कल रात एक छोटी फिल्म (शॉर्ट फिल्म) देखी, देखकर मन व्यथित हो गया। न जाने कितने सालों से हम स्त्रियाँ इस दोगले पुरुष
प्रधान समाज में सर उठाकर सम्मान से जीने के लिए कितना कुछ करती आ रही है। कितना कुछ
सहती आ रही हैं, तब कहीं जाकर आज हम इन पुरुषों के कंधे से कंधा
मिलकर चलने के काबिल हुई है। कहा जाता है एक स्त्री ही दूसरी स्त्री की सबसे बड़ी दुश्मन
होती है। अगर यह बात सच है तो फिर यह बात भी उतनी ही सच है की एक स्त्री के हृदय की
पीड़ा भी केवल एक स्त्री ही समझ सकती है दूसरा और कोई नहीं, इस
कहानी में भी यही दिखाया गया था कि किस तरह एक दलित स्त्री ने अपने वर्ग की अन्य स्त्रियों
को न्याय दिलाने और उन्हें भी बाकी स्त्रियों कि तरह सम्मान से जीने का हक दिलाने के
लिए एक कितना बड़ा त्याग किया।
मेरी नज़र में यहाँ बात दलित वर्ग या उच्च वर्ग की स्त्री
से नहीं है यहाँ बात केवल एक स्त्री की है। एक स्त्री को इस (कर) के चलते जिस पीड़ा
से गुजरना पड़ा, उस अपमान से है। अब तक कि पढ़ी मेरी सभी कहानीयों में
यह पहली ऐसी कहानी है जिसमें मैंने पहली बार एक पति को अपनी पत्नी की चिता में सती
होते देखा सुना। मेरे विचार से इतिहास में यह पहली और आखिरी घटना रही होगी। यह कहानी
केरल की एक दलित महिला की कहानी है जिसके गाँव में स्त्रियों के स्तन के आकार और वजन
के हिसाब से उन्हें मूलाकारम नामक (कर) देना होता था। यह प्रथा केवल दलित महिलाओं के
लिए थी उच्च वर्ग की अन्य महिलाओं की तरह इन दलित महिलाओं को अपने सीने को कपड़े से
ढकने का अधिकार नहीं था। जिसने ऐसा किया उसे उसके स्तन के आकार प्रकार और वजन के हिसाब
से दुगना मूलाकारम अर्थात कर (tax) देना पड़ता था।
सुनकर ही कितना अजीब लगता है ना...! किन्तु यह एक कड़वा
और निर्वस्त्र सत्य है। सारी कहानी आपको दिये गए लिंक में मिल जाएगी। लेकिन अपनी जाती
और समाज की अन्य स्त्रियों को इस घिनोने (कर) से मुक्त करने के लिए नंजेली नमक एक दलित
स्त्री ने इस नियम के विरुद्ध जाकर अपने सीने को उच्च वर्ग की महिलाओं के अनुसार कपड़े
से ढका जिसकी सजा के तौर पर उससे दुगना मूलाकारम मांगा गया और जब उसने सजा के तौर पर
कर लेने आए लोगों को कर के रूप में अपने स्तन
काटकर उन्हें देते हुए कहा सारा रोना इन मांस के टुकड़ों का ही है ना तो ले जाइए इन्हें
यही है आपका वास्तविक मूलाकारम कहते हुए उसने अत्यधिक रक्त बहाव के कारण प्राण त्याग
दिये।
नंजेली के द्वारा उठाए गए ऐसे भयानक कदम को देखकर कर लेने
वाले भाग खड़े हुए जिसके परिणाम अनुसार वहाँ के राजा को दलित स्त्रियों के ऊपर से यह मुलाकरम नामक (कर)हमेशा के लिए समाप्त करना पड़ा। नंजेली के पति ने उसका अंतिम संस्कार किया और अपनी पत्नी से किए गए
वादे के अनुसार उसका साथ निभाने के लिए उसकी जलती हुई चिता में खुद जल गया। नंजेली
तो मरते मर गयी किन्तु इस दोगले समाज के सीने में एक ऐसा खंजर घोंप गयी जिसकी चुभन
सदियों तक चुभती रहेगी।
अनोखी परंपरा । अद्भूत त्याग । पल्लवी जी धन्यवाद कहानी की लिंक के लिये !!!
ReplyDeleteSwagat hai sunil ji ����
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पटकथा।
ReplyDeleteदेखी थी इस फ़िल्म को और पहली बार पता भी चला था कि ऐसी क्रूर परम्परा थी। फ़िल्म देखकर मन काँप गया था। परम्परा के नाम पर न जाने कितने अत्याचार होते रहे हैं।
ReplyDeleteGood pallavi ji i read a your article come experience I your reding show you want to see soCiety.
ReplyDeletePush me up against the wall and do dirty things to me. Click here and Check me out i am getting naked here ;)
ReplyDeleteOnline Gifts Delivery in India | Send Gifts to India Online from Gift Shop
ReplyDeleteThanks for sharing information send Birthday gifts Online for all readers.
ReplyDelete