साल 2020 अर्थात 21वी सदी का वो भयानक साल जिसमें करोना नामक महामारी के चलते आज सारी दुनिया खत्म होने की कगार पर खड़ी है। तीन पीढ़ियों ने यह महामारी देखी और झेली सभी को याद रहेगा यह साल। इतिहास के पन्नों में फिर एक बार दर्ज होगा, दुख दर्द एक असहनीय पीड़ा एक ऐसा जख्म जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाएगी। क्यूंकि यह सिर्फ अपनों के दूर चले जाने मात्र की बात नहीं है, बल्कि अपनों के अंतिम संस्कार या आखरी बार उन्हें ना देख पाने, आखरी बार उन्हें ना छू पाने, एक आखरी बार उन्हें अपने गले से लगाकर ना रो पाने का वो दर्द है जो दिल में घुटकर रह गया। इसलिए जब तक यह सांस है इस शरीर में प्राण है तब तक यह साल याद रहेगा।
कहने को तो हम ना जाने कितने वर्षों से बदलाव की बातें करते चले आ रहे हैं, इक्कीसवीं सदी की बातें करते चले आ रहे हैं पर सही मायनों में देखा जाये तो आज भी क्या बदला है ? कुछ भी तो नहीं, दुनिया जहां थी आज भी वही हैं। विदेशों में गोरे काले का भेद नहीं बदला, हमारे यहाँ हिन्दू मुसलमान का भेद नहीं बदला, अपने मनोरंजन के लिए बेज़ुबान जानवरों की बली चढ़ाने या उन्हें प्रताड़ित कर मरने के लिए छोड़ देने का चलन नहीं बदला।
केरल में उस मासूम गर्भवती हथनी को पटाखों भरा अन्नानास खिलाये जाने और फिर मरने के लिए छोड़ देने वाली शर्मनाक घटना के बाद मानव की मानव के प्रति ईर्ष्या नहीं बदली, लोगों के अंदर की दरिन्दगी नहीं बदली, जो पहले ही क्रूर था वह और ज्यादा क्रूर होता चला गया। इंसान रह गया इंसानियत मरती चली गयी। मेनका गांधी के विचार सुनने के बाद तो यही लगता है जिस प्रकार उन्होंने बताया कि केरल के उस इलाके में सरकार की भी नहीं चलती गुंडाराज है वहाँ तो इसका मतलब उन मासूम बेजुबानों की सुनने वाला वहाँ कोई नहीं है। सब कुछ वैसा का वैसा ही तो है, कुछ भी तो नहीं बदला सिवाय सरकार के...!
ऐसे हालातों में जब संवेदनशील होते हुए एक दूसरे के प्रति सद्भावना रखने का समय है तब भी अपराधियों के मन की मनःस्थिति नहीं बदली अपराधों में कोई गिरावट नहीं, यह सब पहले भी होता था, आज भी हो रहा है और यदि यह दुनिया बची तो आगे भी होता रहेगा। सच कहूँ तो अब ऐसी खबरों के बाद मुझे तो यही लगता है कि यह दुनिया अब रहने लायक नहीं बची। कोई खुश नहीं है इस धरा पर न इंसान, न जानवर, न प्रकृति, तो फिर किस के लिए जी रहे है हम...? जी भी रहे हैं या सिर्फ सांस ले रहे हम...? आखिर ऐसा कब तक चलेगा। कब तक ...?
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बहुत गंभीर विषय है, सच जिस इंसान को परमात्मा की सर्वोत्तम कृति माना जाता है, उसके कारनामे देख उस परम पिता ने भी उससे ऑंखें मूँद ली है यही लगता है। कितना कुछ भी घटित हो जाय लेकिन क्या इंसान अपने आप को बदल पाएगा, यह कोई नहीं कह सकता है।
ReplyDeleteकुछ लोगों की गलतियां बहुत लोगों पर भारी पड़ जाता है
सार्थक एवं सारगर्भित आलेख।
ReplyDeleteपर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सच कहा आपने शब्द शब्द इंसान सदियों से इतना ही निष्ठुर व निर्दयी रहा है आज बेशक हम खुद को विकसित व आधुनिक सभ्यता के रूप में प्रचारित करें किंतु वास्तव में हम अभी इंसानियत का पाठ भी ठीक से नहीं सीख सके । सार्थक पोस्ट।
ReplyDeleteइंसानियत मर चुकी है अब इंसान बन रहा है हैवान
ReplyDeleteसार्थक और बेबाक आर्टिकल के लिए बधाई
पल्लवी जी
ReplyDeleteआप बहुत ही संवेदनशील तथा भावुक हैं ! इन गुणों को बचाए रखें। पर जहां तक दुनिया के ख़त्म होने की कगार पर पहुँचने की बात है तो इसके पहले भी संसार इससे कहीं भयानक हादसों, बिमारियों, युद्धों की त्रासदी झेल चुका है ! अपने करोड़ों वाशिंदों को काल का ग्रास बनते देख चुका है ! पूरे-के पूरे शहरों को जमींदोज होते, प्रजातियों को मिटते, जल को थल, थल को जल में बदलने का गवाह रह चुका है। हथिनी को चाहे किसी भी कारण प्रताड़ित किया गया हो वह क्षम्य नहीं है पर दूसरी खबर पर भी ध्यान दीजिए जहां एक नन्हें मासूम ने खतरा मोल ले नाजुक से शावक की जान बचाई ! आज हजारों लोग अपनी जान की परवाह ना कर दूसरों की जिंदगियां बचाने के लिए कमर कसे हुए हैं ! इस विकराल संकट काल में भी क्या आपने किसी शहर, गांव, हाट, बाजार में किसी पशु या पक्षी को बिना दाना-पानी भूखे-प्यासे मरते देखा-सुना है ! किसी एक वहशी की दरिंदगी से पूरी मानव जाति का आकलन, हांडी में पकते चावल की तरह उसके एक दाने को मानदंड मान कर नहीं किया जा सकता ! जरा सकारात्मक सोच ले दुनिया पर नजर डालें आपको हर ओर अच्छाई दिखने लगेगी ! दुनिया में सदा अच्छे लोगों की तादाद ज्यादा रही है तब ही तो बची हुई है यह हमारी कायनात !
बहुत विचारणीय आलेख। 21वीं सदी में बस यही हुआ कि तकनीकी रूप से हम काफ़ी समृद्ध हुए लेकिन सामाजिक मानसिक रूप से कुछ नहीं बदला। ईर्ष्या द्वेष क्रूरता और बढ़ी ही है पूरी दुनिया में।
ReplyDeleteजो चल रहा है, वो हमेशा चलता रहा है, हमेशा चलता रहेगा. कोशिश हम लोगों की ये होनी चाहिए कि उस चलने की रफ़्तार क्या हो....
ReplyDeleteबढ़िया आलेख
आभार सहित धन्यवाद आप सभी का 🙏🏼
ReplyDeleteWell said mam
ReplyDeleteHug Day Gifts to India Online
ReplyDeleteThanks for sharing information Birthday Cakes Online Delivery in India for all readers.
ReplyDeleteVery well written content. Keep up the good work .ISO 45001 2018
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