अभी कुछ दिन पहले ही मैंने एक लेख लिखा था। खूबसूरती पर जिस में मैंने मन कि खूबसूरती और तन कि खूबसूरती का जिक्र किया था। आज भी उस ही विषय से जुड़ी एक छोटी सी कहानी जिसको मैंने नाम दिया है।
शायद इसलिए बड़े बुजुर्गों ने सही ही कहा है की आपनो की परख बुरे वक़्त में ही ठीक तरह से हो पाती है। जो बुरे वक़्त में भी आप का साथ न छोड़े और आपका सहारा ही नहीं बल्कि आपका आत्मविश्वास बन कर आप के साथ कंधे से कंधा मिलकार चट्टान की तरह आप का साथ निभाए वही आप का सच्चा हितेशी है, आप का सच्चा साथी है, आप का सब से अच्छा दोस्त है।
एक अच्छे दोस्त की परख तभी हो सकती है। जब आप उसके मन की खूबसूरती को पहचान सकें क्यूंकि मेरे हिसाब से तो दोस्ती को परिभाषित करना भी प्यार को परिभाषित करने जैसा ही कठिन है। तो मेरी परिभाषा तो यह कहती है, की एक अच्छे दोस्त कि निशानी वह होती है जो आपका हर वक्त, हर मोड, पर साथ दे, जिस के साथ आप हस्सों, खेलो, अपने सुख-दुख को निर्भीक हो कर बाँट सको। जिस के साथ रह कर आपको एक जिंदगी भी कम महसूस हो, जिसे आप अपने जीवन में इस तरह से घोल सको जैसे पानी में रंग "पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिस में मिला दो लगे उस जैसा" दोस्त की छवि भी कुछ इसी तरह कि होनी चाहिए है ना वो shakespeare ने कहा था न, की "ALL THE GILLITERS IS NOT GOLD" अर्थात जो जैसा दिखता है जरूर नहीं है की वो वैसा ही हो ,मगर मेरी कहानी में इस कहवात का अर्थ उल्टा ही है मतलब जिसे मैंने पीतल भी नहीं समझा वो सोना निकला
बात उन दिनों कि है, जब मैं कालेज में हुआ करती थी। वहीं मैंने जाना की मन की खूबसूरती तन की खूबसूरती से कहीं ज्यादा बढ़ कर होती है। हालाकि यह बात अलग है कि उन COLLAGE के दिनों में ज्यादा तर लोग मन की खूबसूरती को निखारने से ज्यादा तन की खूबसूरती को सँवारने पर ही ज्यादा ध्यान देते हैं। मेरी अँग्रेज़ी साहित्य की कक्षा में तीन लड़कीयों का एक समूह हुआ करता था। देखने में बहुत ही साधारण लड़कियाँ थी तीनों, मगर पढ़ने में बहुत तेज, चतुर और होशियार सभी अध्यापक उन तीनों से बहुत प्रसन्न रहा करते थे। सिर्फ अँग्रेज़ी साहित्य ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विषयों में भी वह तीनों बहुत होशियार हुआ करती थीं, और में एक साधारण विद्यार्थी तब ऐसा लगाता था कि पता नहीं क्या समझती होगी तीनों, अपने आप मे बहुत घमंड होगा तीनों को और हो भी क्यूँ न सभी अध्यापक जो उनसे बहुत प्रसन्न रहा करते थे।
दोस्ती
या यह कहना ज्यादा ठीक होगा की एक अनुभव को कहानी का रूप देने का प्रयास किया है। जो की आधारित है दोस्ती पर, क्या होती है दोस्ती ? आप के जीवन में क्या मायने रखता है एक दोस्त और उसकी दोस्ती,? दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिसे आप खुद चुनते है। कई बार जिंदगी में अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के दोस्त आप के जीवन में आते है। तब आप को खुद पता नहीं होता कि वो आप के किस प्रकार के दोस्त है अर्थात दोस्ती भी दो तरह कि होती है, एक तो वो जो आप यूं ही चलते फिरते हर किसी से करलिया करते है। कहने को तो वो दोस्ती ही है, फिर चाहे वो महज कहने भर को हो कि हाँ हम दोस्त है, और एक वो जो वास्ताव में आपका दोस्त हो जिसे आप निजी तौर पर भली भांति जानते हो, जो आप को हर तरह से जानता हो, आप का करीबी हो ऐसे दोस्त वह होते है जिनका आभास आप को अपने जीवन में उन के साथ बिताये हुए पलों में होता है कि कौन आपका अपना