Friday 1 October 2010

Festivals (त्योहार)

त्योहार जो अपने आप में ही एक ऐसा अर्थ छुपाये होते है जिसका मतलब होता है ख़ुशी, क्यूंकि त्योहार का मकसद ही तभी पूरा होता है जब आप के दिल में ख़ुशी हो, उत्साह हो, फिर चाहे उस दिन या उस वक़्त कोई त्योहार हो या ना हो. मगर जब आप किसी भी कारण से बहुत खुश होते हो, तो आप को अपने आप में ही इतना अच्छा लगता है कि आप उस दिन को खुद-ब-खुद त्योहार के जैसा महसूस करने लगते हो...ये तो रही मेरे हिसाब से त्यौहार की परिभाषा  और यदि मैं बात करूँ साधारण शब्दों में त्योहार के मतलब की, तो वो तो आप सब जानते ही हैं कि हर  एक प्रांत में अलग-अलग धर्म  में अपने-अपने धर्म और सभ्यता के हिसाब से त्योहार मनाये जाते हैं जैसे हिन्दू दीपावली, दशहरा, होली, राखी  इत्यादि, मुसलमानों में रमजान, ईद, मुहर्रम इत्यादि, वैसे ही सिखों में गुरुनानक जयंती, लोहड़ी, बैसाखी इत्यादि और इसाईयौं में क्रिसमस, ईस्टर , गुड फ्रायडे इत्यादि.

 यहाँ(UK) आने से पहले मुझे नहीं पता था कि इसाईयौं का एक त्योहार और भी होता है, वो है Halloween जिसके अंतरगत यह लोग कद्दू(Pumpkin) को मुखोटे के रूप में काट कर उसके अन्दर बल्ब लगा कर डरावना बनाते है और भी अलग-अलग ढंग से डरावनी वेश भूषा में घूमते फिरते हैं. वैसे अगर में बात करूँ त्योहार मनाने के अलग-अलग ढंग को लेकर तो यहाँ का मुख्य आकर्षण है शोपिंग.त्योहार चाहे जो भी हो ये लोग खरीदारी बहुत करते हैं,

यहाँ तक की Haloween जैसे त्योहार पर भी बाज़ार तरह-तरह की डरावनी वेशभूषा  से भरा होता है वैसे ही कपडे, उसी रूप में साज सज्जा का सामान और खाने पीने की भी अधिकतम सामग्री भूत प्रेत से प्रेरित होकर बनाई जाती है जैसे :- ग्लास रखने का स्टैंड कंकाल के हाथ के रूप में होगा.... रबर के कटे हुए हाथ पैर तरह-तरह की डरावनी आवाज़ वाले म्यूजिक सिस्टम इत्यादि....ठीक वैसे ही ईस्टर पर हर चीज़ अंडे के रूप में बिकती है खास कर Choclates और खरगोश के रूप में भी. छोटी-छोटी Choclates अंडे के रूप की जो बाहर से देखने में भी अंडे जैसी और अंदर से भी उनमे क्रीम भरा होता है.  कच्चे अंडे के समान और इतनी मीठी की मिठास की भी हद हो जाये. Halloween और Easter वाले दिन सभी बच्चों को स्कूल में भी रंग बिरंगे कपड़ों में बुलाया जाता है जैसे  halloween वाले दिन भूत बनकर या कोई भी डरावना पात्र बनकर जाना होता है जिसको बच्चे बहुत Enjoy  करते हैं और Easter पर खरगोश बनकर उस दिन भी बच्चों को बड़ा मज़ा आता है. इन दो त्योहारों पर विशेष कर स्कूल में Fancy Dress प्रतियोगिता भी रखी जाती है.

मगर इस सब के बावजूद भी मैं यहाँ इतना ज़रूर कहना चाहूंगी कि त्योहार का जो मज़ा हमारे भारत में आता है वो कही और नहीं, उसका एकमात्र कारण यह है की यहाँ सामाजिक जीवन(Social life ) सिर्फ Bar  और Parties तक ही सीमित है. त्यौहार चाहे जो भी हो ना कोई किसी के घर आता है, ना जाता है और हमारे यहाँ कितना भी छोटा से छोटा त्यौहार क्यूँ ना हो, चार पांच दिन पहले से ही उस त्यौहार से समन्धित चहल-पहल दिखाई देना शुरू हो जाती है. भारत में त्यौहार कोई भी हो कैसे मनाया जाता है यह तो आप सब को पहले ही पता है इसलिए मैं उस विषये मैं कुछ नहीं कहूगी मैं बात करुँगी यहाँ सिर्फ और सिर्फ क्रिसमस कि हमारे यहाँ मनाया जाने वाला क्रिसमस और यहाँ मनाया जाने वाला क्रिसमस.

