Wednesday 18 April 2012

स्कॉटलैंड यात्रा भाग 2

caravans 
पिछले अंक में हमने बात की थी मेकलसफील्ड से मैंचेस्टर और मैंचेस्टर से स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग तक के सफर में हुए अनुभवों की, आज हम बात करेंगे एडिनबर्ग से इनवरनेस तक के सफर की बातें, तो जैसा कि मैंने पहले भाग में कहा था, कि हम लोग सुबह का नाश्ता करके होटल से चेक आउट कर एडिनबर्ग से इनवरनेस की ओर निकल पड़े और जहां जाते वक्त हमारा पहला पड़ाव था ग्लेन कोई(Glen Coe) नामक स्थान जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था चारों तरफ पहाड़ बीच में एक झिल मिलाती सी झील और कड़ाके की ठंड के कारण हल्का सा कोहरा जो धुएँ के समान प्रतीत हो रहा था। वहाँ कुछ केरावान(Caravan) भी खड़े थे। केरावान बोले तो चलताऊ भाषा में चलते फिरते घर, वो जो स्वदेश फिल्म में दिखाया था ना जिसमें शाहरुख खान रहा करता था वही,:) मतलब बस नुमा घर जिसमें नहाने से लेकर रहने खाने बनाने की सभी सुविधायें उपलब्ध होती है।


Glen Coe
हमने देखा इतनी सर्दी में भी वहाँ लोग पिकनिक की तरह उस स्थान का मज़ा उठा रहे थे, सच में घूमने के लिए सिर्फ घूमने का कीड़ा होना चाहिए। बाकी सब अपने आप मेनेज होता चला जाता है। खैर हमने भी गाड़ी रोक कर वहाँ की कुछ तस्वीरें ली ...और निकल पड़े अगली मंज़िल की ओर प्राकृतिक सुंदरता के बीच से निकलती हुई पतली लंबी सड़क, सड़क के दोनों ओर ऊंचे-ऊंचे पाहड़ों की चोटियों पर पड़ी हुई बर्फ ऐसे मोहक दृश्य कि बस उन्हें देख-देखकर मन खिल-खिल जाता था। हमारी दूसरी मंज़िल थी फोर्ट विलियम्स(Fort Williams) नामक स्थान जहां सब कुछ था सिवाए फोर्ट के :) खैर वहाँ पहुँच कर भूख लग रही थी तो हम सभी ने वहीं रुक कर मेकडोनाल्ड में लंच किया और वहीं बैठकर आगे कहाँ और कैसे जाना है यह निर्णय लिया। वैसे यदि आप शुद्ध शाकाहारी है और यदि आपको अलग अलग जगहों के खाने को खाने का शौक नहीं है तो मैं आपकी जानकारी के लिए यहाँ बता दूँ कि यह विदेशों में सब से ज्यादा विकट समस्या है। क्यूंकि यहाँ शाकाहारी खाना मिलना ज़रा मुश्किल ही होता है। 




Loch Lubnaig (Loch Lomand) 
लेकिन यदि आप मांसाहारी है तो आपकी चाँदी है। जहां मर्ज़ी हो खा लीजिये कोई टेंशन नहीं होती है। फिर चाहे वो मेकडोनाल्ड(McDonald)  हो या फिर "सब वे"(Subway) लेकिन फिर भी आपको बीफ(Beef) यानि गाय का मांस और पोर्क(Pork) यानि सूअर का मांस खाने से परहेज है तो भी थोड़ा ध्यान रखने की जरूरत होती है। मगर हाँ शाकाहारी व्यक्तियों के लिए "सब वे" से अच्छा मुझे तो आज तक कोई और विकल्प नहीं लगा, बाकी तो "पसंद अपनी-अपनी ख्याल अपना-अपना" खैर वहाँ से खा पीकर हम निकले अपनी दूसरी मंज़िल की ओर।


Fort Augustus 
जिसका नाम था फोर्ट अगस्ट्स (Fort Augustus) जहां की विशेषता थी एक खुलने और बंद होने वाला पुल जिसमें करीब 3 द्वार थे जो कि उपर से आने वाले पानी को विभिन्न भागों में अलग अलग जल स्तर के आधार पर कम ज्यादा करते हुए बोट को आगे बढ़ाते थे। हालांकि यदि आप उसको तकनीकी नज़र से देखें तो इतने साल पहले अंग्रेजों ने ऐसा पल बना लिया था जिसमें से बोट एक तरफ से दूसरी तरफ कनाल में से होते हुए पार कराई जाती हैं, इसका बड़ा रूप आप पनामा कनाल(Panama Canal) में देखने को मिलेगा, जहां बड़े बड़े कार्गो शिप पार कराये जाते हैं। बस उसके अतिरिक्त और वहाँ कुछ भी नहीं था, सो वह भी देखते हुए हम पहुँच गए इनवरनेस जहाँ हमारा होटल था।


