Monday, 2 April 2012

विदेशी गरमियाँ ...



लो जी आखिरकार यहाँ भी गरमियाँ आ ही गयीं और हमने यहाँ भी उठाया गर्मियों के मौसम के पहले दिन का भरपूर मज़ा, यूं तो हर जगह धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आता है। लेकिन यहाँ एक ही दिन में मौसम रंग बदल लेता है, जैसा कि आज हुआ समय का बदलाव यानि अब भारत और लंदन के बीच 4.5 घंटे का फर्क हो गया है जैसा कि हर छः महीने में बदल जाया करता है इसे (डे लाइट सेविंग) कहते हैं। इसके बारे में तो आप सबको पता ही होगा इसलिए इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं कहूँगी। हाँ तो हम बदलाव की बात कर रहे थे, आज यहाँ समय के साथ-साथ मौसम भी बदल गया। आज बहुत लम्बे समय के बाद यहाँ तेज़ धूप देखने को मिली, धूप में गरमी की मौजूदगी का एहसास हुआ कि गरम धूप क्या होती है। एक ही शर्ट में बिना किसी जेकेट या कोट के घूमने में इतना आनंद आया कि बस पूछिये ही मत :)

ऐसे अवसर यहाँ कम ही देखने सुनने को मिला करते हैं वरना यहाँ धूप तो होती है मगर हवा में ठंडक के कारण ज़्यादातर एक आध हल्की पतली जेकेट की भी जरूरत पड़ ही जाती है। मगर आज ऐसा नहीं था आज आप कह सकते हैं, कि आज यहाँ गरमियों के मौसम की पहली शुरवात थी। यानि की पहला दिन पूरा बाजार ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेला हो, जगह-जगह सड़क के किनारे लगे खाने पीने की चीजों के साथ कपड़ों और बाकी सामानो की बिक्री के लिए लगे स्टॉल, बच्चों के वो घोड़े वाले छोटे-छोटे झूले इत्यादि। सच में देखने लायक था आज का यह नज़ारा, आज घूमने में बहुत मज़ा आ रहा था वरना तो अपने इंडिया में तेज़ धूप में लोग घरों से बाहर जाकर घूमना ज़रा भी पसंद नहीं करते। मगर यहाँ तेज़ धूप का होना जैसे जश्न के माहौल का काम करता है बाज़ारों में लगभग सभी मॉल और कपड़ों की दुकानों में गर्मियों में पहने जाने वाले कपड़ों की भरमार लगी पड़ी है,सर्दियों के कपड़ों पर सेल चालू है आइसक्रीम खाने के दिन आ गये इस सबका अंदाज़ तो आपको यहाँ लगी तसवीरों से लग ही रहा होगा है ना:)

वैसे तो मैं यहाँ के बहुत से शहरों में रही हूँ और हर एक शहर देखने में लगभग एक सा ही लगता है। मगर बदलते मौसम के साथ हर शहर का नजारा अपने आप में एक अलग ही सुंदरता रखता है। जैसे मैं यहाँ के लगभग चार शहरों में, मैं रही हूँ पहला लंदन जहां कि गरमियाँ नहीं देखी मैंने मगर वहाँ की ठंड का भरपूर मज़ा उठाया है। फिर दूसरा है बोर्नेमौथ (Bournemouth) यह एक पर्यटक स्थल है,जो की समुद्री तट और वहाँ की सफ़ेद रेत (white sand) के लिये मशहूर है। गरमियों के दिनों में वहाँ खासकर हर शनिवार और इतवार को उस समुद्री तट पर इतनी भीड़ होती है,कि बैठने तक को जगह नहीं मिलती सोच सकते है आप समुद्री तट पर इतनी भीड़ की बैठने को ढंग की जगह भी न मिल सके। वहाँ भी चारों और पूरे परिवार के साथ पिकनिक का सा लुफ़्त उठाते लोग, जगह-जगह वही खाने पीने के स्टाल, मौज मस्ती धूप सेंकते सनस्क्रीन क्रीम पोते लोग बाज़ारों और सड़कों पर जरूरत से ज़्यादा चहल-पहल गरमियों के मौसम में ही यहाँ ऐसा लगता है कि यहाँ भी लोग बस्ते हैं जिन्हें बाहर घूमने फिरने और मोजमस्ती का शौक होता है वरना कड़ाके की ठंड के कारण और उसके चलते जल्दी अंधेरा हो जाने कि वजह से इतनी तादाद में लोग बाहर सड़कों पर बहुत कम ही नज़र आते हैं।
खैर हम तो बात गर्मियों की कर रहे थे ना....ऐसा ही कुछ माहौल क्रोले(Crawley) में हुआ करता था। यह मेरा तीसरा शहर, वहाँ का मुख्य आकर्षण का कारण हुआ करती थी वहाँ लगी कारबूट सेल(Car boot sale)वैसे तो यह कारबूट सेल यहाँ के लगभग सभी शहरों में लगा करती है मगर मुझे इस विषय में यहाँ आकर ही जानकारी प्राप्त हुई थी। कार्बूटसेल जो कि सेकेंड हैंड चीजों की सेल कहलाती है, जहां आपको घर में उपयोग में आने वाली हर छोटी से छोटी चीज़ से लेकर हर बड़ी से बड़ी चीज़ तक आपको कम से कम दामों में मिल जाया करती हैं। कई लोगों कि ग्रहस्थीयाँ तक बनते देखी हैं मैंने उस सेल से खरीदे हुए सामान के जरिये। वह इसलिए क्यूंकि बाहर से आने वाले अधिकतर लोगों की यह मानसिकता रहा करती है कि भविष्य में वापस अपने देश लौटकर जाना ही है तो फिर यह सारा सामान बेकार जाएगा इसलिए अच्छा है यहीं से सेकेंड हेंड ले लो, हालांकी वैसे तो यहाँ fully furnished घर लेने का चलन है मगर फिर भी जो लोग ऐसा घर नहीं ले पाते या नहीं मिल पाता, वह अपने घरों में जरूरत के सामान की पूर्ति ऐसे ही किया करते है।

