Tuesday 22 May 2012

शर्मनाक हरकतें और बुज़ुर्ग

फेसबुक पर कभी कुछ लोगों के द्वारा लगाये हुए कुछ चित्रों को देखकर मेरा मन खिन्न हो जाता है। खासकर तब, जब लगाया गया चित्र विभत्स हो या फिर अश्लील। मुझे यह सोचने पर मजबूर कर देता है,कि ऐसी सोशल साइट पर लोग ऐसा कर कैसे लेते हैं और ऊपर से उस चित्र पर लिखी गई टिप्पणियाँ उसे और भी घिनौना बना देती हैं। माना कि जब लगाने वाले को शर्म नहीं तो टिप्पणी लिखने वालों को क्यूँ शर्म आने लगी। जैसे लोग आजकल की अभिनेत्रियों के विषय में कहते हैं जब उनको अंग प्रदर्शन करने और अश्लील दृश्य देने में कोई हिचकिचाहट नहीं तो देखने वालों को क्यूँ हो। मगर क्या वाकई यही सच है ? ऐसे चलचित्रों और तसवीरों को देखने के बाद जो देखने में अश्लील हों, लोगों की अपनी बुद्धि और विवेक घास चरने चला जाता है। जो वह टिप्पणी भी ऐसी लिखते हैं कि किसी तीसरे को पढ़ने भर से ही शर्म आ जाये। मेरे लिए तो यह और भी ज्यादा हैरानी की बात तब हो जाती है, जब कोई बुज़ुर्ग व्यक्ति फेसबुक जैसे सोशल साइट पर इस तरह की कोई हरकत करता है।

एक तरफ ब्लॉग पोस्ट पर लोग बात करते हैं बुज़ुर्गों को सम्मान देने की, वृद्ध आश्रम जैसी संस्थाओं को कम करने का प्रयास करने की ताकि लोगों के दिलों में अपने घर के बुज़ुर्गों के प्रति सम्मान जाग सके। वह उनके महत्व को समझ सकें, उनको अपने पास रख सकें, वगैरा-वगैरा लेकिन कोई यह बताये जब बुज़ुर्ग ही ऐसी शर्मनाक हरकतें करने लगे तो फिर क्या किया जाये। सज़ा तो उन्हें दी नहीं जा सकती। तो फिर कैसे उन्हें समझाएँ कि आप जो कर रहें हैं, वह सब अब आपको इस उम्र में शोभा नहीं देता। इस उम्र में क्या मेरे हिसाब से तो ऐसी हरकतें किसी भी उम्र में शोभा नहीं देती। लेकिन इस पुरुष प्रधान समाज में युवावस्था में ऐसे सौ खून माफ़ होते हैं और बात यह कह कर टाल दी जाती है, कि यह सब तो शरारतों में आता है अभी नहीं करेंगे तो कब करेंगे। "सत्यमेव जयते" में भी बाल शोषण वाले एपिसोड में यह बात सामने आयी थी कि इस बाल शोषण जैसे घिनौने और गंभीर अपराध में भी ज्यादातर बुज़ुर्ग ही शामिल पाये गए। मैं यह नहीं कहती कि उस कार्यक्रम में जो भी दिखाया गया वो सब सौ प्रतिशत सही ही था। लेकिन यदि वह सब यदि पूरी तरह सही नहीं भी था, तो पूरी तरह गलत भी नहीं था। ऐसा हकीकत में भी होता है और इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता।

