..
क्या आप को नहीं लगता इस बात के पीछे एक मजबूर लड़की जो शौहरत कमाने के चक्कर में इस माया नगरी के माया जाल में फंसकर, कहीं गुम हो गई है। जिसे तलाश है एक सच्चे प्यार की, उसकी उन भावनाओं की सवेदना को इस एक संवाद ने कितनी गहराई और खूबसूरती के साथ उकेरा है। इन सब संवादों को सुनने के बाद जाने क्यूँ मुझे फ़िल्म कुछ-कुछ होता है का भी एक संवाद याद आया की,
"हम एक बार जीते हैं,
एक बार मरते है,
प्यार भी एक ही बार होता है, तो फिर
शादी भी एक ही बार होनी चाहिए"
कुल मिलाकर कहने का मतलब यह है, कि यह भले ही हमारी असल ज़िंदगी फिल्मों जैसी ना होती हो, मगर तब भी यह फिल्में हमे बहुत कुछ सीखा जाती है। बस ज़रूर है,फ़िल्म के हर एक पहलू पर ग़ौर करने की न केवल फ़िल्म के प्रचार हेतु बनाए गए केंद्र बिन्दु को ही ध्यान में रखकर फ़िल्म देखने की, मेरा माना तो यही है और मुझे फिल्में बहुत प्रेरणा देती है। यह ज़रूर नहीं कि सभी के साथ ऐसा होता हो, मगर मेरे साथ तो ऐसा ही होता है और इस प्रेरणा का नये या पूराने जमाने से कोई संबंध नहीं है। प्रेरणा पूरानी फिल्मों से भी मिलती है और नई फिल्मों से भी बस अपना-अपना नज़रिया है... वैसे फ़िल्म एक बार देखने लायक तो है मेरे हिसाब से बाकी आपकी मर्जी हैं। आपको क्या लगता है
यही ब्लॉग आप यहाँ भी देख सकते है http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/ek-nazar-idhar-bhi/entry/the-dirty-picture
यही ब्लॉग आप यहाँ भी देख सकते है http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/ek-nazar-idhar-bhi/entry/the-dirty-picture
वाह ! पल्लवी जी आपको फिल्म अच्छी लगी ,यह तो अच्छी बात है.
ReplyDeleteकभी मौका लगा तो हम भी देखतें हैं जी.
प्रेम का गहरापन कितना हो, यह कैसे उदाहरणों से स्पष्ट हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeleteअभी अभी देखकर आ रहे हैं । फिल्म अडल्ट ज़रूर है क्योंकि कुछ दृश्य और संवाद बड़ों के लिए ही हैं । लेकिन यह फिल्म यूँ डर्टी नहीं लगी जैसे डेल्ही बेली लगी थी । उस फिल्म को देखकर कई दिन तक खाना अच्छा नहीं लगा था ।
ReplyDeleteइस फिल्म में विद्या बालन पहली बार बहुत अच्छी लगी । बहुत खूबसूरती से एक फिल्म ऐक्ट्रेस ( सिल्क स्मिता ) की जिंदगी के अलग अलग पहलुओं को उजागर किया है । अंत tragedic तो होना ही था ।
जी बिलकुल.... एक दम सही कहा आपने, आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ। डॉ दराल जी... धन्यवाद :-)
ReplyDeleteसही है!
ReplyDelete"सब ने सब कुछ देखा, मगर मेरी लगन और मेरी महनत को किसी ने नहीं देखा, सबने कुछ और ही देखा।"
ReplyDeleteNice .
सब जगह यही हो रहा है।
आदमी को क्या देखना चाहिए और देखता वह क्या है ?
इस फिल्म का समीक्षात्मक विश्लेषण अच्छा लगा। फिल्म देखना अभी बाकी है।
ReplyDeleteसादर
विस्तृत समीक्षा अच्छी लगी ...
ReplyDelete:)..hmm
ReplyDeleteसाफ सुथरी समीक्षा!!
ReplyDeleteफिल्म का विषय बहुत संवेदनशीलता लिए हुए है. यह फिल्म विद्या बालन के उत्कृष्ट अभिनय के लिए अवश्य जानी जायेगी.
ReplyDeleteअच्छी समीक्षा.
kal hi movie dekhi ladies v/s ricy behl ...baccho ki vajeh se ye dirty movie nahi dekh payi...lekin aap ki is prastuti se eagerness badh gayi hai.
ReplyDeleteacchhi sameeksha.
बहुत-बहुत शुक्रिया अनामिका जी मेरी राय है यदि संभव हो तो एक बार यह फ़िल्म ज़रूर देखें ...:-)
ReplyDeleteआपने अपने बेटे की तस्वीरें टेढ़े पीसा टावर के साथ खींची थीं. बहुत आकर्षक थीं. फिल्मी डायलॉग टेढ़े पीसा टावर की तरह होते हैं तभी तो उनकी ओर दृष्टि घूम जाती है. फिल्में मनोरंजन की दुनिया है. यहाँ टेढ़ी बात कहना आकर्षक और लाभकारी होता है.
ReplyDelete100% Free Data Entry Jobs Available!
ReplyDeletehttp://bestaffiliatejobs.blogspot.com/2011/07/earn-money-online-by-data-entry-jobs.html
आपने एक नए एंगल से विचार किया। अच्छा लगा।
ReplyDeletemujhe bhi film dekhkar aisaa hee laga tha ...achhi vivechnaa
ReplyDeleteदर-असल जो लोग इसे एक फिल्म के नज़रिए से देखने गए थे,प्रोमोज देखकर ,उन्हें निराशा मिलेगी. फिल्म नहीं रिअलिटी दिखाई गई है !हमारे समाज का दोगलापन और मर्दवादी पाखंड बिलकुल उघाड़ दिया गया है !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपके विचारों से मैं सहमत हूँ. अंग्रेजी में हम कहते हैं न, "पर्सपेक्टिव मैटर्स", बस वही बात है - नज़रिया ही तो है जो देखने वाले का ध्यान कीचड़ के कमल की और खींचता है, और कभी कभी चाँद के दाग की तरफ भी.
ReplyDelete
ReplyDeleteNice Love Story Added by You Ever. Read Love Stories and प्यार की स्टोरी हिंदी में aur bhi bahut kuch.
Thank You For Sharing.