Friday 6 July 2012

सावन का महीना और मैं ....


यूं तो ज़िंदगी में भी नजाने कितने मौसम आते जाते है। लेकिन चाहकर भी कभी कोई मौसम ठहरता नहीं ज़िंदगी में, हमेशा पतझड़ के बाद ही बहार आती है ,और बहार के बाद फिर पतझड़ बिलकुल सपनों के पंछियों की तरह नींद की डाल पर कुछ देर के लिए आए सपने वक्त की हवा के साथ उड़ जाते है और हमारे दिल में अपने कदमों के कुछ निशां छोड़ जाते हैं। जिनके सहारे कभी तो यह ज़िंदगी सुकून से गुज़र जाती है  तो कभी इन्हीं सपनों के पूरा ना होने पर एक टीस सी रह जाती है मन के किसी कौने में कहीं....मगर वक्त कभी एक सा कहाँ रहता है इसलिए शायद प्रकृति भी हमारे साथ कभी धूप तो कभी छाँव की अटखेलियाँ खेला करती है सदा।

लंबी चली गर्मियों के बाद आज फिर 'मौसम ने ली अंगड़ाई' और एक बार फिर 'आया सावन झूम के' आज सुबह जब उनींदी आँखों से देखा खिड़की की ओर तो जैसे एक पल में सारी नींद हवा हो गयी ऐसा लगा जैसे यह सुहाना मौसम बाहें फैलाये मेरे नींद से जागने का ही इंतज़ार कर रहा था। यूं तो यहाँ (U K) में सदा ही बारिश हुआ करती है। मगर आज न जाने क्यूँ एक अलग सा एहसास था इस बारिश में, ऐसा महसूस हो रहा था जैसे यह बारिश का पानी मुझसे कुछ कहना चाहता है। मुझे कुछ याद दिलाना चाहता है। तभी सहसा याद आया सावन का महीना इस महीने यानि 9-7-2012  तारीख़ से सवान के सोमवार शुरू हो रहे हैं। यह याद आते ही मुझे सब से पहले याद आया वो मंदिरों में होती शिव आराधना वो मंत्रो उच्चारण से गूँजते मंदिर वो मंदिर के बाहर बेलपत्र, धतूरे,और पूजा के अन्य सामग्री से सजी दुकानों का कोलाहल सब घूम गया आँखों और इस सबके साथ-साथ मन प्रकृति के सुंदर नज़ारों में कही खो गया।
जैसा के आप सभी जानते ही होंगे कि सवान के महीने में हरे रंग का सर्वाधिक महत्व होता है। क्यूंकि सावन के महीने में धरती सूरज की तपिश से मुक्त होकर अपनी धानी चूनर छोड़ हरीयाली से परिपूर्ण ठंडी-ठंडी हरी चुनरी जो ओढ़ लिया करती है। बड़े बड़े पेड़ों से लेकर नन्हें-नन्हें पौधों पर पड़ी बारिश की बूंदें जैसे बचपन पर आया नव यौवन का निखार, जल मग्न रास्ते, सभी झीलों,तालाबों और नदियों में बढ़ता जलस्तर बहते पानी का तेज़ होता बहाव जैसे सब पर एक नया जोश ,एक नयी उमंग छा जाती है।
हर कोई, चाहे "प्रकृति हो या इंसान" इस मौसम में एक नये जोश के साथ अपने-अपने जीवन की एक नयी शुरुवात करने की इच्छा रखते है। इसलिए तो प्रकृति भी नए अंकुरों को जन्म देकर उन्हे नन्हें हरे-हरे पौधों के रूप में बदल कर नव जीवन की शुरआत का संदेशा देती नज़र आती है। वो घर आँगन में पड़े सावन के झूले, वो उन झूलों पर आज भी झूलता बचपन और उस बचपन में मेरे बचपन की झलक जिसे आज भी सिर्फ मैं देख सकती हूँ।
वो हरी-हरी चूड़ियों की खनक वो मिट्टी की सौंधी खुशबू में मिली मेहंदी की महक, वो मेहंदी के रंग को देखने का उतावला पन की रंग आया या नहीं,:-) वो नए कपड़ों को खरीद कर जल्द से जल्द पहने की होड वो भाइयों के आने का बेसब्र इंतज़ार, वो मिठाइयों की दुकानो पर सजे फेनी और घेवर की खुशबू, वो बाज़ारों का कोलाहल वो फुर्सत के पल में घड़ी-घड़ी बनती चाय और पकोड़ों की महक वो ताश के पत्ते, वो पिकनिक की जगह तलाशता बचपन वो गर्मागर्म भुट्टों का स्वाद,वो पानी सी भरी सड़कों पर बिना कीचड़ की परवाह किए बेझिझक भीगना वो मम्मी की डांट की बस बहुत होगया बहुत भीग लिए, अब बस करो और भीगोगे तो बीमार पड़ जाओगे।

