Saturday, 17 April 2021

राजस्थान डायरी भाग -6

रेत के टीलों पर बना हुआ एक ऐसा दुर्ग जिस पर सूरज की किरणें पड़ती है तो सोने की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है। राजस्थान का ऐसा दुर्ग जो यदुवंशी भाटी शासकों के गौरवान्वित इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है। कहते हैं इस दुर्ग में पहुंचना इतना कठिन हुआ करता था कि अबुल फ़ज़ल ने खुद कहा था जो आगे चल कर कहावत बन गयी "घोड़ा कीजे काठ का पग कीजिये पाषाण और अख्तर कीजिये लोह का तब पहुँचे जैसाण" अर्थात लकड़ी का घोड़ा कीजिये पत्थरों के पैर कीजिये और अपना शरीर लोहे का करना होगा तब जाकर आप जैसानगढ़ यानी कि आप इस दुर्ग तक पहुंच सकते हैं।

जैसाण गढ़ का दुर्ग राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है इसकी नींव 12 जुलाई 1155 को जैसलमेर के भाटी वंश के शासक जैसल भाटी ने रखी थी। परंतु वह यह दुर्ग का पूरा निर्माण नहीं करा पाये थे क्योंकि उनकी मृत्यु हो गयी थी और उनकी मृत्यु के बाद भाटी वंश के अगले शासक बने थे उनके पुत्र शालीवान द्वितीय तो इस दुर्ग का अधिकांश भाग का निर्माण शालीवान द्वितीय ने ही करवाया था। इस दुर्ग को बनाने में लगभग 7 वर्षों का समय लगा था। इस दुर्ग की यह विशेषता है कि इसे पीले पत्थरों से बनाया गया है और इस दुर्ग में कहीं पर भी चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है और जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया कि सूरज की किरणें पड़ने पर यह दुर्ग सोने की तरह चमकता है, इसलिए इसे सोनार गढ़, सोन गढ़, स्वर्ण गिरी के नामों से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं इसे राजस्थान का अंडमान, रेगिस्तान का गुलाब एवं गलियों का दुर्ग या गलियों का शहर भी कहा जाता है। 

ऐसा क्यों कहा जाता है। तो भई ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दुर्ग के अंदर कई सारे मकान बने हुए है। जिसके कारण यहाँ कई सारी गालियां भी है। जहाँ बहुत से लोग रहते है। इसलिए इस दुर्ग को राजस्थान का दूसरा जीवित दुर्ग भी कहते है पहला था चितौड़गढ़ दूसरा है यह जिसमें लोग रहते है इस दुर्ग की बहुत सी खूबियाँ है जैसे जिस पहाड़ी पर यह दुर्ग स्थित है उसे दो परकोटों से घेरा गया है और ऊपर से देखने में यह परकोटा किसी लहरिया घाघरे की तरह प्रतीत होती है। इसलिए इसे कमर कोट या पाड़ा भी कहते हैं। क्या आप जानते है इस दुर्ग में 99 भूर्ज है यानी 99 खंबे हैं। 

अब राजस्थान की बात हो और जोहर का जिक्र ना हो, तो राजस्थान का इतिहास अधूरा सा लगता है नही ..? लेकिन आज मैं बात करूँगी यहां हुए (ढाई साकों) की अब यहां पर हुआ यह कि पहले दो साके तो पूरे हुए यानी यौद्धाओं ने केसरिया भी किया और वीरांगनाओं ने जोहर भी किया था। लेकिन जो आधा रह गया उसमें यौद्धाओं ने केसरिया तो किया था किंतु वीरांगनाओं ने जौहर नहीं किया था। अर्ध साके की जानकारी तो है जो कि 1550 में हुआ था किन्तु पहले दो साकों की समय अवधि निश्चित नहीं है पर राज स्थान में जितने भी साके हुए या जौहर हुए उन सबकी वजह था यह अलाउदीन खिलजी इसके कारण 1301 में इसने रणथंबोर पर आक्रमण किया था वहां साका की घटना हुई, फिर सन 1303 में चित्तौड़ पर आक्रमण किया वहां जौहर की घटना हुई। जिसके बारे में आपको पहले भाग में बता चुकी हूं। फिर इसने सन 1308 में शिवना पर आक्रमण किया वहां भी जौहर की घटना हुई। सन 1311 में जालौर पर आक्रमण किया वहां भी जौहर की घटना हुई। और इसी सबके चलते इसने यहां भी आक्रमण किया था और यहां भी साका की घटना हुई।