है और कौन महज़ एक दोस्त जिसे आप अपने सब से करीब पाते हैं, उसे ही आप अपने best friend का नाम दे पाते हैं। कई बाय यूं भी होता है, जिसे आप अपना सबसे अच्छा दोस्त समझते है वो वास्ताव में आप का सब से अच्छा दोस्त नहीं होता और जिसे आप अपना महज़ दोस्त भर समझते हैं वही आगे जाकर आपका सब से अच्छा दोस्त साबित होता है। शायद इसलिए बड़े बुजुर्गों ने सही ही कहा है की आपनो की परख बुरे वक़्त में ही ठीक तरह से हो पाती है। जो बुरे वक़्त में भी आप का साथ न छोड़े और आपका सहारा ही नहीं बल्कि आपका आत्मविश्वास बन कर आप के साथ कंधे से कंधा मिलकार चट्टान की तरह आप का साथ निभाए वही आप का सच्चा हितेशी है, आप का सच्चा साथी है, आप का सब से अच्छा दोस्त है।
एक अच्छे दोस्त की परख तभी हो सकती है। जब आप उसके मन की खूबसूरती को पहचान सकें क्यूंकि मेरे हिसाब से तो दोस्ती को परिभाषित करना भी प्यार को परिभाषित करने जैसा ही कठिन है। तो मेरी परिभाषा तो यह कहती है, की एक अच्छे दोस्त कि निशानी वह होती है जो आपका हर वक्त, हर मोड, पर साथ दे, जिस के साथ आप हस्सों, खेलो, अपने सुख-दुख को निर्भीक हो कर बाँट सको। जिस के साथ रह कर आपको एक जिंदगी भी कम महसूस हो, जिसे आप अपने जीवन में इस तरह से घोल सको जैसे पानी में रंग "पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिस में मिला दो लगे उस जैसा" दोस्त की छवि भी कुछ इसी तरह कि होनी चाहिए है ना वो shakespeare ने कहा था न, की "ALL THE GILLITERS IS NOT GOLD" अर्थात जो जैसा दिखता है जरूर नहीं है की वो वैसा ही हो ,मगर मेरी कहानी में इस कहवात का अर्थ उल्टा ही है मतलब जिसे मैंने पीतल भी नहीं समझा वो सोना निकला
बात उन दिनों कि है, जब मैं कालेज में हुआ करती थी। वहीं मैंने जाना की मन की खूबसूरती तन की खूबसूरती से कहीं ज्यादा बढ़ कर होती है। हालाकि यह बात अलग है कि उन COLLAGE के दिनों में ज्यादा तर लोग मन की खूबसूरती को निखारने से ज्यादा तन की खूबसूरती को सँवारने पर ही ज्यादा ध्यान देते हैं। मेरी अँग्रेज़ी साहित्य की कक्षा में तीन लड़कीयों का एक समूह हुआ करता था। देखने में बहुत ही साधारण लड़कियाँ थी तीनों, मगर पढ़ने में बहुत तेज, चतुर और होशियार सभी अध्यापक उन तीनों से बहुत प्रसन्न रहा करते थे। सिर्फ अँग्रेज़ी साहित्य ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विषयों में भी वह तीनों बहुत होशियार हुआ करती थीं, और में एक साधारण विद्यार्थी तब ऐसा लगाता था कि पता नहीं क्या समझती होगी तीनों, अपने आप मे बहुत घमंड होगा तीनों को और हो भी क्यूँ न सभी अध्यापक जो उनसे बहुत प्रसन्न रहा करते थे।
यह सोच-सोच कर ही मैं उन लोगों से थोड़ा दूर ही रहा करती थी। मगर एक दिन मुझे मेरी अध्यापिका जी ने कहा कि तुम ने जो लिखा है वो ठीक है मगर फिर भी तुम ऋतु के नोट्स देखो उसने जो लिखा है वो और भी ज्यादा प्रभावशाली है और यह काम मुझे उनके सामने ही करना था। बाद का कह कर टाला नहीं जा सकता था, साथ ही यह निर्देश भी थे की पढ़ने के बाद मुझे उस के साथ उस विषय पर विचार विमर्श भी करना है। मेरी स्थिती कुछ वैसी थी वो कहते है ना
