Saturday 9 April 2011

एक नजर यहाँ भी



“YEEEEEE!!!!! WE WIN THE WORLD CUP. CONGRATES TO EVERY INDIAN......’’



सब से पहले तो मेरे सभी देशवासियों को विश्व कप जीत की बहुत-बहुत बधाईयाँ यहाँ सभी से कहूं

    हारी बाजी को जीतना जिन्हें आता है

    यहाँ के हम सिकंदर चाहें तो रख लें

    सब को अपनी जेब के अंदर

    अरे हम से पंगा मत लेना मेरी जान’’

यह बहुत ही खुशी की बात है कि हमारा देश विश्व विजेता के नाम से जाना जा रहा है क्यूँकि हमने क्रिकेट का विश्व कप 28 साल बाद जीता है और यह निश्चित ही हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है। यकीनन हमें इस बात पर गर्व भी बहुत है इसमें कोई दो राय नहीं है और यह बात भी अपनी जगह एकदम ठीक है कि इसके लिए हमारे सभी क्रिकेट खिलाडियों को सराहा जाना चाहिए उनका इस जीत के लिए जितना भी सम्मान किया जाए वो कम ही होगा। मैंने भी सभी मैच देखे, बहुत मजा आया. ऐसा लग रहा था जैसे हमारे खिलाडी नहीं हम खुद ही मैदान में खेल रहे हों। मैंने तो जीत की खुशी में मीठा भी बनाया था। मुझे खेल के क्षेत्र में यही बात सब से अच्छी लगती है कि जब भी कोई खेल खेला जाता है उसमें सभी लोग एक दूसरे से एक परिवार की तरह जुड़ जाते हैं। जीत होती है तो सबकी, हार होती है तो सबकी, यह एक ऐसी भावना है जो दिल से महसूस होती है और मैं इस जीत के लिए बहुत खुश हूँ इतना कि मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती और मेरा बस चलता तो मैं खुद हर एक खिलाडी का स्वागत करती, उन सभी का दिल से सम्मान करती मगर यह करना मेरे वश में नहीं इसलिए सिर्फ उनकी इस जीत मैं खुद को शामिल करके ही बहुत-बहुत खुश हूँ JJJJJ I LOVE MY INDIA....IAM VERY PROUD TO BE AN INDIAN......HATS OF TO YOU GUYS..KEEP IT UP .THIS FOR MY WINNIG CHAMPS.....


लेकिन इस बात के लिए उनका सम्मान पैसे से किया जाये घर अर्थात फ्लैट देकर किया जाये, इस बात से मैं जरा भी मत नहीं हूँ जैसा कि बी.सी.सी.आई और हमारी केन्द्र सरकार ने किया। जहां तक हमारे देश की राष्ट्रपति श्री प्रतिभा पाटिल जी के द्वारा हमारे सभी खिलाडियों को चाय पर आमंत्रित कर उनका मान बढ़ाना, उनको सम्मानित करना यह सब तो ठीक है। मगर, प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर क्रिकेट के खिलाडियों को ही इतना मान सम्मान क्यूँ आखिर क्रिकेट को ही इतना महत्व क्यूँ। जबकि हमारा राष्ट्रीय खेल तो हॉकी है फिर उस तरफ क्यूँ किसी का रुझान नहीं जाता कि उस पर भी थोड़ा ध्यान दिया जाये, उस क्षेत्र में भी ऐसा कुछ किया जाये कि वहाँ भी हमारी टीम का नाम हो। लोग उन खिलाडियों को भी जान सके पहचान सके जैसे क्रिकेट के खिलाडियों को पहचानते है क्योंकि मेरा मानना यह है कि यदि यही पैसा उन्होने हमारे देश की उन्नति के लिए किसी और काम में लगाया होता तो शायद वो ज्यादा सही होता।