सब जैसे एक साथ किसी चलचित्र की तरह चल रहा है आँखों में वो जामुन का स्वाद, वो सबसे सुंदर राखी चुन लेने की उत्सुकता और भी नजाने क्या-क्या....मेरे लिए तो इतना कुछ छुपा है इस सावन के मौसम में जिसे पूरी तरह व्यक्त कर पाना शायद मेरे बस में नहीं, बस एक यादों का अथाह समंदर है जिसमें यादों की ही लहरें उठ रही है। एक अजीब सी बेकरारी है। एक अजीब सा खिंचाव जो हर साल, हर सावन में, हर बार मुझे यूं हीं खींचता है अपनी ओर, और उन यादों के आवेग में मेरा मन बस यूँ हीं बहता चला जाता है। किसी मदहोश इंसान की तरह जिसे मौसम का नशा चढ़ा हो। ना जाने क्यूँ कुछ लोग नशे के लिए शराब का सहारा लिया करते है। कभी कुदरत के नशे में भी खोकर देखें ज़रा उसमें जो नशा जो खुमारी है वो शायद ही उस नशे में हो जिसे लोग नशा कहा करते हैं।

लेकिन इन सब चीजों के बाद भी सावन का महीना एक अत्यंत महवपूर्ण चीज़ के बिना अधूरा हैं और वह है संगीत वो सावन के गीत और उस पर बॉलीवुड का तड़का इसके बिना तो सावन नहीं भड़का वो चाय का कप और बारिश का पानी और किशोर कुमार की आवाज भला और क्या चाहिए ज़िंदगी में इस आनंद के सिवा :)
आप भी मेरे साथ मज़ा लिजिए इन सावन की बूंदों और किशोर कुमार के इस मधुर गीत के साथ जिसने मेरे मन के सभी एहसासों को ज़ाहिर कर दिया।
है ना!!! 
सावन के इन मधुर गीतों के बिना भी भला सावन पूरा है कभी ...:-) 
                                      

36 comments:

  1. सावन का महीना तो होता ही उत्सवी है भारत में. पर अब वहाँ भी वो छटा नहीं देखने को मिलती.
    गीत मेरा फेवरेट लगा दिया है आपने ..अब सुने बिना रहा नहीं जायेगा.

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  2. सावन के महीने में हरे रंग का सर्वाधिक महत्व होता है। प्रकृति हरे रंग में रंगी हुई बड़े प्यारी लगती है. आग के झुलसा देने वाले अहसास को यही रंग दूर करता है. लगता है कि पत्ता पत्ता इंसान को कोई आध्यात्मिक सन्देश दे रहा है.

    अच्छी पोस्ट.

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  3. कितना कुछ याद दिला दिया आपने पल्लवी!!
    यहाँ भी आज झमाझम बारिश हुई है और आपकी यह पोस्ट आज बारिश में एक घंटे भींगने के बाद पढ़ रहा हूँ..
    मज़ा आ गया बस!!!
    और बारिश में तो, बारिश+चाय+सावन के गीत=सुख के पल :)

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  4. सुन्दर सावनी प्रस्तुति .
    सावन के काले बादल हमें तो हमेशा ही लुभाते रहे हैं .
    और बारिस के तो क्या कहने !

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  5. सावन के महीने मे मिट्टी की सोंधी खुश्बू से मन झूमने लगता है ....और फिर त्योहारों की बहार ...सच मे सावन जीवन मे भी बहार लाता है ...

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  6. उन यादों के आवेग में मेरा मन बस यूँ हीं बहता चला जाता है। किसी मदहोश इंसान की तरह जिसे मौसम का नशा चढ़ा हो। ना जाने क्यूँ कुछ लोग नशे के लिए शराब का सहारा लिया करते है। कभी कुदरत के नशे में भी खोकर देखें ज़रा उसमें जो नशा जो खुमारी है वो शायद ही उस नशे में हो जिसे लोग नशा कहा करते हैं।
    आज आप मन खुश कर दीं .... शुभकामनायें .... !!

