Monday, 11 February 2013

परीक्षा का बुखार


दोस्तों परीक्षा का मौसम शुरू हो चुका है जिसके चलते अधिकतर विद्यार्थी परीक्षा के बुखार की चपेट में आ रहे हैं अनुभवी छात्रों का कहना है कि इस तरह का बुखार अक्सर हर साल ही हमारे देश से होकर गुज़रता है। यूं तो यह बुख़ार अब हर महीने ही आता है लेकिन अपनी चरम सीमा पर आने का इसका सही समय यही फरवरी और मार्च का महीना होता है जब यह बुख़ार सभी छोटे बड़े विद्यार्थियों के सर चढ़कर बोलता है। किन्तु यह ज़रूरी नहीं कि अन्य देशों में भी यह बुखार इन्हीं दो महीनों में आये। लेकिन फिर भी हम इस मौसम के आने से  पहले सब कुछ जानते हुए भी कभी हम इस रोग की चपेट में आने से बच नहीं पाते और पलक झपकते ही साल निकल जाता है। किन्तु विद्यार्थी वर्ग उदास एवं हताश ना हों इसका भी इलाज़ संभव है। इसलिए इस बुखार से पीड़ित सभी छात्रों के लिए कुछ अनुभवी और टोपर किस्म के विद्यार्थीयों ने एक दवा इजाद की है और केवल वही दवा आपको इस भयानक रोग से मुक्ति दिलवा सकती है।

जानना चाहेंगे उस दवा का नाम :) उसका दवा का नाम है "पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान लगाकर पढ़ना" इसे इस दौरान पढ़ाई में मेहनत के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दवा की सबसे अहम और अच्छी बात यह है कि बाकी दवा की तरह इसके सेवन का तरीका बिलकुल उल्टा है अर्थात जो इस दवा का जितना ज्यादा सेवन करेगा उस पर इस बुखार का असर उतना ही कम होगा। इसलिए देर न करें, अभी भी वक्त है। जितनी जल्दी हो सके इस दवा का सेवन आरंभ करें। यह दवा लगभग हर घर में उपलब्ध है बस इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ खास चीजों से परहेज बहुत आवश्यक है। याद रहे परहेज जितना तगड़ा होगा, दवा का परिणाम उतना ही अच्छा आयेगा। तो आइये इसी सिलसिले से जुड़े कुछ परहेज़ों पर एक नज़र डालते है :)

परहेज नंबर एक :- कृपया जब तक आप इस परीक्षा नामक बुखार की चपेट में है, तब तक के लिए टीवी, मोबाइल, इंटरनेट जैसी चीजों से दूर रहिए। यह सब चीज़ें परीक्षा के बुखार से पीड़ित विद्यार्थियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है एवं यह चीज़ें रोग को इस हद तक बढ़ा सकती है कि दवा के असर को लगभग ख़त्म कर देंगी। 

परहेज नंबर दो :- जहां तक हो सके इन दिनों हल्का भोजन ग्रहण करें, ताकि ज्यादा नींद न आए,चाय एवं कॉफी का सेवन रोज़ की तुलना में थोड़ा बढ़ा दें, या दूध भी ले सकते हैं।  

परहेज नंबर तीन :- जहां तक हो सके पढ़ाई के दौरान कुछ खाते पीते न रहे। यह मेरा अनुभव है किन्तु यदि आप इसके आदी है तो कोई बात नहीं, कुछ हल्का फुल्का खाया जा सकता है जैसे कच्चे या भुने बादाम या भुनी मूँगफली इत्यादि।   

परहेज नंबर चार :- रज़ाई ,कंबल जैसी चीजों से तब तक दूर रहे, जब तक आप सोने का अर्थात नींद लेने का प्रोग्राम न बना लें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ठंड का शिकार होते हुए बीमार ही पड़ जाये। रज़ाई और कंबल की अपेक्षा आप शॉल, स्वेटर और मोजों का इस्तेमाल कर सकते है या फिर कुछ गरम पेय का भी जैसा मैंने उपरोक्त कथन में कहा चाय, कॉफी या गरम दूध, जो आपका मन करे लिया जा सकता है। किन्तु दूध में बौर्नविटा, बूस्ट या होरलिक्स डालना ज़रा भी ना भूलें।

बस इतना ही :) अब आप सोच रहे होंगे सब कुछ तो बंद करवा दिया कोई "जीयें तो भला जीयें कैसे" तो जनाब यदि कुछ पाना है तो कुछ तो खोना ही पड़ेगा ना .... फिर भी चलो एक छूट ले सकते हैं आप, लेकिन वो भी सीमित समय के लिए वह यह कि जब आपका मन ऊब जाये और दवा लेने का मन ना करे, तो थोड़ी देर के लिए वह कार्य कर लें जो करना आपको सबसे ज्यादा अच्छा लगता है जैसे दोस्तों से फोन पर गप्पे मार लें या फिर थोड़ा सा इंटरनेट पर भी जा सकते है। लेकिन परहेज़ को ध्यान में रखते हुए घर के किसी बड़े सदस्य को खुद ही यह ज़िम्मेदारी सौंप दें कि यदि आप समय सीमा से बाहर जा रहे हों, तो वह आपको सख़्ती के साथ दवा लेने की हिदायत दे सकें, फिर देखिये कैसे झट से दूर होता है परीक्षा का बुखार वो भी पूरे एक साल के लिए :) अरे हाँ चलते-चलते मैं एक बात कहना तो भूल ही गयी, सभी विद्यार्थियों को मेरी और से परीक्षा हेतु अनेक अनेक शुभकामनायें जिस-जिस का परिणाम अच्छा आए कृपया वह मिठाई खिलना ना भूलें :)       

32 comments:

  1. सार्थक और शिक्षाप्रद पोस्ट |आभार पल्लवी जी |

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  2. आपका लेख पढ़कर बचपन याद आ गया..