अब इस पहले साके के बीच की कहानी कुछ ऐसी है कि अलाउदीन खिलजी का जब शाही खजान मुल्तान से दिल्ली की ओर जा रहा था जिसका रास्ता जैसलमेर से होकर जाता था। उस खजाने को यहां के शासक (जैत्रसिंह) और उनके दो पुत्रों ने लूट लिया और यहां जैसलमेर दुर्ग में लेकर आ गये। जिस से नाराज़ होकर खिलजी ने इस किले की घेरा बंदी की जो कि लगभग 6 से 8 वर्ष तक चली और फिर किले में खाने पीने का सामान आदि खत्म होने लगा तो (जैत्र सिंह) जी के पुत्र (मूल राज भाटी) और उनके भाई (रतन सिंह) जी के नेतृत्व में युद्ध हुआ जिसमें योद्धाओं ने केसरिया किया और वीरांगनाओं ने साके की घटना को अंजाम दिया। यह तो था पहले साके का मुख्य कारण। 

दूसरे साके के समय जो शासक थे वह थे (रावल दूदा) दिल्ली के शासक (फ़िरोज़ शाह तुगलक) के बीच युद्ध हुआ जिसमें फिर वही वीरों द्वारा केसरिया और वीरांगनाओं द्वारा साके को अंजाम दिया गया।

तीसरे अर्थात अर्ध साके के समय यहां के शासक थे रावल लूलकरण यह साका 1550 में किया गया था। अमीर अली और लूलकरण के बीच हुए युद्ध में लूलकरण तो मारे गए थे। लेकिन भाटियों की जीत हुई थी, इसी कारण यहां साका नहीं किया गया। इसलिए इसे अर्ध सका कहते हैं। 

इस सबके अतिरिक्त यहां 12वी शताब्दी का बना हुआ आदिनाथ जैन मंदिर भी स्थित है जो इस दुर्ग के अंदर बना हुआ है।

दूसरा है स्वांगिया माता का मंदिर यह भाटी शासकों की कुल देवी है यह मंदिर भी दुर्ग के अंदर ही बना हुआ है 

कहते हैं इस दुर्ग के अंदर कई प्राचीन ग्रंथों का भी भंडार हैं। जिन्हें कहते है "जिन भद्र सूरी ग्रन्थ" जहां यह हाथ से लिखे ग्रंथ आज भी रखे हुए हैं। आप वहां जाकर इन्हें देख सकते है।


इसके अलावा यहां भी कई महल है जैसे रंग महल, मोती महलइसे सालिम सिंह की हवेली के नाम से भी जाना जाता है।

बाकी तो रंग महल को भी एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है एक भव्य आलीशान होटल तो यदि आप पैसा खर्च करना चाहें तो यहां रुक सकते हैं। 

इन सब बातों के अतिरिक्त यहां एक कुआं भी है जिसे जैसलू कुआं कहते हैं। इसके पीछे की एक लोक कथा यह है कि भगवान श्री कृष्ण एक बार अर्जुन के साथ यहां घूमते हुए आ गए थे और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से कहा यहां एक कुआं बना दो क्योंकि भविष्य में यहां मेरे ही वंशज राज करेंगे और वैसा ही हुआ। भाटी वंश श्री कृष्ण को ही मानता है और ऐसा कहा जाता है कि यह श्री कृष्ण के ही वंशज है। अब यह आपके ऊपर है कि आप इसे कितना सच मानते है। वैसे मैं यहां आपको श्री कृष्ण की वंशा वाली भी दिखाऊंगी। जो यहां बने एक संग्रहालय में लिखी रखी थी।

