Monday, 11 July 2011

प्यार, इश्क और मुहब्बत

 प्यार का नाम आये अथवा प्यार के बारे में कुछ कहना हो और कोई शायरी न लिखी जाये तो सब कुछ अधूरा -अधूरा सा लगता है इस लिए एक शेर तो बनता ही है। अर्ज़ किया है 

"एक पल गमों का दरिया , एक पल खुशी का दरिया,
रुकता नहीं कहीं भी, यह जिंदगी का दरिया,
आँखें थीं वो किसी की या ख़्वाब की जंजीरे,
आवाज़ थी किसी की या रागिनी का दरिया,
इस दिल की वादियों में अब ख़ाक उड़ रही है,
बहता यही था पहले एक आशिक़ी का दरिया,
किरणों में है यह लहरें, यह लहरों में हैं किरणे,
दरिया की चाँदनी है, यह चाँदनी का दरिया।"

 प्यार, इश्क और मुहब्बत खुदा या ईश्वर की वो देन है जिससे कोई भी इंसान कभी अछूता नहीं रह पाया है और ना ही कभी रह पायेगा। मेरे हिसाब से तो प्यार वो पारस है, जिसके छू जाने मात्र से हर इंसान का दिल सोने जैसा हो जाता है।  कभी कहीं किसी फिल्म के संवाद में सुना था कि जिंदगी में एक बार प्यार सभी को जरूर करना चाहिए, प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है वैसे देखा जाये तो ठीक ही तो है। जिंदगी को सही मायने में कोई भी इंसान शायद तभी ठीक से समझ पाता है जब उसे जिंदगी में प्यार हो जाता है। हाँ यह बात अलग है कि कोई डंके की चोट पर प्यार करता है तो कोई छुप–छुप के प्यार करता है मगर प्यार करते सभी हैं। ठीक ऐसे ही किसी को शादी के पहले प्यार हो जाता है तो किसी को शादी के बाद मगर प्यार के बिना कोई रह नहीं सका है आज तक और ना ही कभी रह सकेगा। कहते हैं प्यार हमेशा उससे करना चाहिए जो आप से प्यार करे न कि उससे जिससे आप प्यार करते हों" मगर सवाल यह है कि क्या वास्तव में ऐसा हो पता है ?
खैर यह सब अपने-अपने अनुभव और सोच की बातें है कि कोई इस विषय में क्या सोचता है। मैंने जो भी सोचा, हमेशा की तरह आप के साथ बाँटना पसंद किया क्या आप सभी इन बातों से सहमत है। यदि हाँ तो फिर क्यूँ अधिकतर घरेलू पत्रिकाओं में हुए सर्वे में यह लिखा जाता है, कि आम शादी की तुलना में प्रेम विवाह को अधिक असफल बताया जाता है। मेरे समक्ष भी कई सारे ऐसे लोग हैं, जिन्होंने प्रेम विवाह किया है और आज उनका रिश्ता तलाक के मोड पर खड़ा है। आखिर क्या वजह है कि ऐसा होता है। जबकि मेरा मानना तो यह है कि प्रेम विवाह के अंतर्गत तो आप का जीवन साथी जितनी अच्छी तरह से आप को समझ सकता है, उतनी अच्छी तरह से तो पूरी दुनिया में शायद ही कोई समझ सकता हो, कि आप किस विषय में क्या सोचते हो, कैसा महसूस करते हो आपकी पसंद नापसंद, आप का स्वभाव, आपकी भावनाओं को जितने अच्छे से आपका जीवन साथी समझ सकता है, दूसरा और कोई नहीं समझ सकता।
इस सब के बावजूद भी शादी के बाद अचानक ऐसा क्या हो जाता है कि शादी के पहले “मुहब्बत बड़े काम की चीज़ है गाना गाने वाले प्रेमी अचानक ही शादी के कुछ दिन बाद यह गाने लगते हैं कि किताबों में छापते है, चाहत के किस्से, हकीकत की दुनिया में चाहत नहीं है, जमाने के बाजार में यह वो शय है, कि जिस को किसी की जरूरत नहीं है, ये बेकार बेदाम की चीज है, यह बस नाम ही नाम की चीज़ है अर्थात कहने का मतलब यह है कि उनको ऐसा क्यूँ लगने लगता है, कि अब पहले जैसा प्यार नहीं रहा,  कम हो गया है और आपसी समझ तो जैसे धीरे-धीरे खत्म सी होती हुई नजर आने लगती है। हालांकि कोई भी बात बेवजह नहीं होती, हर बात