याद आ गयी तो में आपको बता देती हूँ अभी-अभी जो यह एक संगीत का कार्यक्रम शुरू है न जिसका नाम x-factor है सोनी चैनल पर आप ने भी देखा होगा अभी कुछ दिन पहले मैंने Twitter पर लता मंगेशकर जी की एक tweet पढ़ी थी जिसके ज़रिये उन्होने अपने विचार प्रस्तुत किये थे जिसमें उन्होने कहा था कि उनको भी यह कार्यक्रम बहुत पसंद आया, मुझे भी यह कार्यक्रम बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि इसमें उन लोगों को भी अपनी किस्मत और अपने शौक को लोगों के सामने लाने का मौका मिलता है जिसने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा या तालीम नहीं ली है.
खैर मैं आप सभी के साथ इस विषय पर बात करना चाहती हूँ कि संगीत क्या है वो जो शास्त्रीय संगीत, जिसकी तालीम के बिना कोई भी या किसी भी प्रकार का संगीत अधूरा होता है या, वह जो आप के कानों को अच्छा लगता है। फिर चाहे उसमें शास्त्रीय संगीत की तुलना में कितनी भी त्रुटि क्यूँ न हो या फिर, वह जो हम बिना किसी वाद्य के सुनते है या कभी-कभी खुद ही गुनगुनाते हैं। कहने वाले कहते हैं संगीत प्यार की तरह होता है जिसका कोई धर्म नहीं होता। कोई जाति भी नहीं होती, होता है तो सिर्फ संगीत जो मन को सुकून देता है जो मन को खुशी देता जो ग़म को भी मधुर बना देता है संगीत एक ऐसी चीज है जिसे जब आप खुश होते हैं तब भी पसंद करते है और जब दुःखी होते है तब भी पसंद करते है। यह कुछ ऐसी बात है जैसे एक पुरानी हिन्दी फिल्म का नाम था “दुल्हन वही जो पिया मन भाये” और यदि यही बात संगीत के विषय में कही जाए तो “संगीत वही जो जिया मन भाये”J है ना
मुझे ऐसा लगता है की संगीत और प्रेम में कोई फर्क नहीं है जिस तरह आप का प्यार हो जाता है तो फिर कोई और मन को नहीं भाता फिर चाहे वह किसी भी जाती या धर्म का ही क्यूँ ना हो ठीक उस ही तरह जब एक बार संगीत की धुन लग जाती है तो फिर कुछ और पसंद नहीं आता फिर चाहे वो पाश्चात्य संगीत हो या हमारे हिन्दी फिल्मों के नये पुराने गीत। बस एक बार यदि गाने सुनने का चसका लग गया तो फिर आप कहीं भी हो कभी बोर नहीं हो सकते और यहाँ (U.K) का तो फैशन भी यही है यहाँ बसों में ट्रेन में लोग पूरे समय अपने कानों में Head phone के ज़रिये संगीत सुनते रहते हैं। खैर यह तो संगीत के प्रति मेरा मत है।
यही बात इस कार्यक्रम में बहुत अच्छी तौर पर उभर कर सामने आई है इसमें वो लोग भी चुने गए हैं जिसने कभी किसी प्रकार की कोई संगीत शिक्षा नहीं ली और वो भी चुने गए हैं जिसने पूर्ण रूप से संगीत की शिक्षा गृहण की है और शायद यही वजह है कि आम लोगों में भी यह कार्यक्रम लोक प्रिय हो रहा है। जिसमें कई सालों से संगीत के क्षेत्र में काम कर रहे लोग को भी चुना गया है और एक साधारण से आटो चलाने वाले को भी उसके गाने को सुन कर चुना गया। उसकी आवाज को सुन कर उसे चुना गया यही बात मुझे बहुत अच्छी लगी कई लोगों को उन की आवाज़ अच्छी होने के कारण चुन लिया गया तो कुछ ऐसे भी थे जिनको सुर की त्रुटि के कारण निकाल दिया गया, कुछ के साथ जज का दिया गया निर्णय एक दम सही लगा, तो कई बार ऐसा लगा की गलत हुआ। ऐसा मेरा अपना मत है। अन्ततः बस यही कहा जा सकता है की जिस तरह प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता, ठीक उसी तरह संगीत को भी कभी भी किसी भी भाषा में परिभाषित नहीं किया जा सकता इसलिए “सुनो सुनाऔ लाइफ बनाओ” जय हिन्द.....
वाह. इस बार आपका आलेख संगीतमय है. मेरा जीवन गंभीर पठन-पाठन के बोझ तले दबा है. अब लगने लगा है कि आपकी लेखन शैली जीवन के अनुरूप है जो विषय को लेकर गंभीर है लेकिन attitude बोझिल नहीं है. आपने सही कहा है कि 'संगीत एक ऐसी चीज है जिसे जब आप खुश होते हैं तब भी पसंद करते है और जब दुःखी होते है तब भी पसंद करते है।' यही संगीत की शक्ति है.