हर एक धर्म वाला पूरी दुनिया में कहीं भी हो, वो अपना त्योहार मनाता ही है..... मगर यहाँ(UK)  त्योहार मानने का तरीका बहुत अलग है , यहाँ तो त्यौहार कोई सा भी हो हिन्दुस्तानियौं का या अग्रेजों का, पता ही नहीं चलता है कि कब आया और कब चला गया, बस कुछ दिन बाज़ारों में रोनक  दिखती है फिर सब गायब हो जाता है. हमारे यहाँ भी काफी हद तक ऐसा ही होता है किन्तु हमारे यहाँ धार्मिक प्रवर्ती शायद कुछ ज्यादा ही है जिसके कारण घरों में भी उस त्योहार से सम्बंधित तैयारियां शरू हो जाती है जिनके कारण गली मौहल्ले में भी उस त्यौहार का आभास होने लगता है जैसे होली के लिए रंग एवं पिचकारियाँ  तो बाज़ार में कुछ दिन पहले ही आना शुरू होते हें मगर घरों में तरह तरह के पकवान बनना शुरु हो जाते हैं जैसे गुजिया, पपडिया, मिठाईयाँ. . मगर यहाँ इन के यहाँ ऐसा नहीं होता यहाँ बस बाज़ारों में ही आप को पता चलता है कि कौन सा त्योहार आने वाला है घरों में उस त्योहार से सम्बंधित कोई तैयारी देखने को नहीं मिलती.  उसका भी एक और महत्वपूर्ण कारण है छोटे बाज़ार जो यहाँ नहीं होते या यूँ कहना ज्यादा ठीक होगा कि बहुत कम होते हें ज्यादातर बड़ी दुकाने या shoping mall ही होते हें इस वजह से भी यहाँ त्योहार का वो महौल नहीं बन पाता जो अपने भारत में बहुत आसानी से बन जाता है. अब बात आती है भारत में मनाये जाने वाले क्रिसमस कि वहां भी क्रिसमस के दिन लोग घरों में केक बनाते है, दिवाली के दिन की तरह नई चीज़े खरीदते है. मगर मुझे जो फर्क महसूस हुआ वो यह कि वहां सभी लोग चाहे वो खुद christian  हो या न हो, क्रिसमस के दिन अपने सभी christian दोस्तों से मिलने जाया करते हैं और सभी एक साथ मिलकर मानते है, ऐसा कम ही देखने को मिलता है वह लोग केवल अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर मना रहे हो और इतना ही नहीं वह लोग अगले दिन अपने आस पड़ोस में केक प्रसाद के रूप में देकर भी अपने त्यौहार कि खुशियौं को सब के साथ बाँट कर मनाया करते है. मगर यहाँ ऐसा नहीं होता  और तो और यहाँ क्रिसमस तक का पता नहीं चलता बाज़ार ज़रूर भरे होते है, तरह-तरह की खाने पीने की सामग्री से, कपड़ों से, Gift items से, मगर क्रिसमस वाले दिन मौहल्ले तक की सड़कें खाली सुनसान और वीरान दिखाई पड़ती हैं. एक परिंदा भी दिखाई  नहीं देता.

