Monday, 16 April 2012

स्कॉटलैंड यात्रा-भाग 1



स्टेशन से बाहर आने के बाद का नज़ारा 
लो जी हम भी घूम ही आए इस बार ईस्टर की छुट्टियों में स्कॉटलैंड, वैसे स्वर्ग क्या होता है यह तो स्वर्गवासी ही जाने .... मज़ाक था यदि किसी को बुरा लगा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ। मगर यदि प्राकृतिक सौंदर्य को ही स्वर्ग कहा जाता है तो स्वर्ग दुनियाँ के हर कोने में है फिर क्या हिंदुस्तान का कश्मीर और क्या यूरोप का स्वीटजरलैंड और क्या स्कॉटलैंड सब बराबर है खासकर मैंने जो अनुभव किया उसके आधार पर इतना कह सकती हूँ कि विदेशों में हर छोटी से छोटी जगह प्राकृतिक सौंदर्य से भरी पड़ी है मगर भारत में कुछ एक स्थानों में ही यह प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलते हैं। वैसे हो सकता है इस मामले में गलत भी हूँ क्यूंकि मैंने भारतवासी होते हुए भी भारत ज्यादा घूमा नहीं है इसलिए मैं इस बात का दावा तो नहीं कर सकती, लेकिन हाँ यहाँ जितना घूमा है उसके आधार पर यह ज़रूर कह सकती हूँ कि यहाँ लगभग सभी स्थानों पर  प्राकृतिक सौंदर्य भरा पड़ा है।


खैर इस बार मैं बहुत दिनों बाद अपने किसी यात्रा के अनुभवों को आप सबके साथ बाँट रही हूँ, जिसके चलते  मुझे अपनी लिखी हुई यात्राओं से संबन्धित सभी पोस्ट याद आ रही है। वैसे पहले मेरा ऐसा मानना था कि किसी भी यात्रा का वर्णन ऐसा होना चाहिए कि पढ़ने वाले को उस स्थान की सम्पूर्ण जानकारी आपकी पोस्ट से ही प्राप्त हो सके, मगर मुझे ऐसा लगता है कि उस स्थान की जानकारी देने के चक्कर में अक्सर अनुभवों का असर फीका पड़ जाता है। इसलिए इस बार मैं आपको उस स्थान की जानकारी कम और अनुभव ज्यादा बताना चाहती हूँ। मैं जानती हूँ अधिकतर लोग मेरी इस बात से सहमत नहीं होंगे, ज़रूर भी नहीं है कि हों, वैसे कोशिश तो मेरी रहेगी कि जानकारी और अनुभव दोनों ही आपको भली भांति दे सकूँ। मगर तब भी हो सकता है कि कहीं न कहीं आपको इस बात का आभास ज़रूर होगा कि मेरे इस आलेख में जानकारी कम अनुभव ज्यादा हैं इसलिए मैंने पहले ही बता दिया। वैसे आपकी जानकारी के लिए यहाँ एक बात और कहना चाहूंगी मेरी इस बार की यात्रा थोड़ी लंबी है इसलिए मैं आपको अपनी पूरी यात्रा का वर्णन एक ही पोस्ट में नहीं बल्कि दो या तीन भागों में लिखकर आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगी इस उम्मीद के साथ कि आप सभी को मेरा यह यात्रा वर्णन भी ज़रूर पसंद आयेगा।


पहला भाग 
यहाँ मेकलसफील्ड(Macclesfield) से मैंचेस्टर(Manchester) तक का सफर और फिर वहाँ से स्कॉटलैंड(Scotland) की राजधानी एडिनबर्ग (Edinburgh) का सफर वैसे सफर आगे अभी और भी है। मगर फिलहाल इस यात्रा के पहले भाग का पहला अनुभव,यहाँ से हम लोग मैंचेस्टर तो आसानी से पहुँच गए, मगर वहाँ पहुँचकर मेरे बेटे मन्नू को शायद सुबह जल्दी उठने के कारण या सफर भागा दौड़ी के कारण थोड़ी तबीयत खराब होती सी महसूस हो रही थी, ट्रेन आ चुकी थी सामान चढ़ चुका था। मुझे भी मेरे पतिदेव ने बोल दिया था आप भी चढ़ जाओ मैं आता हूँ। क्यूंकि उस वक्त मेरे बेटे को उल्टी हो रही थी मैंने रुकना चाहा मगर मुझे आदेश पहले ही मिल चुका था तुम चढ़ जाओ मैं संभाल लूँगा, सो उनके कहे मुताबिक मैं चढ़ तो गई मगर मेरे चढ़ते ही ट्रेन के गेट बंद हो गए अब तो मुझे जो तनाव शुरू हुआ कि पूछो मत, समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ क्या न करूँ। यहाँ ट्रेन में चढ़ने के बाद कुछ देर के लिए फोन भी नहीं लगा। तो परेशानी और ज्यादा बढ़ रही थी कि पता नहीं यह लोग ट्रेन में चढ़े भी या नहीं, क्यूंकि भई सीधी सी बात है, यदि पहले से सब तय हो कि इस स्थान से इस स्थान तक आपको अकेले जाना है, तो बात समझ आती है। क्यूंकि फिर कोई परेशानी नहीं होती न ही किसी प्रकार का कोई तनाव होता है। लेकिन यदि परिवार साथ हो और कोई इस तरह बीच रास्ते में ही छूट जाये तो स्वाभाविक ही है कि तनाव तो होगा ही, मगर एक हमारे पतिदेव हैं जिनसे जब कुछ मिनट बाद मुलाक़ात हुई और जब मेरी जान में जान आयी तब भी उन्हें मज़ाक ही सूझ रहा था। तब उन्होने बताया कि क्यूंकि वो टायलेट में बेटे का मुँह हाथ धुला रहे थे, फोन भी नहीं उठा पाये। 
एडिनबर्ग के किले के सामने का एक दृश्य 