के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है। लेकिन ज्यादातर प्रेम विवाह में ही यह देखा गया है कि इन्ही छोटी-छोटी बातों को लेकर आपसी तनाव बढ़ता चला जाता है, और बात बिगड़ते-बिगड़ते तलाक तक आ पहुँचती है। कहाँ गुम हो जाता है वो आपसी प्यार और विश्वास जिसके बल बूते पर प्रेमी दो से एक होने को व्याकुल रहा करते है। जबकि आम शादी में ऐसा नहीं होता, उस में तो दो लोग जब आपस में मिलते हैं, तो एक दूसरे से पूरी तरह अंजान होते है, फिर शादी के बाद जब एक साथ रहना शुरू करते है, तब उस समय धीरे–धीरे पता चलना शुरू होती है, एक दूसरे की पसंद  नापसंद, फिर कुछ और महीने बीत जाने के बाद पता चलता है, सोच और स्वभाव का और फिर कुछ सालों में जाकर यह एहसास हो पता है कि अब आप अपने जीवन साथी को ठीक तरह से समझ गए है। मगर कभी-कभी तो ऐसा भी होता है किसी बात को लेकर ऐसा लगता है कि किसी को समझने के लिए कभी तो कुछ वक्त ही काफी है और कभी ऐसा लगता है, कि एक जिंदगी भी कम है। J आप सभी को क्या लगता है।J
खैर जो भी हो बुरा तो तब बहुत लगता है, जब दो प्यार करने वाले लोग एक दूसरे से जुदा हो रहे होते हैं। अगर उनका विवाह सर्वसम्मति से होता है, तब तो फिर भी ठीक है और कुछ नहीं तो कम से कम जीवन के इस मोड पर उनके साथ उनके माता–पिता का सहयोग तो होता है। किन्तु जब उनकी शादी बिना माता-पिता की इजाज़त के हुई होती है और फिर यदि उन के जीवन में ऐसा मोड आता है तब तो उनके पास अपने माँ-बाप का सहयोग भी नहीं होता। जब कभी मैं इस विषय में सोचती हूँ तो मुझे ऐसा लगता है प्यार करने वालों के साथ ही ऐसा क्यूँ होता है जबकि
"प्यार आत्मा की परछाई है ,
इश्क ईश्वर की इबादत ,
और मुहब्बत जिंदगी का मकसद
इस का मतलब यह नहीं है कि आम शादीयों में ऐसा नहीं होता, तलाक तो आज कल आम शादियों  में होना भी बहुत आम हो गया है। मगर प्रेम विवाह की तुलना में थोड़ा कम देखने को मिलता है।
अंतत बस इतना ही कहना चाहूँगी कि प्यार जीवन की सब से बड़ी पूंजी है। प्यार नाम है विश्वास का, जो आप के सम्बन्धों को और भी मजबूत बनाता है। इसलिए चाहे जो हो जाये इस प्यार नाम की चिड़िया को हमेशा अपने पास सँजो कर रखीये क्योंकि प्यार ही हर रिश्ते की बुनियाद होता है। यह एक ऐसी दौलत है, जिसे आप जितना ज्यादा से ज्यादा खर्च करेंगे यह दौलत उतनी ही बढ़ेगी जय हिन्द....                         

21 comments:

  1. बधाई ||
    अच्छी प्रस्तुति ||

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  2. “प्यार हमेशा उससे करना चाहिए जो आप से प्यार करे न कि उससे जिससे आप प्यार करते हों" मगर सवाल यह है कि क्या वास्तव में ऐसा हो पता है ?

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  3. प्यार का असली अर्थ यदि कोई जान ले तो जीना सीख जाये मगर आज प्यार शब्द सिर्फ़ जिस्मो तक ही सीमित है कोई आत्मा तक नही उतरना चाहता बस इसीलिये ये हालात बिगड रहे है हर कोई सिर्फ़ अपने अहम के साथ ही जीना चाहता है उसे दूसरे से कोई मतलब नही होता।

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  4. सच कहा आपने प्यार जीवन की सब से बड़ी पूंजी है...
    आपका आलेख पढ़कर सोचती हूँ काश! लोग जितने अकारण किसी से नफरत करने लगते हैं उतना प्यार कर पाते तो कितना अच्छा होता!
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति...