और जैसा कि मैंने आप को पहले कहा  है कि मैं बात करुँगी यहाँ सिर्फ क्रिसमस कि क्यूंकि इन के यहाँ सामूहिक परिवार का चलन ना होने के कारण यह लोग क्रिसमस पर सामूहिक/पारिवारिक dinner  करना ही त्योहार मानने जैसा मानते हें. सुबह सब चर्च चले जाते है और शाम को अपने दोस्तों और परिवार के साथ,  केक काटते हैं. वह क्रिसमस केक ही इनके यहाँ की मुख्य  मिठाई या यूँ कहीं कि भोग की तरह होता है उसके बिना क्रिसमस मनाना जैसे हमारे यहाँ बिना भोग के पूजा करने जैसा है इस के अलावा दो और महत्वपूर्ण चीज़ें और भी हैं जिनके बिना क्रिसमस अधूरा सा माना जाता है यहाँ और वह है पीने में Wine और खाने में टर्की (Turkey) अवश्य होना चाहिये. क्रिसमस वाले दिन लगभग सभी घरों में यह तीन चीज़े मुख्य रूप से होती हैं और टर्की का होना तो इतना अनिवार्य है कि उससे यह पता लगता है कि कौन कितना अमीर है. जिसके घर में जितने बड़ा (ज्यादा किलो) का टर्की बनेगा वह परिवार उतना ही ज्यादा समृद्ध होगा. 
उन दिनों यहाँ बाज़ारों में टर्की इतना ज्यादा बिकता है, कि कई बार तो उसकी कमी हो जाती है.  यह लोग अपने लोगों के आलावा और दूसरे घर्म के लोगों से मिलने जुलने में भी ज्यादा विश्वास नहीं रखते, ना ही ज्यादा मिलना जुलना पसंद करते हैं. अपने यहाँ जैसा नहीं कि जो मिला आपने उसको शुभकामनाएं देकर wish कर दिया, बिना ये सोचे समझे कि वो हिन्दू है या मुसलमान या फिर कोई और धर्म को मानने वाला. जैसे अपने यहाँ जब ईद होती है तो हर कोई एक दुसरे को ईद मुबारक बोलता है चाहे फिर वो कोई भी संप्रदाय का ही क्यूँ  ना हो, मगर इनके  यहाँ ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है यह लोग बस अपनी Comunnity में ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं.

अगले दिन पूरा बाज़ार ऐसा बंद होता है मानो करफ्यू लगा हो यहाँ में एक बात और बताना चाहूंगी कि हमारे यहाँ भी दिवाली के बाद ऐसा ही होता है, यदि आप दिवाली के अगले दिन बाज़ार जाओ तो आप को वहां भी सब बंद ही मिलगा. किन्तु फिर भी लोगों की बहुत चहल पहले दिखाई पड़ती है मगर यहाँ तो करफ्यू सा जान पड़ता है. सब मिलाकार  बस यह कहा जा सकता है कि यहाँ त्यौहार मानाने का मुख्य आकर्षण या यूँ कहो की तरीका बस एकमात्र shopping ही है, हर एक त्यौहार पर बस खरीद  फ़रोख्त करके ही  यह लोग यह मान लेते हैं कि उन्होंने त्यौहार मना लिया. खास कर क्रिसमस के बाद जो boxing day के नाम से प्रचलित दिन है यहाँ उस दिन बाज़ार के सभी दुकानों में Sale लगती है और हर एक तरह का सामान मिलता है जिसके लिए लोग रात-रात भर कतार में खड़े रह कर खरीदा फरोखी करते है क्यूँ उन दिन यहाँ भी हमारे यहाँ कि तरह हर चीज़ पर खूब छूट (sale )चलती है मगर तभी यह लोग बाहर मस्ती नहीं कर पाते हमारे इंडिया कि तरह इनका यह त्योहार आता ही भरपूर सार्दियौं  में हैं और यहाँ तो क्या दुनिया में अधिकतर जगहों पर इस मौसम  में बर्फ गिरा करती है तो कोई भला चाहे भी तो कैसे मज़े करे बाहर... मगर इनके यहाँ तो त्यौहार में भी दस तरह के Restrictions हैं बोले तो पाबंदियां, अब चाहे वो क्रिसमस हो या दीवाली आप को यदि फटाके चलाने है तो उसका एक निश्चित समय,एक निश्चित स्थान  होगा और एक निश्चित समय भी तय होगा आप को उस स्थान पर जाकर ही फटाके चलाने होंगे और जो समय तय है, उस समय तक ही आप फटाके फोड़ सकते हो उसे ज्यादा नहीं क्यूँ.... ताकि दूसरों को आपके फटाकों की आवाज़ से disturb (परेशानी) ना हो...यह बात अपनी जगह एक हद तक सही भी है मगर मेरे हिसाब से यह हर एक व्यक्ति की अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करता है कि किसको क्या पसंद आता है जैसे अगर मैं अपनी ही बात करूँ तो मुझे यह पाबंदियां ज़रा भी पसंद नहीं क्यूंकि त्यौहार साल में एक ही बार आता है खैर यह मेरा नजरिया है.