खैर ऐसा मेरे साथ दूसरी बार हुआ था। मुझे इतनी टेंशन हो गई थी मैं यह तक भूल गई थी कि मेरे पास मेरे पर्स में मेरा सेल(मोबाइल) भी है क्यूंकि उस वक्त एक तो मैं मानसिक रूप से बहुत ही ज्यादा परेशान थी उस पर से मेरे एक हाथ में कॉफी और दूसरे हाथ में चिप्स। क्या करूँ कैसे करूँ समझ ही नहीं आ रहा था और इतना भी कम नहीं था ऐसी स्थिति में सोने पर सुहागा मेरे पास जाने वाले टिकिट के बजाए वापस आने वाले टिकिट थे। वो तो गनीमत है कि टिकिट चेकर तुरंत नहीं आया वरना पता नहीं मेरा क्या होता, खैर मगर स्थिति संभल ही गई और कुछ देर बाद मुझे मेरा बेटा दिख गया, वरना पिछली बार स्वीटजरलैंड में तो ट्रेन ही चली ही गई थी:) खैर वो अलग बात है हम तो बात कर रहे हैं स्कॉटलैंड की, हाँ तो फिर हम लोग पहुंचे एडिनबर्ग। एक निहायत ही खूबसूरत स्थल मगर जैसे ही हम वहाँ पहुंचे हैं कि बारिश का होना शुरू, मगर हम कहाँ रुकने वाले थे। हमने वहीं स्टेशन पर क्लॉक रूम(left luggage) में अपना सामान रखा और बारिश में ही एडिनबर्ग के किले का भरपूर आनंद लिया और लगभग किले के हर कोने से नज़र आने वाले सभी प्राकृतिक नजारों की तस्वीरें भी ली, पहले ही दिन केवल एक स्थान घूमने में ही हम सभी लोग इतना थक गए कि मन किया बस अब किसी तरह होटल पहुँच जाओ, बस फिर क्या था फटाफट हमने टॅक्सी पकड़ी और होटल पहुँच कर बिस्तर पर ऐसे लमलेट हुए जैसे बरसों से ना सोये हों, जब रात के खाने का वक्त हुआ तब कहीं जाके मन मार के उठे, खाना खाया और फिर सो गए तब कहीं जाकर सुबह सुहानी लगी। :)
किले की दीवारों से लिया गया बाहरी सुंदरता का एक दृश्य 
सुबह का नाश्ता करके तय किया गया अब घूमने के लिए कहाँ निकलना है और बस सामान उठाया और उस होटल से चेक आउट कर हम निकल पड़े एक और यात्रा के लिए, मगर यहाँ आपकी जानकारी के लिए मैं इतना ज़रूर बताना चाहूंगी कि यदि आप भी स्कॉटलैंड घूमने जायें तो धूमने के लिए कार बुक करते वक्त इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि अगर आपकी उम्र 21 - 22 के बीच में है तो आपका ड्राइविंग लाइसेन्स 2 साल से ज्यादा पुराना होना चाहिए और बाकी सारे लोगों के लिए ड्राइविंग लाइसेन्स कम से कम एक वर्ष पुराना होना चाहिए। नहीं तो  आपको गाड़ी किराये पर नहीं मिलेगी क्यूंकि यहाँ कार किराये पर देने वाली कुछ कंपनियाँ ऐसी भी है जो बिना एक साल के ड्राइविंग लाइसेन्स के कार किराए पर नहीं देती। हाँ मगर सभी कंपनियों का यह नियम नहीं है कुछ बिना इस नियम के भी देती हैं मगर किस्मत की बात है कहीं आपके हाथ ऐसी कोई कंपनी लगी जिसमें यह नियम हो तो आगे आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए ध्यान रखना अनिवार्य है, क्रमश...आज के लिए बस इतना ही दूसरे भाग के साथ जल्दी ही मुलाक़ात होगी :) जय हिन्द                                      

27 comments:

  1. सुन्दर यात्रा वृतांत.. आभार,

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  2. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  3. पल्लवी जी,​
    ​घर बैठे ​विलायत की सैर कराने के लिए शुक्रिया...​
    ​​
    ​थोड़ा चित्रों का समावेश ज़्यादा कीजिए, कैप्शन के साथ...​
    ​​
    ​भारत की सैर करनी है, एक से बढ़कर एक प्राकृतिक नजारों की, वो भी कम से कम खर्च में तो नीरज जाट के ब्लाग को फालो कीजिए...​http://neerajjaatji.blogspot.in/
    ​​
    ​जय हिंद...
    .

