सबसे पहले तो आप सभी को हमारी ओर से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
माँ भवानी आप सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें !!
जय माता दी
माँ भवानी आप सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें !!
जय माता दी
यूं तो त्यौहारों का महीना रक्षाबंधन के बाद से ही शुरू हो जाता है आये दिन कोई न कोई छोटा बड़ा त्यौहार चलता ही रहता है जैसे कल से नवरात्री प्रारंभ होने जा रही है उसके बाद दशहरा फिर करवाचौथ और फिर दिवाली उसके बाद आती है देव उठनी ग्यारस और फिर जैसे विराम सा लग जाता है सभी त्यौहारों पर, तब कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है, या यूं कहिए की उस वक्त ऐसा लगने लगता है जब बहुत से शोर मचाने वाले हल्ला गुला और मस्ती करने वाले बच्चे अचानक से शांत हो जाते हैं और पूरे माहौल में शांति ही शांति पसर जाती है। उन दिनों भले ही उस कान फाड़ू स्पीकर पर बजते फिल्मी गाने या उन गानों पर आधारित भजन से भक्ति रस का एहसास मन में ज़रा भी ना जागता हो, मगर माहौल का जोश कुछ दिनों के लिए ही सही अपनी जीवन शैली में ऊर्जा का संचार ज़रूर किया करता है और किसी का तो पता नहीं क्यूंकि सब की पसंद अलग-अलग होती है। मगर मुझे वो जोश से भरा माहौल बहुत पसंद है। हांलांकी उस माहौल से बहुत से बीमार व्यक्तियों को और विद्यार्थियों को बहुत नुकसान पहुंचता है। मगर इस सबके बावजूद मुझे गणेश उत्सव के 10 दिन और नवरात्रि के 9 दिन और फिर दशहरा उत्सव का माहौल बहुत ही अच्छा लगता है।
मुझे ऐसा लगता है उन दिनों जैसे सूने से बेजान शहर में जैसे किसी ने जान फूँक दी हो, चारों ओर चहल-पहल नाच गाना झूमते गाते लोग छोटे मोटे मेले झांकी का आकर्षण झांकियों में विराजमान माँ दुर्गा की मूर्ति का आकर्षण, पूरे शहर भर में किस स्थान की मूर्ति सभी मूर्तियों से ज्यादा सुंदर है और कहाँ की झांकी में क्या बना है कौन सी झांकी कितनी भव्य है इत्यादि-इत्यादि ....मैं जानती हूँ मेरी इस बात पर बहुत कम लोग ऐसे होगे जो मुझसे सहमत हों। क्यूंकि इस सब बातों के नाम पर अगर कुछ होता है तो वह है पैसों की बरबादी शहर के छोटे-छोटे तालाबों या नदियों का विसर्जन के वक्त गंदा होना और एक बार विसर्जन होने के बाद उन भव्य एवं विशालकाय मूर्तियों की बेकद्री सब पता है मुझे, मगर फिर भी उसके बावजूद इन दिनों जो शहर का माहौल होता है वो बहुत लुभाता है मुझे, बहुत याद आती है इन दिनों भोपाल की खासकर गरबा देखने जाने की जिसमें लोग जाते ही हैं सिर्फ और सिर्फ मस्ताने के लिए, उन दिनों कोई थोड़ी बहुत या यूं कहें कि हल्की फुल्की छेड़ छाड़ का बुरा भी नहीं मानता, कोई त्यौहार के जोश में लोग इस कदर झूम रहे होते हैं कि ऐसी छोटी मोटी बातों पर ज्यादा कोई ध्यान तक नहीं देता पूछिये क्यूँ ...क्यूंकि लोग जाते ही वहाँ यही सब करने के लिए हैं ।
सबसे अच्छी बात तो यह है कि भले ही लोग पूरे साल लड़का लड़की का भेद भाव कर-करके मरे जाये, भले ही सारे साल लड़कियों को कहीं बाहर जाने की अनुमति न हो, मगर इन दिनों दोस्तो और आस पड़ोसियों की देखा देखी सभी को बाहर जाने का मौका और अनुमति मिल ही जाती है और कम से कम इन दिनों लोग ,लोग क्या कहेंगे को एक अलग ढंग से देखते हुए अनुमति दे ही देते हैं। कल से नवरात्रि शुरू हो रही है और मुझे भोपाल की बहुत याद आरही है मगर सिवाय याद करने के मैं और कुछ कर भी नहीं सकती दोस्त यार गरबे में जाने की बातें कर-करके जला रहे हैं कहाँ क्या बना है बता रहे हैं कौन-कौन सा सेलेब्रिटी आने वाले हैं यह बता रहे हैं और मैं बस सब सुने जा रही हूँ और शुभकामनाओं के साथ कहे जा रही हूँ जाओ यार माँ दुर्गा तुम सब की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करे जय माता दी ....:)
त्योहारों की श्रृंखला आ पहुँची है. यह मीठाइयों का मौसम मुझे बहुत लुभाता है. "जाओ यार माँ दुर्गा तुम सब की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करे" यह अंदाज़ अच्छा लगा. जय माता दी.
