Thursday, 7 July 2011

खूबसूरती

एक ऐसा शब्द जिसके कई मायने हैं, हर एक नजर का एक अलग ही नजरिया है इस शब्द को देखने का, समझने का और शायद समझा ने का भी, खूबसूरती जो प्रकृति के कण-कण में विद्यमान है। अपने आप में सेंकड़ों रहस्यों को छुपा हुए है प्रकृति, मगर फिर भी उस से ज्यादा खूबसूरती का पैमाना और कोई नहीं है। पर्वत, नदियाँ, समंदर, नीला फैला आकाश, हरियाली, बारिश का मौसम, बरफीली वादियाँ, झरने यह सभी प्रकृति कि खूबसूरती के कुछ अंश है। मगर जब भी कभी खूबसूरती का जिक्र हो और नारी सौंदर्य कि बात न हो तो खूबसूरती के मायने अधूरे से लगते है और इस लिए शायद रूमानी मौसम को देख कर शायरों का मिज़ाज भी शायराना हो जया करता है। क्यूँ ना हो यह भी तो एक बेहतर तरीका है अंदाज़ ए बयान खूबसूरती का, खूबसूरती होगी तो वहाँ शायर की शायरी भी होगी, और शायरी में वज़न तभी आयेगा जब मुहब्बत होगी और इसी बात पर मुझे (मोहम्मद रफ़ी) जी का एक बहुत मशहूर और बेहद खूबसूरत गीत याद आ रहा है। 


ये रेशमी ज़ुल्फ़ें ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
जो ये आँखें शरम से झुक जाएगी, सारी बातें यही बस रुक जाएगी
चुप रेहना ये अफसाना कोई इन्हें न बतलाना
की इन्हें देख कर पी रहे हैं सभी
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें ये शरबती आँखें
 इन्हें देख कर जी रहें हैं सभी

 खैर हम बात कर रहे थे खूबसूरती कि खूबसूरती क्या है, मन कि खूबसूरती या तन कि खूबसूरती? स्वाभाविक है मन कि खूबसूरती जो तन कि खूबसूरती से कहीं ज्यादा खूबसूरत और अहम होती है, लेकिन जितना एक इंसान के लिए उसके मन का खूबसूरत होना जरूरी है उतना ही तन कि खूबसूरती भी मायने रखती है, हाँ यह बात अलग है कि मन को आप खुद अपने कर्मों से स्वभाव से, अपनी सोच से खूबसूरत बनना सकता है और तन तो भगवान कि देन है। मगर आज कल तो इतने सौंदर्य प्रसादन बाजार में आ गये हैं कि आप अपने मन के साथ-साथ तन को भी उतना ही खूबसूरत बना सकते हो,  मगर वो खूबसूरती बनावटी होगी, कहते है यदि आप का मन सुंदर है तो तन अपने आप ही सुंदर हो जाता है मगर क्या वो नज़र हर किसी के पास होती है जो मन की खूबसूरती को तन के साथ जोड़ कर देख सके भले ही हम मन की खूबसूरती को कितना भी महत्व क्यूँ न दें, मगर मन की खूबसूरती से पहले हमारे सामने तन की खूबसूरती ही आती है और शायद इस दुनिया में हर कोई खूबसूरत से खूबसूरत लगना चाहता है। क्यूँकि अगर ऐसा ना होता तो शायद  हमारी फिल्म इंडस्ट्री कब की बंद हो गई होती J और फिर शायद  कभी कोई लड़का किसी लड़की से प्यार के इज़हार मे यह नहीं कह पाता कि
किस का चहरा अब में देखूँ तेरा चहरा देख कर, मेरी आँखों ने चुना है तुझ को दुनिया देख कर
लेकिन प्यार भी क्या चीज है, जिस के हो जाने के बाद हर किसी को अपना जीवन साथी अपने आप ही दुनिया का सब से खूबसूरत साथी लगने लगता है। ऐसे न जाने कितने लोग होंगे दुनिया मे जिनका जीवन साथी उनके मुताबिक उतना खूबसूरत ना हो जितना की उन्होने कभी कल्पना की होगी मगर समय के साथ-साथ वही जीवन साथी इतना प्यारा लगने लगता है कि उस से ज्यादा अच्छा और कोई उनके लिए हो ही नहीं सकता था और आश्चर्य कि बात तो यह है, या यूं कहिए कि मुझे लगती है कि प्यार में अकसर जिन लोगों का प्रेम विवाह हुआ है उन मैं से अकसर एक व्यक्ति दूसरे की तुलना में थोड़ा कम ही खूबसूरत मिलता है और काई जोड़े तो ऐसे होते हैं जिन्हें देख कर,  गौर कीजिये मैंने लिखा है जिन्हें देख कर, सिर्फ देखने की बात करो तो आमतौर पर हम चलते फिरते कभी किसी से मिलते हैं या किसी के द्वारा कभी हमको किसी के बारे में पता चलता है, खास कर शादी ब्याह जैसी माहौल में तब ऐसा लगता है कि क्या देखा इन्होंने एक दूसरे में ऐसा जो इन में प्यार हो गया। क्योंकि उस वक्त हमको उनकी असल कहानी का तो पता होता नहीं है इसलिए उस वक्त सब से पहले हमारी नज़र उनकी शक्ल और सूरत पर ही जाती है।
अर्थात कहने का मतलब यह है कि साधारण रूप से कोई भी इंसान दूसरे को पहले यदि उसके काम को छोड़ कर अँकता है तो उसकी शक्ल और सूरत से ही अंदाजा लगाता है कई बार हम किसी की खूबसूरती से इतना प्रभावित होते हैं की बिना यह जाने की वो इंसान वास्तव मे अंदर से कैसा है हम चाहते है कि हम उस के करीबी बन कर रहे और कई बार जो इंसान शक्ल सुरता से देखने में बहुत बुरा लगता हो मगर अंदर से वो इंसान सोने की तरह ही क्यूँ न हो हमको उसके करीब जाने में या रहने में थोड़ी असुविधा सी महसूस होती है। यह बात बहुत ही जनरल तौर पर कह रही हूँ में इन बातों से मेरा अभिप्राय किसी को दुःख पहुंचाना नहीं है।लकीन यदि फिर भी जाने अंजाने मेरे बातों से किसी को ठेस पहुंची हो तो उस के लिए मे क्षमा प्रार्थी हूँ।  
अंतत बस इतना ही कहना चाहती हूँ कि खूबसूरती तो केवल खूबसूरती होती है चाहे मन की हो या तन कि दोनों ही अपनी-अपनी जगह बहुत मायने रखती है और एक बिना दूसरी अधूरी सी लगती है। इसलिए अपने तन के साथ-साथ अपने मन को भी उतना ही खूबसूरत बनाने का प्रयत्न कीजिये जितना की तन को खूबसूरत बनाने में किया करते है J