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  4. bahut sundar yatra virtranat....

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  5. आ0 पल्लवी जी
    आप का निमन्त्रण स्वीकार करते हुए ,आप के ब्लाग पर प्रथम बार आया और आप की लेखन शैली व यात्रा वॄत्तान्त एवं अन्य आलेख पढ़ा,अच्छा लगा. आप के लेखन में प्रवाह है और पाठकों को बाँध रखने की क्षमता भी है.समय समय पर यहां आता रहूंगा
    प्रयास जारी रखियेगा
    शुभ कामनाओं के साथ
    सादर
    आनन्द.पाठक

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  6. उपयोगी जानकारी। भारत को एक बार अवश्‍य देखिए बहुत सुन्‍दर है। बस पर्यटकीय मानसिकता न होने के कारण सुविधाओं का अभाव है।

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  7. स्कॉटलैण्ड के बारे में मेरे एक संबंधी के बिल्कुल यही विचार थे।

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  8. सैर का अपना आनंद है और फिर उसको बयां करना और भी मजेदार
    सुन्दर जानकारी युक्त पर्यटन की रिपोर्टिंग

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  9. आपके अनुभव पढ़े , अच्छा लगा . यात्रा वृतांत में अपने अनुभव के साथ पर्यटन स्थल की विशेषता और जानकारी का समावेश होना तो चहिये लेकिन ये लेखक पर ही निर्भर करता है . अच्छा लिखा है आपने..

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  10. हम भारतवासियों को प्रकृति ने दूसरों से बहुत कुछ ज्यादा दिया है,मगर उसकी सुंदरता और उसके संरक्षण का बोध हममें दूसरों से कहीं कम है।

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  11. यहाँ भारत में भी प्राकृतिक सौन्दर्य कम नहीं है ।
    लेकिन बेशक वहां आबादी कम होने से आप मज़े से इसका आनंद ले सकते हैं ।
    थोड़ी जानकारी और ज्यादा रोमांचक अनुभव --सोने पे सुहागा हो जायेगा ।
    बढ़िया यात्रा वर्णन ।

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  12. बहुत सुंदर यात्रा का प्रस्तुतीकरण,....चित्रों की कमी लगी...
    बहुत दिनोसे पोस्ट पर आप नही आई आइये स्वागत है
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  13. Thanks for the interesting narration of your trip to Scotland. Whole of Scotland is naturally beautiful but India is not that way. It is because India is a large country.

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  14. बहुत सुंदर यात्रा का प्रस्तुतीकरण.....

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  15. सुंदर यात्रा व़तांत....आगे का इंतजार रहेगा। मगर भारत में भी कई ऐसे जगह हैं जि‍नकी सुंदरता का बखान करने लगे तो शब्‍द भी कम पड़ जाए। फि‍र भी.....आगे बताइये।

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  16. सुंदर यात्रा वृतांत ..... आगे का इंतज़ार है

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  17. संस्मरण और यात्रावृत्तांत का यह मिलाजुला रूप हमें बहुत सी जानकारी प्रदान कर गया।

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  18. आपके आलेख का आनंद तो इत्मीनान से पढ़ने में ही आता है, सरसरी निगाह डाल कर टिप्पणी नहीं की जा सकती.इस बार भी इत्मीनान से यात्रा का, घटनाओं का लुत्फ उठाया है, लेखन शैली की सरलता विषय वस्तु को काफी रोचक बना देती है.अगली पोस्ट में चित्रों की संख्या बढ़ाइयेगा.

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  19. बढिया सैर चल रही है।

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  20. मुझे इतनी टेंशन हो गई थी मैं यह तक भूल गई थी कि मेरे पास मेरे पर्स में मेरा सेल(मोबाइल) भी है क्यूंकि उस वक्त एक तो मैं मानसिक रूप से बहुत ही ज्यादा परेशान थी उस पर से मेरे एक हाथ में कॉफी और दूसरे हाथ में चिप्स।

    बहुत बढ़िया वर्णन. आपके एक हाथ में कॉफी थी और एक हाथ में चिप्स, तब भी आपको टेंशन थी, यह बात कुछ हज़म नहीं हुई :))
    चिप्स देख कर अपनी तो हर टेंशन समाप्त हो जाती है. वह समय निकल गया अब आप हँस लीजिए.

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