अब वक्त है वापसी का और जैसा कि हमने वादा किया था इस भाग में हम आपको खिलाएँगे बेल्जियम की मशहूर चॉकलेट और चीज़ मगर सिर्फ इतना ही नहीं इस भाग में हम आपको वहाँ कि मिनिएचर सिटी की भी सैर करायेंगे। वैसे यदि मिनिएचर सिटी की बात की जाये तो मुझे यहाँ UK विंडसर लेगो लेंड में जो मिनिएचर सिटी बनी है, वह ज्यादा अच्छी और प्रभावशाली नज़र आयी, क्यूंकि यहाँ वाली में हम अपने आपको वहाँ बने सभी स्थानों से जोड़ पा रहे थे क्यूंकि यहाँ न केवल यहाँ की इमारतें बनी थी बाकी यूरोप की भी कई मशहूर इमारतें भी थी जबकि होलेंड में बनी मिनिएचर सिटी में केवल वहाँ की ही एतिहासिक इमारतें थी। जो देखने में तो बेहद खूबसूरत थी मगर उनसे खुद को जोड़ ना पाने के कारण वहाँ उतना मज़ा नहीं आ रहा था जितना यहाँ लंदन में आया था। हालांकी हमारे पास वहाँ लगी हर एक इमारत के बारे में जानने और समझने के लिए एक कार्ड था जिसे हम वहाँ लगी मशीनों के माध्यम से सुन सकते थे लेकिन समस्या यह थी वहाँ की बोली या यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि वहाँ की डच भाषा की टोन के कारण अंग्रेजी भी ठीक तरह से समझ नहीं आ रही थी।
लेकिन फिर भी चूंकि हम ट्यूलिप गार्डन पहले ही देख चुके थे इसलिए उसका बहुत छोटा सा रूप देखना मुझे बहुत अच्छा और आकर्षक लगा, वहाँ जाने से पूर्व मेरे मन में यह जानने का उत्साह था कि इतने बड़े गार्डन को छोटे रूप में कैसे बनाया गया होगा और खासकर ट्यूलिप किस चीज़ से बनाए होंगे। तब वहाँ पहुँच कर देखा मोतियों से बने ट्यूलिप जो अपनी सुंदरता के बल पर असली ट्यूलिप को बराबर कि टक्कर दे रहे थे और इतने ही खूबसूरत लग रहे थे जितने असली लगे थे। इसलिए मैंने उन मोतियों वाले ट्यूलिप का यह फोटो इतने करीब से खींचा केवल आप लोगों को दिखाने के लिए :) वाकई हर चीज़ का छोटा आकार अपने आप में बेहद खूबसूरत लगता है। फिर चाहे वो ट्यूलिप गार्डन हो, या हवाई अड्डा या फिर बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन ही क्यूँ न हो, वहाँ आप खुद को एक जाईंट(बहुत बड़े) की तरह पाते हैं तो लगता है जैसे सब खेल खिलौने है पूरा शहर ही हाथ में उठा लेने को मन करता है।
आपको होलेण्ड की एक बात बताना तो मैं भूल ही गयी, यहाँ पर इतनी साइकल इस्तेमाल की जाती हैं कि आप सोच ही नहीं सकते। यहाँ पर ट्रेफिक लाईट पर साइकल के लिए अलग सिग्नल होता है और सभी सड़कों के साथ में साइकल लेन अलग से बनाई गयी है। इसका अंदाज़ा आप ये चित्र देख कर लगा सकते हैं जो कि एक साइकल स्टेंड का है।
खैर वहाँ घूम घामकर हम पहुंचे चीज़ फ़ैक्टरी जो महज़ कहने को चीज़ फ़ैक्टरी थी। असलियत में वहाँ कुछ भी नहीं था केवल एक दुकान थी जहां लकड़ी के जूते बनाए जाते है जो Clogges के नाम से मशहूर हैं। इसलिए उस फ़ैक्टरी का नाम भी cheez and clogges फ़ैक्टरी था। Clogges बनाने के लिए जो लकड़ी इस्तेमाल की जाती है वह बहुत हल्की होती है और पुराने समय में यही लकड़ी के जूते पहन कर किसान खेती किया करते थे।