आज हमारे देश में ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जिनके पास रहने को घर नहीं, खाने को खाना नहीं, पहनने को कपड़े नहीं, जो दिन रात अपनी गरीबी से जूझते है। यदि यही पैसा उनके लिए कुछ काम आ सकता तो शायद उन मजबूर बेसहारा लोगों कि दुआ से हमारा देश हर बार विजेता बन सकता, क्यूँकि कहते हैं गरीब की दुआ में बहुत असर होता है। लेकिन आप खुद ही सोच कर देखिए कि आज कि तारी में हमारे सभी क्रिकेट खिलाडी पैसे से संन्न है। यहाँ तक कि कोई भी ऐसा नहीं है जो शायद मध्यम वर्ग में आता हो, सभी के पास अपना एक-एक बँगला तो है ही और सचिन जैसे खिलाडी के पास तो पता नहीं कितने घर होंगे। रही बात एक करोड़ रुपये की तो माना कि खिलाडी भी कहीं ना कहीं देशभक्ति की भावना या यूं कहीये कि देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना को रखते हुए भी कहीं न कहीं पैसे के लिए भी खेलते हैं, क्यूँकि यही उनका रोजगार भी है। मुझे इस बात से भी इकार नहीं है क्यूँकि हर व्यक्ति को जीवन यापन के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ता है और हमारे खिलाडी देश के लिए खेल कर तो बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं, इस से बढ़ कर गौरवपूर्ण बात हमारे लिए और क्या हो सकती है।


किन्तु जहां तक मुझे लगता है उनको यह विश्व कप खेलने के लिए भी पैसा दिया ही गया होगा। फिर जीत ने के बाद भी जरूर मिला होगा, मगर इस तरह अलग से इतनी बड़ी राशि हर एक खिलाडी को इतना पैसा और घर देना मेरे हिसाब से तो जरा भी उचित नहीं। खिलाडियों को सम्मानित करने के लिए और भी तरीक़ों को अपनाया जा सकता था और अपनाया भी जाना चाहिये था। जैसे कि उनको जगह-जगह बुलाकर सम्मानित करते या फिर उनके सम्मान में किसी बड़े पैमाने पर कोई आयोजन करते। जिसमें देश विदेश से लोगों को बुलाया जाता या ऐसा ही कुछ और जैसे हमारे देश की राष्ट्रपति ने किया।


अरे क्या आप को नहीं लगता की जितने सम्मान के हक दार हमारे देश के खिलाडी हैं उतना ही हमारे देश के सैनिक भी तो हैं तो फिर क्यूँ कोई उन के बारे में इतना नहीं सोचता जो खुद जाग कर अपने प्राणों कि परवा किए बिना हमारे देश के लिए अपना सब कुछ छोड़ कर दिन रात हरा दिया करता है ताकि हम चैन से सो सके। उन बेचारों के बारे मे तो कोई नहीं सोचता कि उनके वीरगति को प्राप्त हो जाने के बाद उनके परिवार का क्या होगा। उस के बारे में कोई क्यूँ नहीं सोचता बस एक मैडल देकर लोग समझते हैं कि उनका काम पूरा हो गया। क्यूँ उनके परिवारों को भी लोग ऐसे ही एक-एक करोड़ रुपये नहीं देते, रहने के लिए घर नहीं देते। ताकि उस सिपाही के बच्चे और परिवार के लोग भी अच्छी तरह से उस के जाने के बाद भी अपना जीवन यापन कर सके। मगर नहीं तब किसी का हाथ उस वीर मगर गरीब सैनिक के लिए आगे नहीं बढ़ता, कितने शर्म कि बात है। जो हमारे देश के लोगों के लिए अपने प्राणों तक की प्रवाह किए बिना इतना कुछ करता है ठंड में सिकुड़ता है, बारिश में भीगता है, गर्मी में झुलसता है, फिर भी उफ़ तक नहीं करता। उस के लिए कुछ करना तो दूर, कोई कुछ सोचता तक नहीं और जो सिर्फ महज खेलता है वो भी सिर्फ क्रिकेट, उस के लिए इतना कुछ। जरा सोचिए क्या यह सही है? क्या हमारे सैनिकों के लिए हमारा कोई कर्तव्य नहीं है क्या आप को नहीं लगता की जितना सम्मान हम देश के खिलाडियों को दे रहे है, उतना ही हमको अपने देश के सिपाहियों को भी देना चाहिए बल्कि शायद उस से थोड़ा ज्यादा ही। मेरे लिए दोनों का सम्मान मायने रखता है मगर मेरा झुकाव मेरे देश के महान वीर सैनिकों की तरफ ज्यादा है, मगर इस का यह मतलब नहीं कि मुझे अपने देश के खिलाडियों पर गर्व नहीं, वह भी मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं मगर यदि मैं दोनों की तुलना करूँ तो मुझे मेरे तराजू में सैनिकों का पलड़ा ज्यादा भारी महसूस होता है क्यूँ ये हैं तो हम है वरना शायद आज हमारा वजूद भी खतरे में होता।


