Wednesday, 15 April 2015

कंजका भोज बना – खुशी का बड़ा कारण

भारत वापसी के बाद इस बार रामनवमी के शुभ अवसर पर जब मुझे कन्या भोज कराने का सुअवसर प्राप्त हुआ तब सर्वप्रथम मन में यही विचार आया कि कन्याएँ मिलेंगी कहाँ? वैसे तो मेरे पास-पड़ोस में कन्याओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उस दिन सभी के घर भोज के निमंत्रण के चलते पहले ही कन्याओं का पेट इतना भर चुका होता है कि फिर किसी दूसरे घर में उन्हें मुँह जूठा करने में भी उबकाई आती है। इसलिए बुलाने पर वह घर तो आ जाती हैं, किन्तु बिना कुछ खाए केवल कंजका-उपहार लेना ही उनका एक मात्र उदेश्य रह जाता है, जिसे लेकर वह जल्द से जल्द अपने घर लौट जाना चाहती हैं।

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