हांलांकी अभी हाल ही में यह बात भी सामने आयी थी कि उस एपिसोड में जिस बंदे ने यह कहा था कि उसके साथ यह शोषण उसके बालकाल से लेकर पूरे ग्यारा वर्ष तक चला। उसी व्यक्ति ने टीवी पर आने वाले एक और कार्यक्रम "हैलो ज़िंदगी" में खुद को समलेंगिक बताया। यानि व्यक्ति एक और बातें दो अब इनमें से उसकी ज़िंदगी का सच कौन सा है यह कोई नहीं जानता। हो सकता है बचपन में हुए इस शोषण के कारण ही वह आगे जाकर समलेंगिकता में पड़ गया हो। लेकिन हाँ यह बात इस बात की ओर इशारा ज़रूर करती है कि शायद जो दिखाया जा रहा है वह पूरी तरह सच भी न हो, खैर हम तो बात कर रहे थे बुज़ुर्गों के दवारा की हुई इस तरह की शर्मनाक हरकतों पर, तो इस बात से जुड़े ऐसे ना जाने कितने किस्से हैं जो आप को सच्चाई का आईना दिखा सकते हैं। आज भी हमारे समाज में कुछ कुरीतियाँ अब भी विद्धमान हैं जैसे एक अधेड़ उम्र के व्यक्ती से एक जवान लड़की का विवाह करा दिया जाता है क्यूँ ??? यह भी तो एक तरह की शर्मनाक हरकत ही है। भला किसी को क्या हक बनता है कि जब उसके खुद के पैर कब्र में लटक रहे हों तब वह बूढ़ा किसी युवती से विवाह कर उसकी ज़िंदगी भी नरक बन दे।
लेकिन जहां तक मैंने बाल शोषण के बारे में किताबों में पढ़ा, देखा, सुना और जाना है वहाँ मैंने अधिकाधिक किस्सों में बुजुर्गों का शामिल होना ही देखा, सुना। आज की ही बात ले लीजिये आज ही फेसबुक पर भी किसी महाशय ने एक तस्वीर लगाई हुई थी एक युवती झुक कर कुछ उठा रही है और उसकी साड़ी का पल्लू गिरा हुआ है। ऊपर शीर्षक लिखा हुआ था सावधान यह पब्लिक प्लेस है। उस पर कुछ दिगज्जों ने टिप्पणी में लिखा था अरे हमें तो कुछ दिखा ही नहीं, कुछ तो दिखना चाहिए था। तो कुछ ने लिखा था भई वाह मज़ा आ गया कसम से और ऐसा लिखने वाले सभी बुज़ुर्गों की श्रेणी में आने वाले लोग ही थे। अब आप ही बताइये इस तरह के चित्र लगाना और इस तरह के कमेंट देना इस उम्र में शोभा देता है क्या ??  ऐसे बुज़ुर्गों को सम्मान देने से मुझे सख्त इंकार है। माना कि इसमें कुछ हद तक खुद लड़कियां भी शामिल है जो लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जानबूझकर ऐसी हरकतें करती है। मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम भी उनकी देखा देखी खुद अपनी मर्यादा भूल जाएँ और उसी कीचड़ में गिर जाएँ जहां वो गिर रही हैं।

सच ही कहा था आमिर ने बुज़ुर्गों की इज्ज़त करना अच्छी बात है, लेकिन उनसे ज्यादा उनके व्यवहार की इज्ज़त करो, लोग कुछ भी कहें कि यह कार्यक्रम ऐसा है, वैसा है, लेकिन मुझे तो यह कार्यक्रम बहुत पसंद आया कितनी अच्छी सीख दी आमिर ने हमारे बच्चों को ,यह सब देखकर यदि एक बच्चा भी इस शोषण से बच जाये तो इसमें बुराई क्या है। नहीं ? खैर यहाँ मैंने इस कार्यक्रम या आमिर की पेरवी करने के लिए यह सब बातें नहीं लिखी हैं ना ही मेरा ऐसा कोई इरादा है। मैं तो बस इतना पूछना चाहती हूँ कि जब इस देश की नींव हमारे बुज़ुर्ग ही ऐसी हरकतों पर उतर आयें तो हमें क्या करना चाहिए ? नींव इसलिए कहा क्यूंकि मुझे ऐसा लगता है कि यदि देश एक मकान है तो नींव हुए बुज़ुर्ग, दीवारें हुई आने वाली पीढ़ी, क्यूंकि बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं। लेकिन शायद आजकल हो उल्टा ही रहा है बुज़ुर्ग जो देख रहे हैं उस पर बजाए रोक लगाने का प्रयास करने के खुद ही उसे अपनी इन शर्मनाक हरकतों से बढ़ावा दे रहे हैं। आजकल लोग सड़क छाप रोमियों से ज्यादा बुजुर्गों से डरते हैं। सड़क पर चलते हुए जब कोई लड़का किसी लड़की को छेड़ता है या कंमेंट मारता है, तो उस वक्त उस लड़की को बुरा ज़रूर लगता है। मगर शायद उतना नहीं जितना की तब, जब छेड़ने वाला व्यक्ति कोई बुज़ुर्ग हो, रास्ते पर, बस में, ट्रेन में सारे दिलफेंक बूढ़ों को बहुत ही आसानी से मौका मिल जाता है। इस तरह कि घिनौनी हरकतें करने का, बड़ों को छोड़ो ऐसे लोग बच्चियों को भी नहीं बक्षते।

मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है भरी हुई बस में जब किसी बच्चों वाली महिला को बैठने के लिए जगह नहीं मिलती तब अक्सर लोग बच्चों को अपने पास बिठा लिया करते हैं। जो शरीफ होते हैं वो स्वयं उठ जाते हैं जो थोड़े कम शरीफ होते हैं वह बच्चों को कम से कम बिठा लेते हैं। ताकि ब्रेक लगने पर ज्यादा भीड़ हो जाने पर बच्चों को चोट न लग जाये। मगर कुछ तो बच्चों को भी भरी भीड़ में ....क्या कहूँ मुझे तो लिखते हुए भी शर्म आती है। हम हमेशा देश के नोजवानो को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जबकि होना तो यह चाहिए कि हम सभी को इस देश का सच्चा नागरिक होने का फर्ज़ अदा करना चाहिए। फिर चाहे वो कोई बुज़ुर्ग हो या जवान। हैं तो सभी एक ही समाज का हिस्सा इसलिए मेरे नज़रिये से तो ऐसा कुछ होते देख बुज़ुर्गों को भी आगे आना चाहिए और ऐसा कुछ करने वाले अपराधी को समझाना चाहिए कि यह ठीक नहीं, फिर चाहे वो अपराध करने वाला कोई भी क्यूँ न हो, और जैसा कि मैंने ऊपर कहा कुछ हद तक महिलाएं खुद भी जानबूझ कर ऐसी हरकतें करती हैं। मुझे ऐसा लगता है वहाँ भी बुज़ुर्गों को ही आगे बढ़कर उनको टोंकना और रोकना चाहिए। फिर चाहे वो आपके घर परिवार का कोई सदस्य हो या रास्ते पर चलता कोई अंजान व्यक्ति...

ज्यादा से ज्यादा क्या होगा कोई आपकी बात नहीं सुनेगा लोग चार बातें सुनाकर निकल जाएँगे यही ना??? तो वो तो सीधी सी बात है एक दिन में कोई भी क्रांति नहीं लाई जा सकती सब कुछ बदलने में वक्त तो लगता ही है और किसी भी चीज़ की शुरुवात के लिए प्रयास तो करना ही पड़ता है।  वह भी अपने ही घर से लेकिन यदि आप बाहर भी ऐसा कुछ नेक काम करते हैं, तो उसमें आपका ही सम्मान बढ़ेगा। क्यूंकि मुझे ऐसा लगता है ज़माना भले ही बहुत खराब है लेकिन आज भी आम लोग भरी सड़क पर बुज़ुर्गों के साथ बदतमीज़ी नहीं करेंगे। सिवाये आवारा लोगों के ऐसा मुझे लगता है अब हकीकत में भी ऐसा है या नहीं यह तो मैं यहाँ विदेश में बैठकर पूर्णरूप से नहीं कह सकती। लेकिन हाँ यह भी सच है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। मगर यदि कोई संस्था टाइप कुछ बनाकर इस और प्रयास किया जाये तो शायद कुछ सकरात्मक परिणाम सामने आयें। ऐसा मेरा सुझाव है। अब आप लोग ही बताइये कि मेरा सुझाव कहाँ तक सही है जय हिन्द ....