इस फैक्टरी में पहली बार यह जानकारी मिली कि बाज़ार में मिलने वाले सभी चीज़ शाकाहारी नहीं होते जो शाकाहारी चीज़ कहलाता है उसे स्मोकेड चीज़ के नाम से जाना जाता है बाक़ी के चीज़ में गाये के पेट में से निकलने वाला एक पदार्थ Rennet मिलाया जाता है जिसके कारण ये सभी चीज़ मांसाहारी हो जाते है। यह सुनकर हमारे साथ आए अन्य अधिकतर शाकाहारी लोग भारी संकट में पड़ गए थे, क्यूंकि यहाँ आने के बाद से रोज़ सुबह के नाश्ते में सभी दबा के चीज़ स्लाइस खाये जा रहे थे। :) खैर यह सुनकर हमें भी थोड़ा आश्चर्य तो ज़रूर हुआ था, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है। क्यूंकि यह नियम या यह तरीका केवल वहीं इस्तेमाल किया जाता है बाज़ार में मिलने वाले चीज़ पर ऊपर शाकाहारी लिखा हो तो उसमें यह रसायन नहीं होता है और इस मामले में यहाँ धोखा दिये जाने की संभावना भी अपने इंडिया के मुक़ाबले कम है क्यूंकि यहाँ तो हर प्रकार का मांसाहार चलता है फिर क्या गाय और क्या उसके पेट से निकाला जाने वाला रसायन और क्या सूअर और क्या भेड़ बकरी। यह है उस शाकाहारी कहे जाने वाले चीज़ की तस्वीर और वहाँ उस फ़ैक्टरी में बिकने वाले अन्य समानों की एक झलक वहाँ कुछ चीज़ ऐसे भी थे जो सालों तक सुरक्षित रखकर खाये जा सकते है और दूसरी बात चीज़ पर मौम की एक परत चढ़ी होती है ताकि वह बाहर से भी सुरक्षित रह सके और जैसे-जैसे चीज़ पुराना होता जाता है सख्त होता जाता है।
लेकिन फिर भी चूंकि हम ट्यूलिप गार्डन पहले ही देख चुके थे इसलिए उसका बहुत छोटा सा रूप देखना मुझे बहुत अच्छा और आकर्षक लगा, वहाँ जाने से पूर्व मेरे मन में यह जानने का उत्साह था कि इतने बड़े गार्डन को छोटे रूप में कैसे बनाया गया होगा और खासकर ट्यूलिप किस चीज़ से बनाए होंगे। तब वहाँ पहुँच कर देखा मोतियों से बने ट्यूलिप जो अपनी सुंदरता के बल पर असली ट्यूलिप को बराबर कि टक्कर दे रहे थे और इतने ही खूबसूरत लग रहे थे जितने असली लगे थे। इसलिए मैंने उन मोतियों वाले ट्यूलिप का यह फोटो इतने करीब से खींचा केवल आप लोगों को दिखाने के लिए :) वाकई हर चीज़ का छोटा आकार अपने आप में बेहद खूबसूरत लगता है। फिर चाहे वो ट्यूलिप गार्डन हो, या हवाई अड्डा या फिर बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन ही क्यूँ न हो, वहाँ आप खुद को एक जाईंट(बहुत बड़े) की तरह पाते हैं तो लगता है जैसे सब खेल खिलौने है पूरा शहर ही हाथ में उठा लेने को मन करता है।
आपको होलेण्ड की एक बात बताना तो मैं भूल ही गयी, यहाँ पर इतनी साइकल इस्तेमाल की जाती हैं कि आप सोच ही नहीं सकते। यहाँ पर ट्रेफिक लाईट पर साइकल के लिए अलग सिग्नल होता है और सभी सड़कों के साथ में साइकल लेन अलग से बनाई गयी है। इसका अंदाज़ा आप ये चित्र देख कर लगा सकते हैं जो कि एक साइकल स्टेंड का है।
