आज अपने यह अनुभव लिखते हुए पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है जैसे यह कोई लिखने वाली बात नहीं है फिर भी क्यूँ लिख रही हूँ। मगर लिखे बिना रहा भी नहीं जा रहा है। आपको भी शायद यह पढ़कर हंसी आए और हो सकता है कि आपके मन में यह ख़्याल भी आए कि लो, यह भी कोई कहने वाली बात है। यह तो हमें भी पता है क्यूंकि यह तो बहुत ही आम साधारण सी बात है, भला इस में क्या नया है, जो मैं बता रही हूँ या बताना चाह रही हूँ (इट्स वेरी कॉमन यू नो) मगर फिर भी मुझे लगता है कि आज की तारीख में जब हमारे देश में हर सामान्य या मध्यम वर्गीय परिवार से कोई न कोई एक शक्स विदेश में रह रहा है। फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि अब भी हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जिनके लिए विदेशों की दुनिया अब भी किसी रहस्यमयी दुनिया से कम नहीं है।
हालांकि आज के आधुनिक युग में जहां इंटरनेट रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। उसके बावजूद भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो नियमित रूप से इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करते तो कुछ ऐसे भी हैं जो करते भी हैं, तो सिर्फ बात करने के लिए या मनोरंजन के लिए, जानकारी के लिए नहीं...इसलिए शायद आज इतने सालों बाद भी बहुत से ऐसे लोग मिलते हैं। दोस्तों के घरों में, दूर दराज़ के नाते रिशतेदारों में जो बड़े आश्चर्य से पूछते हैं कि वहाँ कैसे रहते हो, क्या खाते हो वहाँ सब मिल जाता है या नहीं, खासकर हिन्दुस्तानी खाना जैसे आट्टा, दाल, सब्जी, वगैरा इत्यादि। यह सुनकर कभी-कभी मुझे भी अंदर से हंसी आती है। मगर अचंभा भी होता है कि लोग बाहर की दुनिया के बारे में जानने के लिए अब भी और आज भी इतने उत्सुक है। लेकिन आज भी जब कभी ऐसी कोई बात होती है, तो अपने शुरुआत के दिन याद आने लगते हैं। जब हम यहाँ नए-नए आए थे और हर चीज़ को देखकर लगता था, वाह यह यहाँ भी मिलता है। ऐसी कई सारी छोटी-बड़ी चीज़ें है जिन्हें देखकर आज भी बहुत खुशी होती है। सिर्फ यह सोचकर कि अब यह चीज़ भी यहाँ उपलब्ध है, जैसे टाटा का नमक या रूहफ़्ज़ा शर्बत या फिर पार्ले जी के बिस्कुट जो इंडिया में रह रहे व्यक्ति के लिए बहुत ही मामूली सी चीज़ हैं और मैं खुद एक हिन्दुस्तानी हूँ फिर भी मुझे बहुत अच्छा लगता है यहाँ अपने यहाँ की चीजों को देखकर,एक मुस्कुराहट सी आ जाती है चेहरे पर J
खासकर अब जब यहाँ की हर चीज़ वहाँ और वहाँ की हर चीज़ यहाँ मिलती है। यह सभी जानते हैं अब इन मामलों में हिंदुस्तान और विदेश में कोई ज्यादा अंतर नहीं बचा है। मगर फिर भी जाने क्यूँ मुझे तो इंडिया के प्रॉडक्ट यहाँ देखने में आज भी वैसी ही खुशी मिलती है जैसी शुरुआती दिनों में मिला करती थी। मगर याद रहे यह खुशी भी आपको यहाँ केवल लंदन में या लंदन के आस पास के शहरों में ही मिलेगी। जैसे मैंचेस्टर जहां मैं पहले रहती थी या फिर Crawley जो गेटविक(Gatwick) हवाई अड्डे के पास है और लंदन से थोड़ी ही दूरी पर है, वहाँ भी मैं रही हूँ। यहाँ तक कि मैंने अपना पहला ब्लॉग वहीं रहकर लिखा था J खैर कुल मिलाकर लंदन या उसके आस पास रहने का यही फायदा है या फिर उस जगह जहां हिन्दुस्तानी आवाम ज्यादा हो वैसे अब लंदन लगभग दूसरा हिंदुस्तान बन चुका है। अंग्रेज़ तो अब नाम के ही बचे हैं यहाँ, लेकिन यकीन मानिए अपने इंडिया के कोई भी छोटे बड़े प्रॉडक्ट देखकर बहुत खुशी होती है। खासकर इंडियन साबुन, पेस्ट, शैम्पू, यहाँ तक के टाटा का नमक, और उपवास में खाया जाने वाला सेंदा नमक और साबूदाने के पापड़ तक मिल जाते है J सिर्फ यह ही नहीं बल्कि हर चीज़ यहाँ उपलब्ध है J