सो मुझे भी करना पड़ा लेकिन जब में उसके पास गई और मैंने उसके लिखे हुये नोट्स को पढ़ा और उसके बाद उस के साथ उस विषय को discus किया अर्थात उस टॉपिक पर उस के साथ चर्चा कि तो उसने इतने प्यार से, दोस्ताना व्यवहार को पूर्णरूप से निभाते हुए मुझे अपने विचारों से इतनी अच्छी तरह अवगत कराया कि में उसकी क़ायल हो गई और तब जाकर मुझे यकीन आया कि आखिर क्यूँ सभी उस से इतने प्रभावित रहते है और साथ ही उसके सौहार्दपूर्ण व्यवहार ने मुझे यह सोचने पर भी मजबूर कर दिया कि मैंने बिना मिले उसके बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि वो ऐसी होगी वैसे होगी। जबकि वो तो बहुत ही हंसमुख खुले दिल की लड़की थी, जो एक बार बात कर ले, उस से तो पल में उसे अपना बनना लेने का हुनर था उसमें, उसने कभी एक बार भी, अंजाने में भी, कभी किसी को यह महसूस नहीं कराया कि वो इतनी होशियार है पढ़ाई में या सभी अध्यापकों कि नजर में वो बहुत ही ज्यादा होशियार लड़की है उनकी चाहेती है तो उसे अपने आप में किसी प्रकार का कोई घमंड है। इस बात से यह साफ जाहिर होता है। की जो जैसा दिखता है जरूरी नहीं है की वो वैसा ही हो कई बार हम
"हीरे को भी पत्थर समझ लिया करते हैं "
जबकि वो हकीकत मे पत्थर नहीं हीरा होता है J और कई बार यूं भी होता है। कि जिसे हम “सोना समझते है वो वास्तव में पीतल भी नहीं होता "ऐसी ही है वो मेरी सहेली आज पता कहाँ होगी वो, इसे ही तो कहते हैं मन की खूबसूरती, काश हर इंसान को मन की खूबसूरती की परख होती। काश हर इंसान तन को महत्व देने से पहले मन को अहमियत दे पाता। तो शायद आज कई परिवार टूटने से बच जाते, और ना सिर्फ परिवार बल्कि शायद वो दोस्ती के अनमोल रिश्ते भी जिनकी महक हमारी जिंदगी को हमेशा महकाया करती है
जबकि वो हकीकत मे पत्थर नहीं हीरा होता है J और कई बार यूं भी होता है। कि जिसे हम “सोना समझते है वो वास्तव में पीतल भी नहीं होता "ऐसी ही है वो मेरी सहेली आज पता कहाँ होगी वो, इसे ही तो कहते हैं मन की खूबसूरती, काश हर इंसान को मन की खूबसूरती की परख होती। काश हर इंसान तन को महत्व देने से पहले मन को अहमियत दे पाता। तो शायद आज कई परिवार टूटने से बच जाते, और ना सिर्फ परिवार बल्कि शायद वो दोस्ती के अनमोल रिश्ते भी जिनकी महक हमारी जिंदगी को हमेशा महकाया करती है
अनतः बस इतना कहना चाहूंगी कि "यारों दोस्ती बड़ी ही हसीन है, ये न होतो बोलो फिर क्या ये जिंदगी है", दोस्ती एक ऐसा रिशता होता है जिसे आप खुद चुनते हैं, काश जिंदगी का हर रिश्ता आप खुद चुन सकते इसलिए कभी भी बिना किसी के बारे में कुछ भी जानने से पहले कभी उस के बारे में कोई राय न बनाइये। जय हिन्द....
एकदम सही सलाह कि बिना जाने किसी के बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए. सुंदर पोस्ट.
ReplyDeleteaap ne baahota sunaada likha hai ki bina jaane kisi par raaye nahi baanani chahiye .
ReplyDeleteसटीक विचार ... कभी कभी हम दूसरे कि योग्यता के आगे स्वयं को कम समझ कर उससे दूरी बना लेते हैं यह सोच कर कि वो कहीं घमंडी न हो ... बिना परखे राय नहीं बनानी चाहिए ..यह सन्देश देती अच्छी पोस्ट ..
ReplyDeleteजो बुरे वक़्त में भी आप का साथ न छोड़े और आपका सहारा ही नहीं बल्कि आपका आत्मविश्वास बन कर आप के साथ कंधे से कंधा मिलकार चट्टान की तरह आप का साथ निभाए वही आप का सच्चा हितेशी है, आप का सच्चा साथी है, आप का सब से अच्छा दोस्त है।
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी एवं व्यवहारिक सलाह। आभार।
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ब्लॉग समीक्षा की 23वीं कड़ी।
अल्पना वर्मा सुना रही हैं समाचार..।
दोस्ती से बढ़कर रिश्ता कोई और नहीं ! खुशनसीब होते हैं वे जिनके दोस्त होते हैं !
ReplyDelete:) अच्छी खूबसूरत यादें..
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