खैर वहाँ घूम घामकर हम पहुंचे चीज़ फ़ैक्टरी जो महज़ कहने को चीज़ फ़ैक्टरी थी। असलियत में वहाँ कुछ भी नहीं था केवल एक दुकान थी जहां लकड़ी के जूते बनाए जाते है जो Clogges के नाम से मशहूर हैं। इसलिए उस फ़ैक्टरी का नाम भी cheez and clogges फ़ैक्टरी था। Clogges बनाने के लिए जो लकड़ी इस्तेमाल की जाती है वह बहुत हल्की होती है और पुराने समय में यही लकड़ी के जूते पहन कर किसान खेती किया करते थे।
इस फैक्टरी में पहली बार यह जानकारी मिली कि बाज़ार में मिलने वाले सभी चीज़ शाकाहारी नहीं होते जो शाकाहारी चीज़ कहलाता है उसे स्मोकेड चीज़ के नाम से जाना जाता है बाक़ी के चीज़ में गाये के पेट में से निकलने वाला एक पदार्थ Rennet मिलाया जाता है जिसके कारण ये सभी चीज़ मांसाहारी हो जाते है। यह सुनकर हमारे साथ आए अन्य अधिकतर शाकाहारी लोग भारी संकट में पड़ गए थे, क्यूंकि यहाँ आने के बाद से रोज़ सुबह के नाश्ते में सभी दबा के चीज़ स्लाइस खाये जा रहे थे। :) खैर यह सुनकर हमें भी थोड़ा आश्चर्य तो ज़रूर हुआ था, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है। क्यूंकि यह नियम या यह तरीका केवल वहीं इस्तेमाल किया जाता है बाज़ार में मिलने वाले चीज़ पर ऊपर शाकाहारी लिखा हो तो उसमें यह रसायन नहीं होता है और इस मामले में यहाँ धोखा दिये जाने की संभावना भी अपने इंडिया के मुक़ाबले कम है क्यूंकि यहाँ तो हर प्रकार का मांसाहार चलता है फिर क्या गाय और क्या उसके पेट से निकाला जाने वाला रसायन और क्या सूअर और क्या भेड़ बकरी। यह है उस शाकाहारी कहे जाने वाले चीज़ की तस्वीर और वहाँ उस फ़ैक्टरी में बिकने वाले अन्य समानों की एक झलक वहाँ कुछ चीज़ ऐसे भी थे जो सालों तक सुरक्षित रखकर खाये जा सकते है और दूसरी बात चीज़ पर मौम की एक परत चढ़ी होती है ताकि वह बाहर से भी सुरक्षित रह सके और जैसे-जैसे चीज़ पुराना होता जाता है सख्त होता जाता है।
वहाँ से निकलने के बाद हम पहुंचे सीधा चॉकलेट की दुकान पर, जहां हमने बेल्जियम की चॉकलेट का आनंद लिया वहाँ हमने सभी तरह की मेवा पर चढ़ी चॉकलेट खायी और आइसक्रीम का भी भरपूर आनंद लिया और दोस्तों के लिए कुछ चॉकलेट खरीदीं भी। ज्यादा इसलिए नहीं लीं क्यूंकि मुझे स्वीटजरलेंड की चॉकलेट और यहाँ की बनी चॉकलेट में कोई खास फर्क महसूस नहीं हुआ मगर बेल्जियम की चॉकलेट दुनिया भर में मशहूर हैं। यहाँ की आइस क्रीम खाकर ज़रूर मज़ा आ गया था और बस इन्हीं सुनहरी यादों को लिए हमारा कारवां वापस हो लिया।
सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया यात्रा वृतांत ।
ReplyDeletebahut khoob .cheese ka padhkar to ham bhee sanshay main padh gye they :)) aapki najaro se hollend ko dekhna bahut achcha laga .. ummid hain yatra bahut hi aanad-dayi evam sukhad rahi hogi
ReplyDeleteआपकी यात्रा विवरण से बहुत सारी नयी नयी बातों का पता चलता है . खासतौर पर वहां पर शाकाहारी लिखे हुए खाद्य पदार्थों का सच . ट्यूलिप के बागों को देख कर तो लगाने लगा की काश ! हम भी ये आनंद ले रहे होते .