41 comments:

  1. आंखें जो देखती हैं और मन जो समझ लेता है, वह हमेशा सच नहीं होता।
    मोटर साइकिल पर साथ जाते भाई बहन को भी आशिक़ माशूक़ समझ लिया जाता है और अपनी ड़की को विदा करते हुए बाप को भी उसका दूल्हा समझ लिया जाता है।
    दूल्हा जैसा सेहरा इस बुज़ुर्ग के चेहरे पर नहीं है और इन्होंने लड़की का हाथ नहीं पकड़ा है बल्कि इनका हाथ बड़ी अपनाइयत से पकड़े हुए है, जैसे कि विदाई के वक्त एक लड़की अपने बाप का हाथ पकड़ती है।
    यह तो हुई आपके चित्र पर टिप्पणी।

    इसके बावजूद भी बड़ी उम्र के लोग कम उम्र लड़कियों के साथ विवाह करते हैं। विवाह के लिए लड़की की रज़ामंदी शर्त होती है। कहीं यह रज़ामंदी ग़रीबी की वजह से होती है और कहीं दिल की गहराई से। आर्थिक मजबूरियों के चलते रज़ामंदी देने की आलोचना कितनी भी कर ली जाए लेकिन जहां देश में दहेज का दानव बहुओं को और कन्या भ्रूणों को निगल रहा हो, वहां इस तरह के विवाह होते ही रहेंगे।
    एक सर्वे में यह भी बात सामने आई थी कि कुछ लड़कियां नौजवानों के मुक़ाबले बुज़ुर्गों को तरजीह देती हैं अपना पति बनाने के लिए क्योंकि नौजवान अभी ख़ुद को जमाने के लिए संघर्ष ही कर रहा होता है जबकि बुज़र्ग ऑल रेडी स्थापित होते हैं और वे नौजवानों की तरह ग़ैर ज़िम्मेदार भी नहीं होते। लिहाज़ा उम्र का फ़ासला लड़कियों को हमेशा ही दुख दे, ऐसी बात नहीं है। यह तो दिल का मामला है।
    दिल कब किस पर आ जाए ?
    क्या कहा जा सकता है ?

    बुज़ुर्गों के द्वारा छेड़छाड़ और अवैध यौन संबंध वाक़ई निंदनीय है लेकिन तब जबकि एक सही सोच को समाज में मान्यता मिली हुई हो।
    नगर वधू और गणिका से लेकर कई और तरीक़ों तक को समाज और परिवार में मान्यता मिली हुई है जिनके तहत यौन संबंध हमेशा से ही यहां होते आए हैं।
    यहां तक कि शास्त्र में विवाह के 8 प्रकार बताए गए हैं और उनमें बलात्कृता और अपहरण की हुई कन्या को भी पत्नी ही स्वीकार किया गया है।
    अलग अलग समाजों के रीति रिवाज अलग अलग हैं लेकिन अब समय आ गया है कि सबके लिए एक ही नैतिकता को स्टैंडर्ड घोषित किया जाए।
    यह नैतिकता वह होगी जो सबके लिए आज के समय में व्यवहारिक हो और सबके लिए लाभदायक भी हो।
    See your post's link here
    http://commentsgarden.blogspot.com/2012/05/vivah.html

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  2. एक विचारपरक आलेख्।

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  3. समाज की ज्वलंत समस्या पर आपकी लेखनी सटीक चली है . आभार .

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  4. एक ज्वलंत समस्या पर स्पष्ट और सटीक लेखन के लिए बधाई. बहुत सुंदर विश्लेषण किया है.