ReplyDeleteaap to writer banne wali ho....................jaldi
ReplyDeleteA suoer line:
ReplyDelete" All of us Do not have Equal Talent...
But
All of us Have an Equal Opportunity to Develop our Talents
..................................................
JAI HO
Hi pallavi,
ReplyDeleteTotally loved this musical article.
Music is my passion too. I can listen Mohd Rafi to SONU NIGAM Bryan adams to Bruno mars at a same time :) Indeed music has no boundaries " SANGEET WAHI JO JIYA MAN BHAYE " so true.
I am also following 'X Factor' India and One big reason is SONU NIGAM:) But on a serious note I really liked the concept of the programme that AGE NO BAR to participate.I've surprised to see 60+ man performing on mohd. rafi's song in X Factor and it was just amazing.
Best wishes
shweta
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeletehi neha, i perceive music as a therapy which can heal any wound,can cure any disease or can make impossible possible.Itis supernatural& divine.anyways cheers for x factor for providing good big platform to deserving talent and music lovers.it also promote music among them who due to various reasons cannot pursue it.i m sure there r thousands of them.gaata rahe mera dil.........melodius life ahead.
ReplyDeleteमुझे ऐसा लगता है की संगीत और प्रेम में कोई फर्क नहीं है - बहुत खुबसूरत तुलना पल्लवी जी - अच्छा लगा पढ़कर.
ReplyDeleteजीवन का तब अर्थ है जहाँ प्रेम संगीत.
दोनों मिलकर सुमन संग रोज बढ़ाये प्रीत..
सुझाव - श्री लता मंगेशकर जी - जँचा नहीं - उनके नाम के साथ तो श्री और श्रीमती का कोई प्रश्न ही नहीं है - सुश्री भी कम से कम मुझे उचित नहीं लगता - बस लता मंगेशकर जी ही रहने दिया जाय
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
"बस लता मंगेशकर जी ही रहने दिया जाय"
ReplyDeleteश्यामल गुप्ता जी से सहमत हूँ.
बहुत बढ़िया आलेख,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अच्छा पोस्ट है !मेरे ब्लॉग पर आ कर मेरा होंसला बढाए !
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इस कार्यक्रम का बस नाम सुना था...मुझे ये भी पता नहीं था की ये कार्यक्रम संगीत के ऊपर है...खैर, अगर मौका मिला तो देखूंगा जरुर..आपसे जानकारी तो मिल ही गयी..:)
ReplyDeleteऔर वैसे संगीत का जबरदस्त शौक तो मुझे भी है, ये सही कहा आपने की संगीत प्रेमी लगभग सभी लोग हैं, चाहे वो वेस्टर्न म्यूजिक सुने, क्लासिकल, हिंदी फिल्मों के गीत या कुछ और..
पिछले दिनों जब मेरा लैपटॉप खराब था और मनोरंजन का कोई साधन नहीं था मेरे पास तो मेरा आई-पोड सहारा बना...:) मैं बता दूँ आपको, की इसके पहले मुझे कभी कानो में इअरफोन लगा के गाने सुनने की आदत नहीं थी...मुझे अच्छा नहीं लगता था, पता नहीं क्यूँ. पर पिछले एक महीने से लत सी लग गयी, जहाँ भी जाता हूँ शाम को टहलने या बस में...कानों में इअरफोन लगा रहता है :D :D
एक महीने के बाद किसी ब्लॉग में कमेन्ट कर रहा हूँ, और आपसे किये वादे के मुताबिक, पहला कमेन्ट यहीं दर्ज कर रहा हूँ :)
ReplyDeleteतोल्स्तोय ने कहा था कि कोई भी कला तब सुन्दर है जब वो कलाकार की रूह से निकल कर पाठक/श्रोता/दर्शक की रूह तक पहुँचती है.और अगर ऐसा नहीं है तो वो कला सुन्दर नहीं हो सकती.तब तो वही बात हो गई कि ये व्यंजन बहुत स्वादिष्ट है पर खाया नहीं जा सकता.
ReplyDeleteअच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति.
बहुत रोचक आलेख
ReplyDeleteAap ne ek baar phir se bahut accha likha ha,, iss baar sangit ke baare ma...... aapki baat bilkul sahi ha ki sangit ek aisi cheej ha jiska koi "DHARAM" nahi ha jiski koi "SEEMA" nahi ha.. SANGIT hum har halato ma sun sakte ha phir chahe khushi ka mahol ho ya dukh ka.... aur aaone jo X-FACTOR ki baat kahi ha ki issme unn logo ko bhi liya gaya ha jinhone sangit sikha ha aur unn logo ko bhi jo isse sikhna chate ha jase aapne bataya ek auto wala bhi select kiya gaya tha..... aur aapne bhi isse kaphi acche se bataya........ "JAI HIND"
ReplyDeleteBeautifully written post !
ReplyDeletewaisey toh sangeet se apna koi khaas naata nahi hai .. aur ye X factor bhi mai nahi dekhta , par aapne jo likha hai usko parh kar aisa lagta hai ki ye sab sahee he hoga ...bas ehsaas karney ki jaroorat hai ...
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