चलिये आज हम बात करेंगे उस जगह की, जिसका हमने अपने पहले भाग में भी ज़िक्र किया था अर्थात होलेण्ड का मुख्य आकर्षण केंद्र ट्यूलिप गार्डन जिसका किताबी नाम क्यूकेनोफ़(Keukenhof) है जो कि एमस्टरडम(Amsterdam) के दक्षिण में एक कस्बे लिस्से(Lisse) में स्थित है यहाँ इतने तरह के ट्यूलिप की खेती होती है कि आप सोच भी नहीं सकते।
एक बड़े बागीचे में और भी कई प्रकार के फूल खिले होते हैं और उन फूलों की सुंदरता देखते ही बनती है, वहाँ उस बागीचे मात्र में घूमने के लिए भी केवल 2 से 3 घंटे का समय भी पर्याप्त नहीं है। उस बगीचे में अंदर जाने से पहले उसका नक्शा खरीद लेना ही सबसे समझदारी का काम है यह पढ़कर शायद आप सभी को थोड़ा अजीब लगा होगा ना कि बागीचे में घूमने के लिए भला नक्शे की क्या जरूरत है। वहाँ पहुँच कर सबसे पहले मेरे मन में भी यही ख्याल आया था। लेकिन उस बगीचे में अंदर जाते ही जो नज़ारा आँखों के सामने नज़र आया, या यूं कहिए कि जहां तक नज़र गयी उस स्थान को देखते हुए हमने भी नक्शा खरीद लेने में ही अपनी भलाई समझी और ले लिया नक्शा। वहाँ भटकने के लिए जैसे ही हमने घूमना शुरू किया तो ऐसा लग रहा था मानो वहाँ लगे सभी फूल अपनी चरम खूबसूरती पर आकर मुस्कुरा-मुस्कुरा कर हमारा स्वागत कर रहे हैं।
कुछ फूल तो ऐसे भी थे वहाँ जिनका रंग सुर्ख लाल और रूप ऐसा की, देखने से ऐसा जान पड़ता था कि यह असली नहीं बल्कि नकली प्लास्टिक के हैं मगर ऐसा था नहीं, सभी असली थे और वहाँ आए सभी पर्यटकों के आकर्षण का कारण भी, यूं तो बागीचा इतना साफ सुंदर और आकर्षक था कि जिसे शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता।
मगर फिर भी मुझे जल्दी हो रही थी ट्यूलिप के वो खेत देखने कि जो फिल्म सिलसिला में दिखाये गए थे। न जाने क्यूँ इतने खूबसूरत नज़ारे देखने के बावजूद भी मन में रह रहकर बस यही ख़्याल आता था कि यह सब तो ठीक हैं मगर वो कहाँ है जिनकी हमें तलाश है। लेकिन बनाने वालों को भी अच्छे से पता है कि यहाँ आने वाले हर इंसान के मन में सबसे पहले उसे ही देखने की चाह होगी इसलिए उन्होंने भी उस मुख्य आकर्षण के केंद्र बिन्दु उन ट्यूलिप के फूलों की खेती को सबसे आखिर में रखा ताकि सभी पर्यटक बाकी अन्य फूलों की सुंदरता का आनंद लेते हुए उन्हें भी अपने कैमरे में कैद कर सकें।
बागीचा इतना बड़ा था कि उसके अंदर ही खाने पीने की कई दुकानें और छोटे-मोटे रेस्टोरेंट भी खुले हुए हैं। जहां आप अपनी थकान और भूख मिटाने के लिए कुछ देर ठहर सकते हैं, मगर वहाँ मिलेगा सभी विदेशी खान-पान और जैसा कि यूरोप के अधिकतर देशों और शहरों में होता है वैसा ही यहाँ भी हो रहा था। शाकाहारी बंदों के लिए खाने की समस्या थी। हालांकी मुझे ऐसी कोई समस्या नहीं हुई क्यूंकि मैं पूर्ण शाकाहारी नहीं हूँ। मगर जो लोग हमारे साथ थे उन्हें इस विकट समस्या से दो चार होते देखा था मैंने, हमारी बस वाले गाइड ने हमें वहाँ 2.5 घंटे का समय दिया था इसलिए सभी के मन में समय का कांटा बराबर खटक रहा था कि कहीं ऐसा न हो समय निकल जाये और हम वो नज़ारा देख ही न पाये जिसके लिए हम यहाँ आए हैं। मगर किस्मत देखिये हम वहाँ पहुँच तो गए जहां वह सुंदर खेत देखाई देना शुरू हो गए थे किन्तु वहाँ उन खेतों में उस वक्त वहाँ अंदर जाने की मनाई थी तो सभी को बस दूर से ही वो नज़ारा देखकर अपनी आँखों की प्यास बुझानी पड़ रही थी। तब कुछ वैसा ही लगा जैसे "समंदर पास होते हुए भी दो घूंट पानी की प्यास होती है"