ReplyDeleteचर्चा मंच सजा रहा, मैं तो पहली बार |
ReplyDeleteपोस्ट आपकी ले कर के, "दीप" करे आभार ||
आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (17-10-12) को चर्चा मंच पर | सादर आमंत्रण |
सूचनार्थ |
आप सबको नवरात्रि की शुभकामनायें।
ReplyDeleteअष्ट भुजाधारी माँ नवदुर्गा आपको एवं आपके स्नेही परिजनों
ReplyDeleteको अपने नौ रूपों से
१. बल
२. सम्पदा
३. समृद्धि
४. सम्पन्नता
५. सफलता
६. स्वास्थ्य
७. निर्भीकता
८. ऐश्वर्य
९. वैभव ........ प्रदान करे.."
9- नव का जलवा.......
ReplyDeleteनवमासा, नवग्रह, नवद्वार, नवमी, नवरात्री, नवरस, नवखंड, नवरत्न, नवधातु, नवनिधि,और कितने नाम है जो 9- की महत्ता को दर्शाते है|
नवमासा- गर्भ का नवां महीना नवमासा, कहलाता है|
नवग्रह- सूर्य,चंद,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि,राहु केतु, भारतीय ज्योतिष के नवग्रह है|
नवद्वार- दोआंख, दो कान, दो नाक, मुख, गुदा,लिंग,मिलकर नवद्वार कहलाते है|
नवमी- चन्द्रमास के दोनों पक्षों की नवीं तिथि को नवमी कहलाती है,'नौमी तिथि मधुमास ,
पुनीता,भगवानराम का जन्म भी नवमी तिथि को हुआ था|
नवरात्र - नवरात्र में पूजनीय नौ कुमारियाँ है,जिनमे इन नौ देवियों की कल्पना की जाती है
कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा,पुराण मत के
अनुसार नौ दुर्गाऐ नवरात्रि में पूजन होता है- शैलपुत्री, ब्रहाचारिणी, चंद्रघंटा ,कुष्मांडा, स्कन्दमाता,
कात्यायनी ,कालरात्री, महागौरी,और सिद्धिता|
नवरस- श्रींगार, करुण, हास्य, रौद्, वीर, भयानक, वीभत्स, अदभुत, शांत,- काव्य के अनुसार
ये नौ रस है|
नवखंड- भरत, इलावृक्ष, किंपुरुष, भद्र, केतुमाल, हरि, हिरण्य, रम्य, कुश,ये पृथ्वी के नवखंड है |
नवरत्न- हीरा, पन्ना, माणिक्य,मोती,गोमेद, लहसुनिया,पदमराग, मूंगा, नीलम,ये नौ रत्न ह|
नवधातु-सोना, चांदी, लोहा, सीसा, तांबा, रांगा, इस्पात, कांसा, कांतिलोहा, ये नवधातु है|
नवविष-वत्सनाम, हारिद्रक, सक्त्क, प्रदीपन, सौराष्ट्क, कालकूट, हलाहल, ब्रहमपुत्र, श्रगडक,
विष समुन्द्र मंथन से निकला था|
नवनिधि- पद्र्म, महापदम, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील, वाच्य्र, कुवेर के खजाने की
नौ निधियां है|,,,,,
पोस्ट पर आइये स्वागत है,,,,,पल्लवी जी
RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी
RECENT POST: माँ,,,
त्यौहार होते ही हैं रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ अलग करने के लिए.नवरात्रि की शुभकामनायें. गरबा यहाँ भी बहुत जम के होता है आ जाओ :)
ReplyDeleteत्योहारों का मौसम आगया..आप को नवरात्रि की शुभकामनाएं
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें नवरात्री की.... घर से दूर घर की याद ही सहारा है....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति.हेतु ......आभार
ReplyDeleteस: परिवार नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार कीजियेगा.
्सुन्दर प्रस्तुति……नवरात्रि की शुभकामनायें
ReplyDeleteमुंबई का गरबा दो तीन बार देखा इतना अच्छा लगा एक धुन पर सबका थिरकना सब अपने में मस्त बहुत अच्छा लगता था त्योहारों से ही तो अपने देश की पहचान है जय माता दी आपको भी शुभकामनाएं
ReplyDeleteनवरात्रि की ढेरों हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteआपका अनुभव दिल को भाता है.
पल्लवी जी...आपने हमें पटना की याद दिला दी...दुर्गा पूजा में पटना को बहुत मिस करते हैं हम...
ReplyDeleteविचारोत्तेजक आलेख।
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteकृपया आप इसे अवश्य देखें और अपनी अनमोल टिप्पणी दें
यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार
हमारी सांस्कृतिक परंपराएं हमें मानव होने का अहसास दिलाती हैं।
ReplyDeleteशुभकामनाएं।