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  5. बहुत सही कहा है आपने ...सार्थकता लिए सटीक प्रस्‍तुति।

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  6. आदरणीया पल्लवी जी!
    बहुत अच्छा लिखा है आपने। फेसबुक पर कुछ लोग इस तरह के फोटो न सिर्फ अपनी वॉल पर पेस्ट करते हैं बल्कि टैग करके दूसरों की वॉल को भी गंदा बना देते हैं।
    मैंने इसीलिए अपने फेसबुक टैग्स पर भी मोडरेशन लगा दिया है।

    ऐसे लोग जो चाहे जिस उम्र के हों इस तरह की बातें सिर्फ उनकी घृणित मानसिकता को ही दर्शाती हैं।

    सादर

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  7. आपकी बात बिलकुल सही हैं, लेकिन लोगो की मानसिकता, उनकी फेसबुक वाल पर नज़र आती है.... अनवर जमाल जी ने भी सही कहा...

    आपसे अनुरोध है कि यह फोटो हटा लीजिये.... इस तरह की फोटो ब्लॉग पर लगाने से भी नग्नता को बढ़ावा मिलेगा... या फिर फोटो का साइज़ पेंटब्रश / फोटो शॉप से बहुत ही छोटा करके लगा लीजिये... जिससे कि फोटो को बड़ा करके ना देखा जा सके.

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  8. अब जी बेहूदी हरकतें करने का सबको ही हक है आज़ाद देश में. तो यही ठीक है कि इज्जत बड़प्पन की की जाये उम्र की नहीं.

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  9. सही कह रहे हैं आप, आज बहुत दिनों बाद आपने ऐसी टिप्पणी दी है जिसकी आप से मुझे हमेशा से उम्मीद रहा करती है आभार... :)

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  10. आप सभी पाठकों एवं मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया कृपया यूं हीं संपर्क बनाये रखें आभार ...

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  11. यह चि‍त्र मेरे एक फेसबुक के दोस्‍त ने भी मुझे टैग कि‍या था। मैंने देख....उस पर बड़े अजीब से कमेंट आ रहे थे। मैंने अपने मित्र से केवल इतना पूछा......क्‍या आप जानते हैं कि‍ असलि‍यत में इन दोनों का क्‍या रि‍श्‍ता है....अगर नहीं तो तो मजाक क्‍यों। हो सकता है ये उसका पि‍ता हो या कोई आत्‍मीय। उन्‍होंने तुरंत सारी कहते हुए वो तस्‍वीर ही हटा दी। सो......
    रही बात बात आपके वि‍चार की। आपने सच लि‍खा है और मैं भी मानती हूं, सहमत हूं आपकी बातों से।

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  12. सटीक और सार्थक लेख के लिए बधाई .....
    जब सारा तालाब ही गन्दी मछलियों से भर गया हो ...
    तो दो-चार अच्छी मछलियों को भी कौन पूछेगा |
    बड़ा तकलीफ़देह है ये सब ......

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  13. This comment has been removed by the author.

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  14. मैं आपकी बातों से काफी हद तक सहमत हूँ.. फेसबुक पर आज कल बेहूदा चित्रों की बाद आई हुई है. लोग फोटो देखते हैं और टिपण्णी डालना शुरु कर देते हैं और अपनी मर्यादा से बाहर चले जाते हैं. लोगो को अपनी मर्यादा में रह कर विवेकपूर्ण ढंग से लिखना चाहिए...यौन शोषण पर दिखाए गए कार्यक्रम के बारे में मैं कहना चाहूँगा की उसमे दिखाए गए चेहरे भले ही विवादित रहे हो परन्तु जो मुद्दा है वो बहुत ही गंभीर है. हर दूसरा बच्चा अगर यौन शोषण से पीडित है तब आप गंभीरता का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं. आमिर के कार्यक्रम ने समाज में नयी बहस को जन्म दिया है और माता पिता को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो एक बहुत ही सराहनीय कदम है..