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  7. आपके इस पोस्ट का ही असर है शायद आज दिल्ली भींग गयी

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  8. कल ही बावरे बादलों से बरसने को कहा था. दिल्ली के आसपास आकर भी नहीं आ रहे थे....वैसे मजेदार बात ये भी है कि मैं भी यही मना रहा था कि थोड़ी सी देर से आए बरखा रानी पर आए झूम कर..आज शाम आखिर आ ही गई झमाझम...सावन में मन का बावरा पन तो वैसे भी पूरे उफान पर होता है....मन मस्त मलंग होकर नाचने को करता है....औऱ ये तो महादेव भोले बाबा की कृपा ही है....औऱ क्या

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  9. आपकी पोस्ट पढकर एक बहुत पुराना हिट गाना याद आ गया,,,,,,,
    सावन का महीना पवन करे शोर,
    जियरा रे झूमे ऐसे जैसे बन मा नाचे मोर ,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  10. आखिर आ ही गयी बारिश .... अब लगा कि सावन आया है ... कुछ तो कहीं हरियाली दिखाई दे ही जाएगी ... बहुत सुंदर पोस्ट

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  11. अब सावन भी बैरी सावन हो गया है और वो झूले भी नहीं लगते।

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  12. त्‍योहारों की वो खुशी न जाने कहाँ गायब हो गयी। सावन भी तो इस बार नखरों से ही आ रहा है।

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  13. जीवन का रंग हैं ये उत्सव ...... सावन से जुड़ा सुंदर लेख, सब कुछ समेट लिया आपने तो....

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  14. सावन का रोमांच और यह गीत, मन उड़ा जाता है..

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  15. अरे वाह!!! और आपका यह कमेंट देखकर मैं भी खुश हो गयी... :):)आभार...

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  16. सचमुच सावन झूम के आया है इस बार :) सावन के साथ ही आपकी यह पोस्‍ट भी

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  17. aaya saawan jhum ke.... !! waise rachnakaron ki pahli pasand sawan kyon hoti hai??:)

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  18. Mausam ke saath aapki is post ne bhi hmare saher ki germi ke ahsas kokam ker diya.............
    aaya sawan jhoom ke

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  19. सावन का महीना यानि खुशीयों की फुहार :-))

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  20. ADBHUT ANUBHAW SAWAN KA PALLAVI G BACHPAN KI YADOO KO TAJA KARTE HUE...

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  21. सावन ये सब याद दिला ही जाता है...श्रावण के सोमवार...और राखी की छटा तो अब भी वैसी ही है...बाकी सबकुछ जरूर थोड़ा बदल गया है.

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  22. सावन में हरी-भरी पोस्ट....भीगो रही है सबको...........

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  23. बॉलीवुड का तड़का लगा कर आपने पोस्ट को मज़ेदार बना दिया है. मिट्टी से जुड़े अहसास कई रंगों के साथ याद आते हैं. यूके के मौसम के साथ वह मेल भले न खाए उसकी मातृभूमि से जुड़ी याद मन को खींच लेती है.

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  24. सुन्दर सावनी प्रस्तुति.

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  25. बहुत बढ़िया यादें... वैसे सावन का असली मजा तो भारत में ही है....

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  26. बहुत सुन्दर भीगी भीगी सी रचना...
    हरी चूड़िया और अमिताभ जी का ये गाना...
    बहुत मनभावन है....अब तो सावन का मजा और बढ़ गया....
    :-)

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  27. बहुत ही मार्मिक एवं सारगर्भित प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "अतीत से वर्तमान तक का सफर" पर आपका स्वागत है। धन्यवाद ।

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  28. बहुत खूब .....सावन यूँ ही रिमझिम सा बरसता रहे ...

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  29. सावन में पानी ख़ूब बरसता है किसी के आंगन में और किसी के दामन में.

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  30. सार्थक और सामयिक , आभार .

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  31. सावन ग्रीष्म और शीत का मिलन-बिन्दु है। बारिश की बूंदें इसकी ख़ुमारी बढ़ा देती हैं।

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  32. अच्छी प्रस्तुति और लाजवाब संगीत

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