14 comments:

  1. खूबसूरती पर आपके खुबसूरत विचार जानकार मन हर्षित हो गया ...आपका आभार

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  2. khubasurati ka to pata nahi par aap or aap ke vichar dono khubasurat hai.

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  3. प्रकृति के कण-कण में खूबसूरती विद्यमान है यदि इसे पर्यावरण से जोड़कर देखा जाये तो यह अति सुखद हो जाती है . .. आपका विचार आलेख बढ़िया लगा . आपके खूबसूरती पर विचार जाने ...

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  4. बड़े-बड़े लेखक इस विषय पर लिखने से बचते हैं. आपने सरल शब्दों में बेबाक लिखा है. खूबसूरती के प्रति आपका दृष्टिकोण बहुत व्यावहारिक और सही है.

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  5. “किस का चहरा अब में देखूँ तेरा चहरा देख कर,
    मेरी आँखों ने चुना है तुझ को दुनिया देख कर”

    बहुत ही अच्‍छी ||

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  6. मन की गोराई के आगे तन की गोराई कुछ भी नहीं
    ये भोली सूरत कुछ भी नही ये चाँद सी मूरत कुछ भी नहीं

    एक पुराना गीत याद आया जो "राग-दरबारी" में अक्सर गाया जाता है - और मेरी तरफ से ये त्वरित पंक्तियाँ पल्लवी जी-

    क्या जहाँ में खूबसूरत किसको हम अच्छा कहें.
    चैन हो दिल में सुमन तो खूबसूरत है जहाँ

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  7. very well narrated & equally well drafted also.kehte hey ki aapki soch apne aap shabdo ka roop le leti hey.to in your own words tumhari inner beauty ka andaaz apne aap lag jaata hey.i like it.

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  8. khubasurat vykti ki khubasurt vichar aur utna he khubsurat maan...

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  9. bahut khoosurat hain article aapka

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  10. Aapki ye baat bilkul sahi ha ki jyada tar insaan man ki nahi balki tan ki khubsurti se prabhvit hote ha bina ye jane ki wo insaan kasa ha... bas uski khubsurti ma kho jate ha,, jitni khubsurti se aapne ye article likha ha esa lagta ha ki bas isse padte hi rahe baar-baar lagatar.

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  11. मन को आप खुद अपने कर्मों से स्वभाव से, अपनी सोच से खूबसूरत बनना सकता है और तन तो भगवान कि देन है

    बिल्कुल सही कहा है ... केवल बाह्य सौंदर्य से केवल कुछ समय तक ही प्रभावित हुआ जा सकता है ...लेकिन मन कि खूबसूरती जिसके पास हो उसे सब लोंग प्यार करते हैं ..उसका सानिध्य चाहते हैं ... नारी सौंदर्य ..प्रसाधन के साधनों से दिखने में तो खूबसूरती प्रदान कर सकता है ..लेकिन जब तक मन सुन्दर न हो तो खूबसूरत से खूबसूरत स्त्री को कोई पसंद नहीं कर पाता ...

    बहुत सटीक और सार्थक लिखा है ... शुभकामनायें

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  12. बहुत सटीक लिखा है ... शुभकामनायें
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  13. मैंने आपसे पहले ही कहा था,
    खूबसूरत पोस्ट..
    और
    खूबसूरत सलाह..
    :)

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  14. kabhi suna tha ki " खूबसूरती dekhney waalo ki aankho mai hoti hai "

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