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  15. इसीलिए हमें तो फेसबुक कभी पसंद नहीं रहा । क्या बड़े क्या छोटे , सभी एक से बढ़कर एक हैं । हालाँकि बड़ों की जिम्मेदारी ज्यादा होती है समाज में ।

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  16. लोगों को समझना इतना आसान कहाँ ... कथ्य और कर्म दो विपरीत छोर हैं

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  17. संवेदनशील पोस्ट । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  18. पल्लवी जी,,, आपने बिलकुल सही कहा,,,लोगो की मानसिकता,इतने नचले स्तर गिर सकती,,,ये सोच कर बड़ी हैरानी होती है,..

    सटीक और सार्थक लेख के लिए बधाई ....

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....

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  19. सच है और दुखद भी .... आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ....

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  20. महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है आपने। सचमुच यह एक सामाजिक समस्या है। ऐसा करने वाले ही स्वयं को सुधारें तभी ये समस्या दूर होगी।
    आपका सुझाव अच्छा है।

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  21. ख़तरे कदम-कदम पर हैं. किसी का भी भरोसा न करें. न बुज़ुर्गों का न धर्मगुरुओं-महात्माओं-संन्यासियों-शंकराचार्यों-पादरियों-इमामों का. बचाव में ही बचाव है.

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  22. बुज़ुर्गों के साथ भी शर्मनाक हादसे हो रहे हैं।
    इसके पीछे घटिया सोच ज़िम्मेदार है।

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  23. बहुत हीं सार्थक पोस्ट है...अश्लीलता को उम्र के दायरों में छुपने कि जगह नाहीं दी जाये....अमूमन हम सब किसी न किसी रूप में भुक्तभोगी या प्रत्यक्ष दर्शी होते है...

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  24. कडवी सच्चाई .... !! आपकी कलम हमेशा हकीकत लिखती है .... !!

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  25. सीमायें स्पष्ट दिखती हैं, कोई देखना चाहे तब..

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  26. कल 25/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  27. पल्लवी जी नमस्कार....
    भास्कर भूमी के वे अंक जिसमें आपकी रचना प्रकाशित की गई है उस अंक को आपके पते पर भेजा जा चुका है आप तक वह अंक पहुंचने वाला होगा। भास्कर भूमि आप तक पहुचा कि नहीं यह जानने के लिए आपके कान्टेक्ट नं. की जरूरत है कृपया नं. देने की कृपा करें।
    सादर...
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव
    भास्कर भूमि

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  28. आपकी बात से सहमत हूँ की समाज में इतनी बुरियाँ है की खत्म होना आसान नहीं अगर युवा वर्ग चेतन नहीं होगा ...
    समाज में बदलाव किसी क्रान्ति से ही आएगा ..

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  29. पल्लवी जी
    आपका लेख देखा और पढ़ा भी
    और याद भी आया,,,
    मैंने एक ही बार में 114 मित्रों को
    फेसबुक की मित्रता सूची हटा दिया था
    और उनके नाम और पेसबुक आई डी के साथ
    एक पोस्ट भी डाल दी थी.....
    ताकि उलका पूरा क्रिया-कर्म हो जाए
    और बाकी लोग सुधर जाएँ
    अस्तु
    यशोदा

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  30. भरम में जीते लोगो के शगल और भी हैं

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  31. विचारनीय एवं गंभीर आलेख

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  32. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट कबीर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  33. बुढ़ापे का लाभ उठाकर मैने भी अक्सर लोगों को छिछोरी हरकतें करते देखा है .
    जानते हैं जिलके साथ कर रहे हैं वह शर्म के मारे किसी से कह नहीं पायेगी .

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  34. बहुत सही लिखा है आपने पल्लवी जी..
    फेसबुक पर तो वैसे पोस्ट को देख देखकर अब तंग आ चूका हूँ!!

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  35. From where this old man look like father of bride,why little kids are watching him with quriocity.You are just favouring because person is momden, dont Criticise HINDUSIM .

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