इनवरनेस की शाम का नज़ारा 
वहाँ पहुँचते ही मालूम हुआ कि आज उस होटल का खानसामा बोले तो शेफ छुट्टी पर गया हुआ है क्यूंकि उस दिन ईस्टर का इतवार था। अब रात के खाने का क्या होगा यही सवाल मेरे मन में घूम रहा था। खैर कुछ देर कमरे में आराम करने के बाद हम ने iphone पर भारतीय भोजनालय ढूंढा और सोचा चलो यही चलते है। रास्ते से दिखा इनवरनेस की शाम का यह खूबसूरत नज़ारा, जिसे आप इस तस्वीर में देख सकते हैं। वहाँ के लिए निकले तो रास्ते में ख़्याल आया कि चलो वहाँ फोन करके टेबल बुक कर लेते हैं और पार्किंग का भी पूछ लेंगे सो फोन किया तो पता चला वहाँ जगह ही नहीं है। पूरा भरा हुआ है लगभग 1-2 घंटो की वेटिंग चल रही है। पहले तो समझ नहीं आया कि इतनी भीड़ क्यूँ है। क्यूंकि उस वक्त याद ही नहीं था कि आज ईस्टर है। फिर याद आया कि ईस्टर इतवार होने कि वजह से सभी होटल्स के शेफ छुट्टी पर गए हुए है। 
इसलिए सारी जनता बाज़ार में भोजनालयों पर टूट पड़ी थी, इस तरह लगभग 3-4 भोजनालयों में भटकते-भटकते एक भारतीय भोजनालय में हमको स्थान मिल ही गया, तब तक सभी की भूख़ ज़ोरों से भड़क चुकी थी। सो खाने का स्वाद कैसा है, इस से किसी को कोई मतलब ही नहीं था। सब बस यह सोचकर खाये जा रहे थे कि जो मिल गया वो बहुत समझो और आज के लिए स्वाद को एक तरफ करके बस खा भर लों फिर कल की कल देखी जाएगी, सो सबने खा लिया और होटल आकर सो गए।


यह था हमारी इस स्कॉटलैंड यात्रा का दूसरा दिन और इस आलेख का दूसरा भाग 2.... तीसरे भाग के लिए अभी इंतज़ार कीजिये जल्द मिलेंगे जय हिन्द .... :)     

24 comments:

  1. बढ़िया यात्रा वृतांत , सुंदर चित्र .... भारतीय भोजनालय देखर सच में अच्छा बड़ा लगता है...

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  2. बढ़िया चल रहा है संस्मरण . रोचक . अगले अंक की प्रतीक्षा

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  3. सचित्र यात्रा वृतान्‍त रूचिकर प्रस्‍तुति।

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  4. बहुत बढ़िया जानकारी .......बहुत काम आयेगी ...इस बार ....!!बहुत आभार ....!!

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  5. जितना सुन्दर स्कॉटलैंड, उतना ही सुन्दर वृत्तान्त।

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  6. बढ़िया वृतांत है.हम भी वहाँ कारवां में ही रुके थे अलग ही अनुभव होता है वह भी.

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  7. धन्यवाद शिखा जी,मगर हम लोग caravans में नहीं रुके थे मैंने तो केवल पाठकों की जानकारी के लिए उस विषय में लिखा है :)मुझे उसमें रहने का अनुभव करना अभी बाकी है।

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  8. शाकाहारी लोगों को तो यहाँ भी मुश्किलें आती हैं . क्योंकि कहीं भी जाएँ , खाने में वही मिलता है --शाही पनीर , मिक्स वेज और दाल मक्खनी .
    केरावान का अनुभव कभी नहीं किया हमने . हालाँकि कनाडा के जंगल में देखे बहुत थे लेकिन हम तो देसी स्टाइल में टेंट गाड़ कर रहे थे .
    मज़ेदार यात्रा विवरण .

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  9. bahut hee achche se likkha hai... ab to Scotland jaana hee padega...

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  10. इतना तो समझ आ ही गया कि खाने-पीने की दिक़्क़तें काफ़ी हैं।
    चित्र अंत के बड़े अच्छे हैं।
    तीसरा भाग का इंतज़ार है।

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  11. सुन्दर सचित्र यात्रा वृत्तान्त ..

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  12. बहुत रोचक यात्रा वृतांत....बहुत सुन्दर चित्र ...

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  13. बहुत बढ़िया रोमांचकारी यात्रा प्रस्तुति,...चित्र बहुत अच्छे लगे

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  14. आपकी कथन-भंगिमा और चित्रों ने यात्रा-वर्णन और आकर्षक बना दिया !

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  15. अभी तो सिर्फ चित्र देख रहा हूँ .....
    यात्रा का आनद ...आपकी पूरी यात्रा लिखने के बाद ...
    शुभकामनाएँ!

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  16. भारतीय खाना अब सब जगह मिलने लगा है ... आपका यात्रा वृतांत बहुत रोचक लग रहा है ... फोटो भी लाजवाब हैं सारे ...

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  17. बड़ी मनोहारी तस्वीरें हैं..वर्णन भी रोचक...
    अच्छी चल रही है संस्मरण श्रृंखला..

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  18. बढिया है जी।

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  19. वाह...सुना तो था लेकिन आज आपकी नज़रों से देख भी लिया...
    बेहद खूबसूरत जगह है और तस्वीरें भी जबरदस्त हैं!!
    इनवरनेस की शाम की तस्वीर तो सबसे ज्यादा प्यारी लगी!!

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  20. सुन्दर मनोहारी तस्वीरों से आपकी प्रस्तुति में चार चाँद लग गए हैं.
    शाकाहारी भोजन मिले तो यात्रा का मजा आये.
    आपने घर बैठे ही पढ़ने और देखने का मौका दिया
    इसके लिए धन्यवाद आपका.

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  21. ऐसी जगहों पर खाने की समस्या है, खास कर जो बीफ़ एवं पोर्क नहीं खाते। बढिया वृतांत, आगे चलते हैं।

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  22. यह यात्रा अनुभव भी खूब रहा. सुंदर फोटो और वर्णन. मुझे लगता है कि घूमना भी उनको आता है जिन्हें खूब भली प्रकार से खाना आता है.

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