जानना चाहेंगे उस दवा का नाम :) उसका दवा का नाम है "पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान लगाकर पढ़ना" इसे इस दौरान पढ़ाई में मेहनत के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दवा की सबसे अहम और अच्छी बात यह है कि बाकी दवा की तरह इसके सेवन का तरीका बिलकुल उल्टा है अर्थात जो इस दवा का जितना ज्यादा सेवन करेगा उस पर इस बुखार का असर उतना ही कम होगा। इसलिए देर न करें, अभी भी वक्त है। जितनी जल्दी हो सके इस दवा का सेवन आरंभ करें। यह दवा लगभग हर घर में उपलब्ध है बस इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ खास चीजों से परहेज बहुत आवश्यक है। याद रहे परहेज जितना तगड़ा होगा, दवा का परिणाम उतना ही अच्छा आयेगा। तो आइये इसी सिलसिले से जुड़े कुछ परहेज़ों पर एक नज़र डालते है :)
परहेज नंबर एक :- कृपया जब तक आप इस परीक्षा नामक बुखार की चपेट में है, तब तक के लिए टीवी, मोबाइल, इंटरनेट जैसी चीजों से दूर रहिए। यह सब चीज़ें परीक्षा के बुखार से पीड़ित विद्यार्थियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है एवं यह चीज़ें रोग को इस हद तक बढ़ा सकती है कि दवा के असर को लगभग ख़त्म कर देंगी।
परहेज नंबर दो :- जहां तक हो सके इन दिनों हल्का भोजन ग्रहण करें, ताकि ज्यादा नींद न आए,चाय एवं कॉफी का सेवन रोज़ की तुलना में थोड़ा बढ़ा दें, या दूध भी ले सकते हैं।
परहेज नंबर तीन :- जहां तक हो सके पढ़ाई के दौरान कुछ खाते पीते न रहे। यह मेरा अनुभव है किन्तु यदि आप इसके आदी है तो कोई बात नहीं, कुछ हल्का फुल्का खाया जा सकता है जैसे कच्चे या भुने बादाम या भुनी मूँगफली इत्यादि।
परहेज नंबर चार :- रज़ाई ,कंबल जैसी चीजों से तब तक दूर रहे, जब तक आप सोने का अर्थात नींद लेने का प्रोग्राम न बना लें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ठंड का शिकार होते हुए बीमार ही पड़ जाये। रज़ाई और कंबल की अपेक्षा आप शॉल, स्वेटर और मोजों का इस्तेमाल कर सकते है या फिर कुछ गरम पेय का भी जैसा मैंने उपरोक्त कथन में कहा चाय, कॉफी या गरम दूध, जो आपका मन करे लिया जा सकता है। किन्तु दूध में बौर्नविटा, बूस्ट या होरलिक्स डालना ज़रा भी ना भूलें।
बस इतना ही :) अब आप सोच रहे होंगे सब कुछ तो बंद करवा दिया कोई "जीयें तो भला जीयें कैसे" तो जनाब यदि कुछ पाना है तो कुछ तो खोना ही पड़ेगा ना .... फिर भी चलो एक छूट ले सकते हैं आप, लेकिन वो भी सीमित समय के लिए वह यह कि जब आपका मन ऊब जाये और दवा लेने का मन ना करे, तो थोड़ी देर के लिए वह कार्य कर लें जो करना आपको सबसे ज्यादा अच्छा लगता है जैसे दोस्तों से फोन पर गप्पे मार लें या फिर थोड़ा सा इंटरनेट पर भी जा सकते है। लेकिन परहेज़ को ध्यान में रखते हुए घर के किसी बड़े सदस्य को खुद ही यह ज़िम्मेदारी सौंप दें कि यदि आप समय सीमा से बाहर जा रहे हों, तो वह आपको सख़्ती के साथ दवा लेने की हिदायत दे सकें, फिर देखिये कैसे झट से दूर होता है परीक्षा का बुखार वो भी पूरे एक साल के लिए :) अरे हाँ चलते-चलते मैं एक बात कहना तो भूल ही गयी, सभी विद्यार्थियों को मेरी और से परीक्षा हेतु अनेक अनेक शुभकामनायें जिस-जिस का परिणाम अच्छा आए कृपया वह मिठाई खिलना ना भूलें :)
सार्थक और शिक्षाप्रद पोस्ट |आभार पल्लवी जी |
ReplyDeleteआपका लेख पढ़कर बचपन याद आ गया..
ReplyDeleteउपयोगी सलाह है बच्चों के लिए !
ReplyDeleteआपकी मिठाई पक्की हो गयी ...
ReplyDeleteथोड़ी छूट ,थोड़े बंधन
ReplyDeleteसच है कुछ पाना है तो कुछ खोना ही पड़ेगा .....