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  5. प्यार ही तो ज़िन्दगी है.निसंदेह प्रेम से सराबोर करने वाली रचना . अत्यंत प्रभावी पोस्ट!
    हमज़बान की नयी पोस्ट मेन इटर बन गया शिवभक्त फुर्सत हो तो पढें

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  6. प्यार ही तो ज़िन्दगी है.

    बहुत उत्तम भावनाएं ...आपके शब्दों के माध्यम से सामने आयीं हैं ....आपका आभार

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  7. प्यार की गहराइयों और उसकी व्यावहारिक पहलुओं को समझने की एक बेहतर कोशिश पल्लवी जी - वैसे अब मैंने वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियों पर आपका ध्यान दिलाना छोड़ दिया है - एक बेहतर सवाल आपने उठाया है कि शादी के कुछ दिन बात अक्सर प्यार के कमी कि शिकायत आपस में होती है - ये एक पूर्व से प्रचलित पंक्तियाँ याद आयीं-

    अति परिचय ते होत है अरुचि अनादर भाय
    मलयागिरि के भीलिनी चन्दन देत जराय

    और इसी बात को किसी ने यूँ कहा कि -

    कल अगर वक्त मिला तो उलझनें तेरी सुलझा दूंगा
    आज उलझा हुआ हूँ वक्त को सुलझाने में

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  8. Jagjit JI KI EKGAZAL HAI

    ZISM KI BAAT NAHI THI UNKE DIL TAK JANA THA
    LAMBI DURI TAY KARNE ME VAKHT TO LAGTA HAI


    aapki baat kitni sahi hai duniya me payr se badh kr kuchh bhi nahi hai.
    kash se sabhi jan le to ye sansar svarg se bhi sunder ho jaye
    rachana

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  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...

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  10. भई वाह !! प्यार पर बहुत प्यारी पोस्ट.

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  11. pyar ke har pahlu ko aap ne ache se likha hai.

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  12. बहुत प्यारी पोस्ट
    आभार,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  13. दरिया की चाँदनी है, यह चाँदनी का दरिया।"
    behad khoobsurat......

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  14. बहुत ख़ूब.

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  15. आप सभी पाठकों का बहुत-बहुत धन्यवाद... :) कृपया यूहीं सम्पर्क बानयें रखें

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  16. बहुत खूबसूरत शायरी है...

    श्री श्री रविशंकर की कुछ पंक्तियाँ कोट कर रहा हूँ
    -प्रेम जब चमकता है, यह सचिदानन्द है,
    प्रेम जब बहता है, यह अनुकम्पा है,
    प्रेम जब उफनता है, यह क्रोध है,
    प्रेम जब सुलगता है, यह ईर्ष्या है,
    प्रेम जब नकारता है, यह घृणा है,
    प्रेम जब सक्रिय है, सम्पूर्ण है,
    प्रेम जब ज्ञान है, यह "मैं" हूँ.

    उनकी एक किताब है "मौन की गूंज", कभी मौका मिले और किताब हाथ लगे तो पढियेगा...बहुत खूबसूरती से समझाया गया है प्रेम को....

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  17. lets make this world..... beautiful place...... foryou &forme &for the universe.that is only possible through pyar ishq aur mohabbat.shayad bhagwan bhi inhi shabdon me bastaa hey.in shabdon ke baare me jo bhi kahaa jaye kum hey.

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  18. प्यार एक बहुत खुबसूरत एह्स्सास है ओर वो ही इस एहास्सा को बहुत अच्छे से समझ सकता है जो इस को जी पाया हो ... इस ब्लॉग कोजिवन उतनी ही खूबसूरती से व्यक्त किया है... बहुत सुंदर

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  19. sambhavnaaye annant hai , jaroorat hai toh unko yatharth mai parivartit karney ki . aur jo na kar saka us k jeevan mai pyaar ki jagah kadwahat aa jaati hai ... ye ek alag aayam hai ki yatharth mai parivartit karney mai kaafi tyag karna parta hai .

    lekh parh kar accha laga

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  20. agar aisa hai to hum jisse pyaar karte hai wo hume kyu nahi karte??/

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