Saturday, 25 April 2015

एक सपना


प्राय: लोग कहते हैं कि पत्थरों को दर्द नहीं होता, उनमें कोई भावना ही नहीं होती। किन्तु न जाने क्‍यों मुझे उन्हें देखकर भी ऐसा महसूस होता है कि पत्थर सिर्फ नाम से बदनाम है। दुख-दर्द जैसी भावनाएं उनमें भी व्याप्त होती हैं। तभी तो पत्थरों में भी फूल खिल जाते हैं।
पानी भी पत्थर को काट देता है। वैसे ही जैसे कोई भारी दुख या असहनीय पीड़ा मानव मन को काट देती है। क्या कभी हम ऐसा कुछ सोच पाते हैं! 
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