ReplyDeleteआपकी यात्रा विवरण से बहुत सारी नयी नयी बातों का पता चलता है . खासतौर पर वहां पर शाकाहारी लिखे हुए खाद्य पदार्थों का सच . ट्यूलिप के बागों को देख कर तो लगाने लगा की काश ! हम भी ये आनंद ले रहे होते .
ReplyDeleteक्या सामूहिक फोटोग्राफ में आप बाएं से सातवें स्थान पर खड़े हैं,सरदार जी के पास? बहुत अच्छा रहा यह बेल्जियम और हॉलैंड ट्रिप।
ReplyDeleteजी नहीं, मैं इस सामूहिक फोटोग्राफ में बाएं से सांतवे नहीं बल्कि चौथे स्थान पर हूँ :)नीले और सफ़ेद रंग की पटियों वाले स्वेटर में...
ReplyDeleteबढ़िया यात्रा वृतांत
ReplyDeleteFacebook पर वायरस, डाल सकता है आपके बैंक एकाउंट पर डाका
बहुत अच्छा लगा यह विवरण..कई जानकारियाँ मिलीं.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
सुन्दर प्रस्तुति..।
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार...!
साझा करने के लिए आभार आपका ...
ReplyDeleteएक नई धरती की यात्रा करना हमेशा सुखद अनुभव होता है और इसमें थकान भी होती है लेकिन वो अंततः यात्रा के बाद मिट जाती है और केवल बच जाता है यात्रा का सुकून। यात्रा वृतांत का पाठक थकता भी नहीं और यात्रा का आनंद भी पूरा ले लेता है। हॉलैंड की सैर कराने के लिए आपका शुक्रिया।
ReplyDeleteमिनी ट्यूलिप गार्डन देखकर आनंद आ गया।
ReplyDeleteविदेशों में शाकाहार पर सदा संदेह रहता है।
बेल्जियम की आइसक्रीम फिलहाल तो यहां मिलेगी नहीं..सो अपने देश की आइसक्रीम खाकर काम चला लेता हूं.....
ReplyDeleteयूँ तो उस जगह का कोई अनुभव नहीं है - पर चित्र और कथ्य का समन्वय करके आपने इसे आसान बना दिया -सुन्दर
ReplyDeleteबहुत रोचक चित्रमय यात्रा वृतांत...
ReplyDeleteबहुत सुना है इस तुलिप गार्डन के बारे में ... फूलों की सुनहरी क्षत को बाखूबी कैद किया है आपने ...
ReplyDeleteयात्रा वृतांत भी बहुत रोचक ... शुभकामनायें ..
Pallavi! tumhare articles har samay rochak rahen hain...
ReplyDeleteshandaar yaatra vritant ...
khubsurat photos..
chocklates dekh kar man bhar gaya :P
muh mein icecream aur choclate ki mithas bhar gayi...........
ReplyDeleteआभार ...
ReplyDeleteयह विवरण बहुत अच्छा लगा यात्रा वृतांत साझा करने के लिए आभार...!
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
मेरी पोस्ट पर आने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया साथ ही अपनी व्यस्तता के बावजूद भी आपने हमारे लिए समय निकाला आभार...कृपया यूं ही संपर्क बनाए रखें।
ReplyDeleteसाथ ही साथ आभि सभी मित्र गानो और पाठकों का भी तहे दिल से शुक्रिया कृपया आप सब भी यूं ही संपर्क बनाये रखें। धन्यवाद
ReplyDeleteपल्लवी जी.... आपने हमारे ब्लॉग में अपनी इस ट्रिप का ज़िक्र कर के बहुत अच्छा किया! बहुत मज़ा आया पढ़कर!:-)
ReplyDeleteबेल्जियम की ट्रिप तो हमारी-आपकी एकदम मिलती-जुलती है...मगर हॉलैंड में ट्यूलिप गार्डेन्स इस वक़्त बंद था... इसलिए वो नहीं देख पाए! उसे Madurodam (The Hague, Netherlands) में ही देखा...
हमने अपने ब्लॉग में अभी पेरिस के बारे में पोस्ट किया है! इसके बाद बेल्जियम पोस्ट करेंगे..! :)
~सादर!!!