वहीं पास ही में एक बड़ी सी पवन चक्की भी लगी है अधिकांश लोग उस पर ऊपर चढ़कर उन सुंदर फूलों की खेती की तस्वीरें ले रहे थे। हमने भी वैसा ही किया था और कर भी क्या सकते थे। फिर यह निर्णय लिया गया कि सभी तो यह सोचकर आए थे कि इस साल गर्मी न पड़ने की वजह से सभी के मन में यह आशंका थी कि पता नहीं इस साल ट्यूलिप मिलेंगे भी या नहीं, क्यूंकि यहाँ इन ट्यूलिप के फूलों की खेती केवल 3 महीने के लिए ही की जाती है मार्च से मई तक, इसलिए वहाँ का यह गार्डन केवल तीन महीनों के लिए ही खुलता है, तो इन ट्यूलिप के फूलों को लेकर सभी के मन में यही डर था कि कहीं ऐसा न हो कि मौसम में ठंडक के कारण यह ट्यूलिप खिले ही ना हो, मगर शुक्र है ऐसा हुआ नहीं था। फूल खिले तो काफी थे मगर अब भी थोड़ी कसर बाकी थी। ऊपर से यह दूर से देखने की बंदिश ने और सबका मन ज़रा भारी सा कर दिया था आमतौर पर तो मई के पहले हफ्ते में यह फूल काट ही लिए जाते हैं।
खैर हमने सोचा जिसे पाने की चाह में हम इस बागीचे के सुंदर फूलों को नज़र अंदाज़ करते चले आ रहे थे, अब वापस लौटते में उन्हीं के मज़े लेंगे और हमने शुरू की अपनी बागीचे के उस आखिरी छोर से पुनः वापस आने की शुरुआत, रास्ते में हमने दो काँच घर (Greenhouse) भी देखे जिसके अंदर उन सभी प्रकार के ट्यूलिप रखे गये थे जितने वहाँ असल में पैदा होता हैं क्यूंकि जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि ठंडे मौसम की वजह से सभी प्रकार के ट्यूलिप नहीं खिल पाये थे इसलिए उन्होंने अपने पर्यटकों के लिए खास उस शीश महल टाइप के कमरे में तापमान को नियंत्रित कर वह सभी फूलों की एक प्रदर्शनी सी लगी हुई थी जिसे देखकर खेत में न घूम पाने का मलाल काफी हद तक कम हो गया था। लेकिन फिर भी समय के अभाव के कारण हम पूरे बागीचे के सभी फूलों का आनंद वैसे नहीं ले पाये जैसे हम लेना चाहते थे। इसलिए एक बार फिर जाने का मन है दुबारा जाना हो पाएगा या नहीं वो राम ही जाने।
खैर फिलहाल आप तस्वीरों से ही काम चलाईये और ट्यूलिप के मनमोहक फूलों का आनंद उठाये, चित्र तो बहुत सारे हैं पर सारे पोस्ट पर लगाना संभव नहीं... तीसरे भाग में खिलाएँगे बेल्जियम की मशहूर चीज़, चॉकलेट और आइसक्रीम...तब तक के लिए आज्ञा दीजिये नमस्कार :)
सुन्दर सैर कराया आपने ....इसीतरह सैर कराते रहिये
ReplyDeleteट्यूलिप को दूर से देख कर आपने भी और हमने भी अपने मन को तसल्ली दे दी। बहुत बढ़िया रही आपकी ये यात्रा, अगली का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteफूलों की खूबसूरती ने मन मोह लिया। पहला भाग भी आज ही देखा। सचमुच बहुत सुन्दर नज़ारे हैं। ठन्डे देशों की अपनी सुन्दरता और विशेषता है।
ReplyDeleteसुन्दर दृश्यों से सजा देश
ReplyDeleteजिन्दगी में खुबसूरत नज़ारे जीने का अंदाज़ बदल देते है ...
ReplyDeleteआभार!
वाह तुमने हमें यहाँ बैठे ही इतने सुन्दर जगह को सचित्र दिखा कर पूरा आनंद दिया . बेहद खूबसूरत चित्रण किया है .
ReplyDeleteट्यूलिप ही ट्यूलिप नजर जाए जहाँ तक.
ReplyDeleteसुन्दर दृश्यों से सजा सुन्दर आलेख...
ReplyDeleteतुलिप के मस्त फूल ...
ReplyDeleteआपने कैमरे का प्रयोग जबरदस्त किया है ... सभी चित्र कमाल के हैं ...
आपने साथ हम भी आनद ले रहे हैं इस सैर का ...
खूबसूरत पोस्ट
ReplyDeleteसुन्दर चित्रों ने आलेख को जीवंत कर दिया...
ReplyDeleteबेल्जियम के चीज़ चॉकलेट और आइसक्रीम खाने के इंतजार में हैं हम.....:D :)
ReplyDeleteयह एरिया अभी नहीं देखा है , अगले वर्ष प्लान करते हैं !
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