युवाओं के लिए आपकी पोस्ट उपयोगी रहेगी।
ReplyDeleteपरहेज ज़रूरी है क्रमवार - फिर बुखार से निजात और अच्छे परिणाम,पल्लवी जी को मिठाई देना ना भूलें
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों को मेरी और से परीक्षा हेतु अनेक अनेक शुभकामनायें जिस-जिस का परिणाम अच्छा आए कृपया वह मिठाई खिलना ना भूलें
ReplyDeleteआपके इस बेह्त्रीन्लेख से जरूर सभी विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा ...........आपके इस सम सामायिक लेख के लिए हार्दिक बधाई
एक बेहतर मार्गदर्शन करती पोस्ट ....हम चाहे जितने भी तैयार हो जाएँ लेकिन परीक्षा का भय तो बना ही रहता है ...हाँ आत्मविश्वास और धैर्य से इससे आसानी से पार पाया जा सकता है ...!
ReplyDeleteअच्छे नुस्खे बताए हैं :)
ReplyDeleteउपयोगी बातें।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteअच्छी उपयोगी बातें. जिसके काम आयें मिठाई जरूर खिलाएं :)
ReplyDeleteपरहेज़ तो पुख्ता है पर इन्हें मानेगा भी छात्र
ReplyDeleteसही और नेक सलाह दी है आपने। विद्यार्थियों को आपकी बात गांठ बांध लेनी चाहिए।
ReplyDeleteइस परीक्षा से तो अपने भागते ही रहते थे। अपने को थामस अल्फा एडिसन की श्रेणी का छात्र समझते थे जिनके लिए परीक्षाएं नहीं बनती थी। सपना देखते थे कि राजेंद्र बाबू की तरह पेपर करके आएं..जिसमें दस में पांच सवालों के जवाब देने को लिखा हो...औऱ हम दसों सवालों के उत्तर लिख कर नोट लिख दे कि जो मर्जी पांच उत्तर जांच ले। पर हर सपना तो पूरा नहीं होता न ...आप समझ ही गई होंगी हम क्या कह रहे हैं....अब उस परीक्षा से भागे तो जीवन की परीक्षा में फंस हुए हैं..जाहिर है कोई न कोई परीक्षा तो देनी ही होगी। अनुभव कहता है कि स्कूली परीक्षाएं ही ज्यादा असान होती हैं।
ReplyDeleteसबसे सही दवा है की पुरे साल पढ़े केवल परीक्षाओ के समय ही रट्टा न लगाये , और टीवी मनोरंजन से ज्यादा दूर रहने की जरुरत नहीं है थोडा मनोरंजन दिमाग को फ्रेस करता है और चाय काफी की सलाह तो मजाक में भी न दे इससे तो बच्चो की यादास्त और ख़राब होती है :)
ReplyDeleteबेहद कारगर साबित होते हैं यह नुस्खे ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसही सलाह है विद्यार्थियों के लिए ...
ReplyDeleteपर आज के बच्चे ये सब माने तो ... उन्हें वही ठीक लगता है जो वो करते हैं ...
भई अगर बात अपनी करे तो हम कभी इतने गंभीर नहीं हुए परीक्षाएं अपनी रूटीन लाइफ के साथ ही दी हैं.........हाई स्कूल की परीक्षा के दौरान बिच में जो गैप होते हैं उसमे हम तो क्रिकेट खेलते थे :-)
ReplyDeleteसब आपकी अपनी तयारी और आत्मविश्वास पर निर्भर होता है.......हाँ स्कूल में पढने वाले विधार्थियों को थोडा ध्यान देना पड़ता है........परीक्षा का भावे चेहरा बच्चों के सामने लेन की बजाय उन्हें उसकी उपयोगिता के बारे में बताएं ।
आपकी नेक सलाह का स्वागत है :) किन्तु यहाँ इस विषय पर हमारे विचार नहीं मिलते...
ReplyDeleteजी सहमत हूँ आपकी बात से आजकल तो बस अभिभावक होने के नाते सलाह ही दी जा सकती है अपने बच्चों को, बाकी तो उस पर अमल करना न करना उनके ऊपर ही निर्भर करता है। :)
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति....
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html
"पूरी ईमानदारी के साथ ध्यान लगाकर पढ़ना"सबसे बढ़िया नुस्खा,,,,
ReplyDeleteRECENT POST... नवगीत,
उपयोगी पोस्ट युवाओं के लिए
ReplyDeleteबहुत ही ईमानदारी से अपनायी जाने वाली सलाह :)
ReplyDeleteउपयोगी पोस्ट युवाओं के लिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और अपने भी जिस तरीके से रचना की है हम भी पहली लाइन से अनंत तक जाने के लिए मजबूर हो गए
ReplyDeleteमेरी नई रचना
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजन, रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान" | बस एक यही मन्त्र है पढाई में उत्तीर्ण होने का और दिल लगा कर पढाई करने का | बहुत सुन्दर लेख | बधाई
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Pallavi aap ke behtareen guardian ban sakte ho.. ho sakta hai ho hi :)
ReplyDeleteha.ha.ha. lagta hai kisi doctor k samne baith gayi hun.
ReplyDeleteबच्चों के लिए उचित सलाह!!
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