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  3. उपयोगी सलाह है बच्चों के लिए !

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  4. आपकी मिठाई पक्की हो गयी ...

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  5. थोड़ी छूट ,थोड़े बंधन
    सच है कुछ पाना है तो कुछ खोना ही पड़ेगा .....

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  6. युवाओं के लिए आपकी पोस्‍ट उपयोगी रहेगी।

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  7. परहेज ज़रूरी है क्रमवार - फिर बुखार से निजात और अच्छे परिणाम,पल्लवी जी को मिठाई देना ना भूलें

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  8. सभी विद्यार्थियों को मेरी और से परीक्षा हेतु अनेक अनेक शुभकामनायें जिस-जिस का परिणाम अच्छा आए कृपया वह मिठाई खिलना ना भूलें

    आपके इस बेह्त्रीन्लेख से जरूर सभी विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा ...........आपके इस सम सामायिक लेख के लिए हार्दिक बधाई

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  9. एक बेहतर मार्गदर्शन करती पोस्ट ....हम चाहे जितने भी तैयार हो जाएँ लेकिन परीक्षा का भय तो बना ही रहता है ...हाँ आत्मविश्वास और धैर्य से इससे आसानी से पार पाया जा सकता है ...!

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  10. अच्छे नुस्खे बताए हैं :)

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  11. उपयोगी बातें।

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  12. अच्छी उपयोगी बातें. जिसके काम आयें मिठाई जरूर खिलाएं :)

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  13. परहेज़ तो पुख्‍ता है पर इन्‍हें मानेगा भी छात्र

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  14. सही और नेक सलाह दी है आपने। विद्यार्थियों को आपकी बात गांठ बांध लेनी चाहिए।

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  15. इस परीक्षा से तो अपने भागते ही रहते थे। अपने को थामस अल्फा एडिसन की श्रेणी का छात्र समझते थे जिनके लिए परीक्षाएं नहीं बनती थी। सपना देखते थे कि राजेंद्र बाबू की तरह पेपर करके आएं..जिसमें दस में पांच सवालों के जवाब देने को लिखा हो...औऱ हम दसों सवालों के उत्तर लिख कर नोट लिख दे कि जो मर्जी पांच उत्तर जांच ले। पर हर सपना तो पूरा नहीं होता न ...आप समझ ही गई होंगी हम क्या कह रहे हैं....अब उस परीक्षा से भागे तो जीवन की परीक्षा में फंस हुए हैं..जाहिर है कोई न कोई परीक्षा तो देनी ही होगी। अनुभव कहता है कि स्कूली परीक्षाएं ही ज्यादा असान होती हैं।

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  16. सबसे सही दवा है की पुरे साल पढ़े केवल परीक्षाओ के समय ही रट्टा न लगाये , और टीवी मनोरंजन से ज्यादा दूर रहने की जरुरत नहीं है थोडा मनोरंजन दिमाग को फ्रेस करता है और चाय काफी की सलाह तो मजाक में भी न दे इससे तो बच्चो की यादास्त और ख़राब होती है :)

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  17. बेहद कारगर साबित होते हैं यह नुस्‍खे ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  18. सही सलाह है विद्यार्थियों के लिए ...
    पर आज के बच्चे ये सब माने तो ... उन्हें वही ठीक लगता है जो वो करते हैं ...

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  19. भई अगर बात अपनी करे तो हम कभी इतने गंभीर नहीं हुए परीक्षाएं अपनी रूटीन लाइफ के साथ ही दी हैं.........हाई स्कूल की परीक्षा के दौरान बिच में जो गैप होते हैं उसमे हम तो क्रिकेट खेलते थे :-)

    सब आपकी अपनी तयारी और आत्मविश्वास पर निर्भर होता है.......हाँ स्कूल में पढने वाले विधार्थियों को थोडा ध्यान देना पड़ता है........परीक्षा का भावे चेहरा बच्चों के सामने लेन की बजाय उन्हें उसकी उपयोगिता के बारे में बताएं ।

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  20. आपकी नेक सलाह का स्वागत है :) किन्तु यहाँ इस विषय पर हमारे विचार नहीं मिलते...

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  21. जी सहमत हूँ आपकी बात से आजकल तो बस अभिभावक होने के नाते सलाह ही दी जा सकती है अपने बच्चों को, बाकी तो उस पर अमल करना न करना उनके ऊपर ही निर्भर करता है। :)

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  22. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति....
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

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  23. "पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान लगाकर पढ़ना"सबसे बढ़िया नुस्खा,,,,

    RECENT POST... नवगीत,

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  24. उपयोगी पोस्‍ट युवाओं के लिए

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  25. बहुत ही ईमानदारी से अपनायी जाने वाली सलाह :)

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  26. उपयोगी पोस्‍ट युवाओं के लिए

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  27. बहुत सुन्दर और अपने भी जिस तरीके से रचना की है हम भी पहली लाइन से अनंत तक जाने के लिए मजबूर हो गए
    मेरी नई रचना
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  28. "करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजन, रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान" | बस एक यही मन्त्र है पढाई में उत्तीर्ण होने का और दिल लगा कर पढाई करने का | बहुत सुन्दर लेख | बधाई

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  29. Pallavi aap ke behtareen guardian ban sakte ho.. ho sakta hai ho hi :)

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  30. बच्चों के लिए उचित सलाह!!

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