खैर यहां तो केवल दुर्ग की ही बातें होती रही। अब बात की जाये यहाँ के अन्य दार्शनिक स्थलों की तो वैसे 10 दार्शनिक स्थल हैं यहाँ लेकिन समय और छुट्टियों का अभाव होने के कारण हम 5-6 जगह ही जा पाए।


पहला था:-यह किला जिसके विषय में मैंने आपको अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास किया है।


दूसरा स्थान है सैम सैंड डीयून्स :- जैसलमेर का असली मजा तो रेगिस्तान में ही आता है ना भईया...! तो बस यही वह जगह है जो कि जैसलमेर से 42 km दूर यह जगह सब से लोक प्रिय आकर्षणों में से एक है। जहाँ आप सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक का मनभावन नज़ारा देख सकते हैं। इसके अलावा यह जगह ऊंट की सवारी यानि (केमल सफारी) के लिए भी मशहूर है और हाँ रात्रि केम्प का आनंद लिए बिना, तो यहाँ से जाना ही नहीं चाहिए।  असली मज़ा तो वही है जब ठंड में कप कँपाते हुए आप केम्प फायर के आस पास बैठकर राजस्थानी लोक गीत, संगीत और नृत्य का आनंद ले सकते हैं।

तीसरा है:- पटवों की हवेली यह जैसलमेर की पहली हवेली है जो पटवा परिसर के पास में ही स्थित है। पूरे परिसर में कुल पाँच हवेलियां हैं जिन्हें कुमंद चंद ने अपने पाँच बेटों के लिए बनवाया था। इसकी नक्काशी देखते ही बनती है।

चौथा है:- बड़ा बाग यह स्थान जैसलमेर शहर से 6 km की दूरी पर स्थित है। यह एक बड़ा पार्क नुमा स्थल है। जहाँ राजस्थान के शासकों के नाम की बहुत सारी छत्रियां बानी हुई है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है जैसे हम दिल दे चुके सनम, कच्चे धागे आदि फोटो खींचने के नज़रिए से यह सब से खूब सूरत स्थान है।

पांचवा है :- कुलधरा गाँव अब इसके विषय में तो आप सभी बखूबी जानते होंगे। पर फिर भी मैं इसका एक संक्षिप्त परिचय दे ही देती हूँ । यह स्थान जैसलमेर से 25 km की दूरी पर एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां पर 200 साल पुराने मिट्टी के घरों को देखा जा सकता है और पता है यह एक शापित गाँव है यहां रात में जाना मना है सूर्य अस्त के पहले ही यहां जाया जा सकता है। इतिहास की माने तो यहां लगभग पाँच शताब्दी पहले (पाली वाल ब्राह्मण) बसे थे। किन्तु किसी कारण वश उन्होंने एक ही रात में पूरा गाँव छोड़ दिया था। और तभी से यह गाँव शापित गाँव माना जाता है वर्तमान में इस गाँव को भारत की टॉप भूतिया जगहों में गिना जाता है। इस जगह को देखने का एक बहुत ही अलग अनुभव रहा था। अरे नहीं नहीं....! मेरी यहां किसी भूत से कोई मुलाकात नहीं हुई थी। डरिए नहीं, ऐसा कुछ भी नही हुआ जो आप सोच रहे हैं। पर हाँ ऐसे सुनसान वियावान जगह में गाइड की बातें सुन सुनकर आपको आत्माओं का आस पास होने जैसा अनुभव जरूर होने लगता है। ऐसा लगता है कि आपके आस पास कोई है पर कोई दिखाई नहीं देता ना ही सुनाई देता है। 

अब तो यहाँ बहुत से घरों का पूर्ण निर्माण करा दिया गया जहां लोग अंदर जाकर घूम सकते हैं फोटो खिचवा सकते हैं गाँव के माहौल का आनंद उठा सकते हैं। पर अन्य स्थल दिन में भी डरावने लगते है। यही उस किले के रहस्य सीरियल कि तरह 90 के दशक वालों को अच्छे से पता होगा इस डरावने धारावाहिक के बारे में क्यूँ याद आया, क्या कुछ...