मैं जानती हूँ आप सभी को यह पढ़कर लग रहा होगा ना ? कैसी पागल लड़की है। यह भी कोई बताने वाली बाते हैं यह सब तो बहुत ही आम बाते हैं। कुछ चीज़ें ऐसी भी है जो इंडिया में कुछ खास दुकानों पर या शायद मॉल में मिलती हों जैसे हल्दीराम के फ़्रोजन आलू के पराँठे ,मिक्स सब्जी के पराँठे, सादे पराँठे रोटियाँ बिलकुल घर जैसे स्वाद वाले इत्यादि मगर फिर भी इन साधारण सी दिखने वाली आम बातों से जो खुशी मिलती है। वो खुशी केवल विदेश में रहकर ही महसूस की जा सकती है। हाँ यह बात अलग है कि यहाँ के मौसम में रूहफ़्ज़ा पीने का मज़ा वैसा ना आए जैसा अपने इंडिया की सड़ी गर्मी में आता है, मगर वो कहते हैं ना
"दिल बहलाने के लिए ग़ालिब ख़्याल अच्छा है"
बस हम यही महसूस कर लेते हैं यहाँ सब अपना देखकर ...
वाह, अब आँख बन्द कर सोच लीजिये कि भारत में ही कहीं रह रहे हैं, तनिक अच्छी जीवनशैली के साथ।
ReplyDeletethat is called Globalization dear :-))
ReplyDeleteग्लोबलाईजेशन के चुनिंदा फ़ायदों में से एक फ़ायदा है यह भी. वैसे इसके बडे नुक्सानों में हमारा रूपया रहा है.:)
ReplyDeleteसुंदर आलेख.
रामराम.
वाह
ReplyDeleteसभी जानते हैं अब इन मामलों में हिंदुस्तान और विदेश में कोई ज्यादा अंतर नहीं बचा है। मगर फिर भी जाने क्यूँ मुझे तो इंडिया के प्रॉडक्ट यहाँ देखने में आज भी वैसी ही खुशी मिलती है
इसी तरह के साधारण से अनुभवों में ही तो सब कुछ समाहित है ....सुंदर पोस्ट.....
ReplyDeleteसाधारण अनुभव मगर, प्रस्तुति किन्तु महान |
ReplyDeleteलन्दन में भी जी रहा, अपना हिन्दुस्तान |
अपना हिन्दुस्तान, आज आसान हुआ है |
हर देशी सामान, प्यार से हृदय छुआ है |
बना सतत संपर्क, नहीं पड़ती अब बाधा |
मिटे मुल्क का फर्क, अगर इंटरनेट साधा ||
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसाधारण से अनुभवों में ही तो सब कुछ दे दिया...सुंदर पोस्ट.....
ReplyDeleteआभार ...
ReplyDeleteसही कहा जी. वहां यहाँ की सब चीज़ें मिलती हैं और यहाँ वहां की. लेकिन फिर भी विदेश में कुछ अपना सा दिखे तो मज़ा तो आता है. कनाडा में एक हाइवे पर बने एक रेस्तरां में हम जब गए तो उसके पंजाबी मालिक को हमें देखकर इतना आनंद आया कि उसने हमें भर भर के कॉफ़ी पिलाई और एक पैसा तक नहीं लिया।
ReplyDeleteहाँ बहुत ख़ुशी होती है...... डिमांड और सप्लाई का खेल है, जो चीज़ बिकेगी वो मिलेगी ....
ReplyDeleteआपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
ReplyDeleteye jankar bahut achchha laga ki landan ab hindustan jaisa lagata hai ....apka lekh padh kr aisa laga jaise mai landan me hoon aur meri anubhutiyan bhi vaisi hi hain jaise landan me apki ........abhar pallvi ji .
