पिछले कुछ महीनों मैं मुझे ऐसा लगने लगा था कि समाचार पत्रों में केवल राजनीतिक अथवा अपराधिक समाचारों के अतिरिक्त और कोई समाचार आना ही बंद ही हो गए हैं या यह भी हो सकता है कि शायद मैंने ही समाचार पत्र पढ़ने में आज से पहले कभी इतनी रुचि ही न ली हो। इसलिए मुझे पहले कभी यह महसूस ही नहीं हुआ कि आज की तारीख में समाचर से अधिक उसके शीर्षक का महत्व है। आगे पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें धन्यवाद