छटा है :- वार मेमोरियल अब आपको यदि मेरी तरह फिल्मी हैं और आप में भी बॉलीवुड कूट कूटकर भरा है तो बार्डर फ़िल्म आपको अच्छी तरह याद होनी चाहिए। तब ही आप इस जगह का लुफ्त अच्छे से उठा सकते है। मुझे तो सच में मज़ा आ गया था सच BSF के जवानों को देखकर एहसास होता है सच्चे हीरो का वहाँ उन्हें देखकर अपने आप ही सेल्यूट के लिए विवश हो उठाता है मन, इसकी मेमोरियल की स्थापना 24 अगस्त 2015 में हुई थी 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध की स्वर्ण जयंती पर इसे बनवाया गया था। यह मेमोरियल जैसलमेर से 10km की दूरी पर जैसलमेर मार्ग पर स्थित है। 

यहां दो संग्रहालय भी है जिसमें युद्ध के हथियारों और सैन्य वाहनों को प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ साथ भारत पाकिस्तान के युद्ध में प्रयोग किया जाने वाला हंटर विमान को भी देखा जा सकता है। इतना ही नहीं यहां पर एक MP थियेटर सेक्टर भी है। जहां पर उस युद्ध को कुछ असली एवं कुछ बार्डर फ़िल्म से लिये गए छाया चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है। यहां उस युद्ध में इस्तेमाल में लायी गयी कई चीजें रखी हुई है। 

एक टैंक भी है जिसे युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों से छीन कर उस पर अपने भारत का कब्ज़ा कर लिया गया था। जिस पर पर्यटक खड़े होकर बैठकर फोटो जरूर खिंचवाते है। यहां उस युद्ध में शहीदों की स्मृतियाँ भी है।

यहाँ इतना कुछ देखने को मिला दोस्तों कि जिसके बारे में जितना कहूँ उतना कम है। जैसे (तनोट माता का मंदिर) यह वही मंदिर है जो फ़िल्म में दिखाया था ना...? जिसके आस पास बहुत से बम गिरे पर मंदिर का बाल भी बाँका ना कर पाए। यह वही मंदिर है दोस्तों इस मंदिर की देखभाल BSF के द्वारा ही की जाती है और 

यहां आज भी वह भरे हुए बम रखे है जो गिरे पर फटे नहीं। एक अलग ही माहौल है इस मंदिर का जो देखते ही बनता है। जो आपकी नस नस में देशभक्ति की भावना को भरता है। यहीं पास में बिल्कुल युद्ध की जैसी एहसास देने के लिए बंकर भी बनाए हुए हैं। जिनमें जाकर आप महसूस कर सकते है कि कैसा लगता होगा उस वक़्त जब आप युद्ध के मैदान में खड़े होते हो। 

नीचे भी एक माता का छोटा सा मढिया टाइप मंदिर है अब इस बात में शंका है कि यह छोटा मंदिर असली है या ऊपर वाला भव्य मंदिर असली है। पर जो भी है अद्भुत  है। वहाँ जाकर वहां के जवानों से युद्ध का विवरण सुनना जैसे उनका खुद आपको ले जाकर वह कुआं दिखाना जिसमें पाकिस्तानियों ने भारतीय जवानों को मारने के लिए जहर घोल दिया था। अपने आप में किसी शौर्य गाथा से कम नहीं लगता। आज की तारीख में उस कुएं को सीमेंट भर कर बंद कर दिया गया है। बहुत सालों पुरानी घटनाएं नहीं हैं यह, पर इन्हें सुनकर इनके बारे में कल्पना कर के ऐसा लगता है, मानो आप किसी और ही युग में पहुँच गए हैं 

जैसे यह कोई ऐतिहासिक स्थल है जहां की मिट्टी को प्रणाम करने को दिल चाहता है। और मैंने वही किया। और यह राजस्थान यात्रा एक यादगार यात्रा के रूप में मेरे मन में हमेशा के लिए बस गयी और अब तो ब्लॉग भी इसका गवाह बन गया। यह था मेरी राजस्थान यात्रा का अंतिम अध्याय फिर मिलेंगे किसी नये अनुभव के साथ यहीं (मेरे अनुभव) पर, तब तक के लिए नमस्कार  !!