ReplyDeleteऔर जब कुछ भारतीय परिवार एक जगह इकट्ठे हो जाएं तो हम तो यह भी भूल जाते हैं कि हम भारत से बाहर हैं!
ReplyDeleteपागल लड़की की ख़ुशी समझ सकते हैं...
ReplyDelete:-)
अनु
पल्लवी जी ,नमस्ते (आज खास हिन्दुस्तानी नमस्ते ) मैं पिछले दो महीने से अपनी श्रीमती जी के साथ कैनेडा टोरंटो में हूँ(अपनी छोटी बेटी के पास ) .....और अभी एक महिना और हूँ ,आप की बात सही है यहाँ रहकर अपने यहाँ का कुछ भी अच्छा लगता हैं.....
ReplyDeleteमैं यहाँ रात के डिनर में हिन्दुस्तानी गोल-गप्पे या पानी पूरी खा कर संतुष्ट हो जाता हूँ .:-)) अब ये है कोई कहने वाली बात .,.
पर आप तो समझ सकती है न ?
खुश और स्वस्थ रहें!
हमारे दुबई में रहने का ये मज़ा है ... सब कुछ इतनी आसानी से और वो भी पूरे भारत वर्ष का, हर प्रांत का उपलब्ध है ... कई बार तो नोर्थ में साउथ का माल नहीं मिलता भारत में पर दुबई में सब जगह का माल आसानी से मिल जाता है ...
ReplyDelete:)))... सही कहा पल्लवी ! :)
ReplyDelete<3
सच कहा है...विदेश में जाकर जब अपने देश का कोई प्रोडक्ट दिखाई देता है तो वास्तव में बहुत खुशी होती है और कई बार ज़रुरत न होने पर भी उसे खरीद लेते हैं...
ReplyDeleteहाँ ये बात सच है कि अभी भी हमारे देश में ऐसे बहुत सरे लोग है जिनका न कोई विदेश में है और न वे इसा बारे में सब कुछ जानते हैं . सब जगह सब उपलब्ध हो जाना आम बात है और बाहर अपनी चीजें देख कर कितनी ख़ुशी होती है . बहुत आम बात कुछ खास बात कह जाती है वही तुमने किया है .
ReplyDeleteजहां जहां भारतीय जाता है, अपने साथ अपना स्वाद भी लेकर जाता है। अब सबकुछ सब जगह मिलने लगा है, बस स्वाद का ही अन्तर रहता है।
ReplyDeleteसादर आभार ... :)
ReplyDeleteजी बिलकुल, आपको भी एकदम हिन्दुस्तानी नमस्ते....:) समझ सकती हूँ वो भी बहुत अच्छे से गोल गप्पे हों या देसी समोसा या हिंदुस्तानी चाट खाने में हिंदुस्तानी स्वाद भले ही न लिए हो मगर यदि विदेश में देखने भर को भी मिल जाये तो मज़ा आ जाता है। :)
ReplyDeleteबिलकुल सही कह रहें आप, न सिर्फ दुबई यहाँ भी ऐसा ही होता है कम से कम लंदन के आस पास और लंदन में भी यहाँ तक के अब तो लगभग UK के अधिकतर स्थानो में रोज़ मर्रा में उपयोग होने वाली सभी सामग्री तो मिल ही जाती है।
ReplyDeleteexactly....
ReplyDeleteHello pallavi aap ke aubhav wastav me shi hai wo khte hai na ghar ki murghi dal barabr is ka arth kuch aese anubhav se hi milta hai jab ham jab ham kisi or jaghe phuch jate hai mera bhi kuch anubhav isa raha jab hamne videsh me namkeen ko bhi bhut miss kiya good mere anubhav chote se par kushi badhi
ReplyDeleteपल्लवी तुम्हारे अनुभव हमेशा ही ...बहुत अच्छे होते हैं ...पढ़ने पर सीधा दिल से संपर्क हो जाता है
ReplyDeleteतुम्हारे भाव बहुत अच्छे से समझ सकते हैं हम
जहां धरती, हवा और आकाश ‘पराए‘ हों, वहां इन चीजों में ही अपनेपन की ख़ुशबू महकती है।
ReplyDeleteकैसी पागल लड़की है।
ReplyDeleteविदेश में अपने देश की चीज देखकर जो ख़ुशी होती है वही तो है देशप्रेम की निशानी..... जो आपको हुई..
ReplyDeletebahoot badhiya......
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