 बाज़ार के आधार पर में कहूँ तो दीवाली पर बस यहाँ के  बाज़ारों में एक मात्र चीज़ फटके ही हैं जो देखने को मिलते हैं जिससे लगता है कि हाँ दिवाली आने वाली है वरना उसका भी पता ही ना चले की कब आई और कब चली गयी, मगर कम से कम यहाँ दिवाली पर फटाके तो मिल जाते है वही बहुत है.  इसलिए ऐसे में नॉन कम्युनिटी के लोगों के त्योहार का ख्याल रखते हुए उन्हें यह महसूस न होने देना कि वो अपने वतन से दूर है अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है

इस मामले में मुझे अपना भारत मस्त लगता है चाहे जो करो जितना मर्ज़ी हो करो कोई रोकने टोकने वाला नहीं भरपूर मज़ा  लो अपने त्योहार का बिना किसी के डर के जैसे चाहो वेसे मनाओ जितना मन करे जितनी देर तक मन करे फटके फोड़ो मस्ती करो और सही मायने में तो त्यौहार का मज़ा ही तभी आता है. एक वही तो दिन होता है खुल के जीने का जिसमें लोग अपने निजी जीवन की सारी परिशानियौं को भूल कर जीवन का आनंद उठाते हैं और उसमें यदि कोई किसी प्रकार की पाबंदी लगा दे तो त्यौहार का सारा मज़ा ही किरकिरा हो जाये,  इसलिए'' EAST AUR WEST INDIA IS THE BEST ''. भारत से बाहर आने के बाद पता लगा कि हमें भारत में कितनी आजादी दे रखी है.  खैर मैंने तो बस इस लेख  के माध्यम से दोनों जगहों में मनाये जाने वाले त्योहारों के तरीके में जो अंतर है उससे बताने के कोशिश की है.........

मैं यहाँ इस विषय पर इतना ही कहना चाहूंगी कि त्यौहार चाहे किसी भी मज़हब का क्यूँ ना हो ख़ुशी ही देता है और जीवन कि कठिनाइयों  से उबर कर एक नया जीवन जीने का उत्साह भी जगाता है, नया जीवन अर्थात पुरानी परेशानियों को भूल कर, पुराने दुखों को भूल कर, एक नई शुरुआत करने का अवसर भरपूर उमंग के साथ जीवन को नए सिरे से शुरू करने की प्रेरणा देता है. कोई भी त्यौहार आने वाली नई पीढ़ी को संस्कार सीखाता है, इसलिए मैं यह मानती हूँ कि धर्म चाहे जो भी हो अच्छी ही बातें सिखाता है ,और त्योहार चाहे कोई भी हो खुशियाँ ही लाता है इसलिए हर त्यौहार को पूरी उमंग के साथ मनाईये  और उसका भरपूर आनंद उठाइए और आपसी  मतभेदों को भूल कर खूब हँसीये हंसाइये और  जीवन का मज़ा लीजिये फिर चाहे वो दिवाली के पटाखे हों या ईद कि सिवैयां या फिर बैसाखी कि मस्ती हो या क्रिसमस का केक खूब खाईये और खूब खुशीयाँ मानिए  फिर देखिये आप का जीवन भी कैसे खुशियौं से भर जाता है ....क्यूंकि ''राम रहीम एक हैं एक हैं काशी काबा'' .....जय हिंद

23 comments:

  1. ह्म्म्म त्यौहार चाहे कोई भी हो पर उसका मज़ा तब ही हैं जब सब उससे मिल कर मनाये, जैसा बड़े बुजुर्गों ने कहाँ हैं

    ख़ुशी बांटने से बडती हैं... और यहाँ सब से बड़ी बात हैं भारतियों का परिवार शायद परिवार ही इतने बड़े होते हैं की हमे और लोगों की ज़रूरत ही नहीं हैं...

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  2. good one i agree wid u nd monu

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  3. Hi Gudiya.
    Keep writing. I don't agree with you here especially.
    I feel that your thoughts were not well structured while writing this. And it ended in you looking at the English culture as a complete stranger. These are the common impressions about the West on all Indians.
    I believe every social, political, religious activity has a root in its Time and Space.
    We in India do things in our way because we are a tropical country which is over full of people. We are primarily an agrarian society.
    In the same way, West has evolved in this society because they have a polar climate, are scarcely populated and are a peasant oriented society.
    I am expecting you to comment on them not as an Indian tourist but as an Indian who is living amongst them for last 5 years.
    Good Luck.
    NIMISH

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  4. mere anubhav bahut he acchey hai , aur tyohaaro ka kya hai khao piyo mel-jol baraho aur mast raho ......