20 comments:

  1. आपके इस आख़िरी भाग से बहुत ही रोचक सफर का अंत हुआ। बहुत बढ़िया वर्णन

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-04-2021) को चर्चा मंच   "ककड़ी खाने को करता मन"  (चर्चा अंक-4040)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
    --

    ReplyDelete
  3. जैसलमेर की सैर तो एक कभी न भुलाया जा सकने वाला अनुभव है किसी भी पर्यटक के लिए। मैं बीस साल से भी अधिक समय पूर्व गया था वहां। अब आपने अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले यात्रा-वृत्तांत द्वारा वहां की सैर पुनः करवा दी। हार्दिक आभार एवं अभिनंदन आपका।

    ReplyDelete
  4. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. बहुत रोचक जानकारी मिली। आपके साथ हम भी घूमते रहे। बहुत बढ़िया।

    ReplyDelete
  6. Thanks for the useful post! I would not have gotten this otherwise!
    Hanging and wiving go by destiny.
    Thought I would comment and say neat theme, did you make it yourself? Its really really good!
    For centuries, theologians have been explaining the unknowable in terms of the-not-worth-knowing.
    Soft Trending

    ReplyDelete
  7. Fascinating articles but I wanted to ask about one page, do you know Daily Deals? ciao!
    Could you message me with a few hints about how you made your blog site look this awesome, I would be thankful!
    Assets just like the one you talked about here might be very helpful to me! I will submit a link to this page on my blog. I am positive my guests will discover that softtrending

    ReplyDelete
  8. Music began playing when I opened this webpage, so frustrating!
    Is it alright to post some of this on my website if I include a reference to this page?
    Sarah Berger

    ReplyDelete
  9. otfile Downloads and more.|Visit rapidshare movies for XRumer Cracked, cracked softwares and more.
    hey I'm not able subscribing to your RSS feed. Can you help or do you know why? thanks for the assistance.
    Thank you, Ive recently been looking for information about this subject matter for ages and yours is the best Ive found so far.
    Nice post! GA is also my biggest earning. Hoshopbymark

    ReplyDelete
  10. शानदार ! बड़ा ही सुन्दर लिखा है आपने ! इसके लिए आपका दिल से धन्यवाद। Visit Our Blog Zee Talwara

    ReplyDelete
  11. his is really a very cool blog, thanks a lot for this! Ive read a great deal about this topic in the past and I agree with you.
    Then again, slap the cat and spit on the fire! It is not difficult fellows and is right in front of you.
    Osodium hypochlorite amazon
    china air purifier
    korean air purifier brands

    ReplyDelete
  12. I'm having a tiny problem I cannot make my reader pick up your rss feed, I'm using google reader fyi.
    To the point and written well, ty for the information
    shopbymark

    ReplyDelete
  13. Few months ago i was reading something about it. You did good job here.
    This is my first time I have visited your site. I found a lot of interesting stuff in your blog. From the tons of comments on your posts, I guess I am not the only Sarah Berger

    ReplyDelete
  14. https://pandeyarchana.blogspot.com/?m=1

    ReplyDelete
  15. Thank you for the information , I wait for more information and I ask for a return visit our new website. Free me Download krein: Mahadev Photo

    ReplyDelete
  16. आपके लेखन की जितनी तारीफ की जाए उतना कम🙏

    ReplyDelete
  17. Excellent post. Keep posting such kind of info on your blog.

    ReplyDelete

अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए यहाँ लिखें