और अब यह चौथा शहर है जहां में हूँ जिसका नाम है मेकलस फील्ड(Macclesfield) और आज मैंने यहाँ की भी गर्मियों के मौसम का पहला दिन देखा और मुझे यहाँ भी कुछ अलग सा माहौल महसूस हुआ इसलिए सोचा कि यहाँ के माहौल की कुछ तस्वीरों के जरिये आपके साथ यह बातें, यह अनुभव सांझा करूँ उम्मीद करती हूँ आपको मेरी यह पोस्ट भी पसंद आयी होगी।

हमेशा की तरह आज के लिए बस इतना ही फिर किसी दिन मुलाक़ात होगी एक नये विषय के साथ तब तक के लिए आज्ञा दीजिये  जय हिन्द .... :)

29 comments:

  1. पल्लवी जी, अपने अनुभव साझा करने का शुक्रिया ...
    नया देश,नयीं जानकारी !
    खुश रहें!

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  2. पृथ्वी पर कितनी विविधता है !
    यहाँ गर्मियों के आने से हम डरने लगे हैं , वहां गर्मी के आने से आप खुश हो रहे हैं .
    बहुत अच्छा है जी , अभी तो सुहाने दिनों का आनंद लिया जाए .

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  3. BAHUT KUCHH NAYA SAJHA KIYA AAPNE HAMARE SATH .AABHAR

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  4. भारत की गरमियाँ तो चिंतित करती हैं ... आप वहाँ लीजिये आननद गर्मियों का ...

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  5. रोचक जानकारी पूर्ण विवरण .

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  6. रोचक जानकारी पूर्ण विवरण .

    हमने भी देखें हैं अमरीका के विभिन्न राज्यों में ये हाट बाज़ार (फ्ली मार्केट )जहां पुराने कपडे बर्तन भांडे फर्नीचर ,खिलौने सभी कुछ मिलता है .लेकिन इसके लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता है ऐसी बिक्री का कोई कर चोरी नहीं सरकार के साथ आँख मिचौली नहीं भारत जैसी .

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  7. आनंद लीजिये गर्मियों का , यहाँ तो हम झुलसाने वाली गर्मी से बचने के लिए उपायों में लगे है . सुँदर चित्रण किया आपने.

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  8. वाह बहुत बढिया और दिलचस्प्।

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  9. यस... द इंग्लिश समर...

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  10. यहां भारत में तो तीखी गर्मी पडने लगी है।

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  11. यहाँ की गर्मी तो उफ़ ये गर्मी यह जलन यह तपन वहां आप आनंद ले रहीं हैं |

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  12. सुन्दर तस्वीरों से सजी बढ़िया पोस्ट..अच्छा लगा वहाँ के विषय में जानकर

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  13. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
    चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
    आपकी एक टिप्‍पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

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  14. सुंदर वर्णन.... बढ़िया चित्रावली... गर्मी का उत्सव अच्छा लगा... इधर तो गर्मी के नाम से ही पसीने छूट जाते हैं.....
    सादर।

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  15. गर्मी की सुबह और शाम सुकूनदायक होती हैं, दोपहर दुबकनेवाली..

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  16. आपने बहुत अच्छा वर्णन किया. मैं रोज DISCOVERY TCL देख कर गर्मियों का मजा घर में ही लेने की कोशिश करता हूँ. आपके फोटो के पीछे जो पेड़ नजर आ रहे हैं उनकी पत्तियां बहुत जल्दी झड गईं हैं. लेकिन यहाँ भारत में तो अभी पेड़ों पर पत्तियां बाकी हैं.

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  17. बढ़िया चित्रावली,

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  18. आपने तो मौसम बदलते ही सिर करवा दी हमें भी ... सुहाना मौसम देख के अच्छा लगा बहुत ही ...

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  19. इन सभी जगहों के नाम बहुत जाने पहचाने से हैं, खास कर के Bournemouth!!

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  20. @ इसे (डे लाइट सेविंग) कहते हैं। इसके बारे में तो आप सबको पता ही होगा इसलिए इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं कहूँगी।
    यह विषय भी विस्तार मांगता है, हम जैसे पाठकों के लिए।
    विदेश कभी गया नहीं, कुछेक, आप कैसे ब्लॉगर के ज़रिए रोचक जानकारियां मिलती हैं, उसे पढ़कर वहां होने का सुख उठा लेता हूं।
    बड़ा ही रोचक लिखा है।

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  21. सर्दियों के बाद गर्मी के पहले दिन ने स्वेटर उतरवा दिया तो अगले दिन सर्दी लग गई. "चाहिए मौसम-ए-दिल बनाना, मौसम किसी का न यार है". अच्छा लगी बदलते मौसम की पोस्ट.

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  22. आपका वर्णन सहज,सरल और प्रफुलता प्रदान करने वाला है.
    लन्दन,मैनचेस्टर,बर्मिंघम,लीस्टर बहुत पहले सन १९८८ में जाना हुआ था.
    पिछले साल लन्दन गए तो जगह जगह ट्रेफिक जैम का सामना करना पडा.
    ओलंपिक की तैय्यारी जोरो शोरो से चल रहीं थीं.

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