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  5. विस्तृत, सकारात्मक और सुन्दर आलेख पल्लवी जी - अच्छा लगा पढ़कर। साथ ही यह भी की अपने देश की माटी की महक भी आपको याद है। सचमुच पश्चिमी देशों के वनिस्पत भारत का सामाजिक जीवन आज भी श्लाघ्य है। एक सलाह - बुरा मत मानियेगा - मेरे हिसाब से त्योहार लिखा जाना चाहिए न कि त्यौहार। शुभकामनाएं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  6. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  7. अच्छा प्रयास , बधाई

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  8. आपने बड़ा मस्त हो कर खुशीयों में डूबते उतरते हुए इस लेख को लिखा है हमें बखासकर इसका अंत बहुत खूबसूरत लगा..बहुत बहुत बधाईयाँ...बहुत बहुत मिठाईयाँ...उत्सवों का त्य्हारों का मौसम तो शुरू हो ही चुका है...दीवाली का मज़ा यहाँ भारत में उठाईये फिर क्रिसमस यू. के . में...

    सादर

    चन्दर मेहेर
    कृपया इन ब्लॉग्स में ज़रूर पधारीयेगा हमें खुशी होगी...

    lifemazedar.blogspot.com
    kvkrewa.blogspot.com

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  9. शिक्षाप्रद आलेख के लिए धन्यवाद् और अंत में बहुत सच्चा और अच्छा सन्देश "राम रहीम एक हैं एक हैं काशी काबा'' .....जय हिंद"

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  10. .क्यूंकि ''राम रहीम एक हैं एक हैं काशी काबा'' देखिये आप का जीवन भी कैसे खुशियौं से भर जाता है ... .....जय हिंद wah!

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  11. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है।
    आपको और आपके परिवार को नवरात्र की शुभकामनाएं।

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  12. आपके आलेख की निम्न पहली पंक्ति ही बहुत कुछ कहती है।

    ".........त्योहार जो अपने आप में ही एक ऐसा अर्थ छुपाये होते है जिसका मतलब होता है ख़ुशी, क्यूंकि त्योहार का मकसद ही तभी पूरा होता है जब आप के दिल में ख़ुशी हो,.........."


    मुझे इसका गहरा अहसास है कि बिना खुशी के त्यौहारों का कितना महत्व होता है?

    सार्थक लेखन के लिये आभार।

    यदि आपके पास समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष किसी के काम आ जाये।
    http://umraquaidi.blogspot.com/

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  13. ब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है। आप बहुत ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुंचाईये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
    ‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    मालीगांव
    साया
    लक्ष्य

    हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
    अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से

    कृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।

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  14. ख़ुशी बांटने से बडती हैं... और यहाँ सब से बड़ी बात हैं भारतियों का परिवार शायद परिवार ही इतने बड़े होते हैं की हमे और लोगों की ज़रूरत ही नहीं हैं...

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  15. ख़ुशी बांटने से बडती हैं|

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  16. Good work... aur kya main es per comment doon already people has written so much...

    My wishes are always with u..

    keep going..

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  17. You are right, thanks for posting this it reminds us to celebrate each festival with as much joy as we can to eliminate all negativities around us.

    Best Wishes

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  18. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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  19. लन्दन में त्यौहार कैसे मनाये जाते हैं ये मुझे थोड़ा बहोत पता है, कुछ मित्र हैं लन्दन में रह रहे...

    फिर भी बहुत कुछ जाना आपके इस पोस्ट से...
    सुन्दर पोस्ट...

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  20. पल्लवी जी, आप मेरे ब्लॉग गाने-साने पे आयीं..इसके लिए धन्यवाद...वो हम मित्रों ने मिल कर गीतों की एक महफ़िल बनाई है,

    मेरा पर्सनल ब्लॉग है मेरी बातें..

    कभी फुर्सत रहे तो आइयेगा.

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  21. accha anubhav hai....padkr accha lga....

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  22. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि
    खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
    स्वरों में कोमल निशाद
    और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है,
    पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है,
    जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
    ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि
    प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती
    है...
    My web-site :: खरगोश

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