ऐसा मेरा मानना है, लेकिन इस बात से किसी खेल प्रेमी की भावना को ठेस पहुंचाना मेरे उद्देश्य नहीं था और ना है, मैंने सिर्फ अपना मत रखा है। बी.सी.सी.आई और केन्द्र सरकार के द्वारा जो एक करोड़ रुपये का इनाम और फ्लैट हमारे खिलाडियों को उनके सम्मान के रूप में दिया गया वह गलत हुआ। मैं तो बस इतना पूछना चाहती हूँ की यदि उनके पास सच में इतना पैसा है और अगर वह हमारे खिलाडियों को दे सकते हैं तो फिर हमारे देश के सैनिकों को क्यूँ नहीं या फिर यही पैसा दूसरे खेलों को बढ़ावा देने में क्यों नहीं खर्च किया जाता है? अगर एक बार को यह मान भी लिया जाये कि वह खेल प्रेमी है। तो चलिए यह बात तो हुई बी.सी.सी.आई वालों की मगर हमारी केन्द्र सरकार का क्या उन से तो हमारे देश की हालत छुपी नहीं है और अगर वह सभी लोग भी जो केन्द्र सरकार के अंतर्गत आते है, उन्हें भी यदि खेल में ही अपना योगदान देना है तो फिर एक ही खेल के क्षेत्र में ही क्यूँ बाकी अन्य खेलों के क्षेत्र में क्यूँ नहीं ? हो सके तो जरा सोच कर देखिए........ जय हिन्द  

13 comments:

  1. Well said yes indeed we have to be proud of our cricket team in special to Master Blaster Sachin only his presence in team can make the opposition team to keep on thinking how to get rid of this person as soon as possible

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  2. Sahi kaha didi hari baji ko jitna hame aata ha........ and yes this really is a very proud moment for every indian no matters wheather he is a cricket lover or not/////// our team has made us feel proud.

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  3. Hi Gudiya,
    NIce observation. For your reference please visit the link
    http://www.hindustantimes.com/News-Feed/karanthapar/Pennies-from-heaven/Article1-683324.aspx

    See how Karan has conveyed the same thought.
    Keep Writing.
    NIMISH

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  4. लेखन के माध्यम से आपने अपने मनोभावों को लाखों करोड़ों लोगों के मनोभावों को जोड़ दिया है। सचमुच सिर्फ क्रिकेट क्यों? यह सवाल एकदम मौजूं है। राष्ट्रीय खेल हाकी के साथ साथ अन्य खेलों या फिर दिन रात देश की सुरक्षा में जुटे सैनिकों के प्रति यह सरकारी उद्गार क्यों नहीं?

    पल्लवी जी - बाजारवादी व्यवस्था की यही खासियत है। जहाँ से "आमदनी" होगी - उसे ही सरकारी तंत्र भी तरजीह देंगे। भले घर बनाने वाले मजदूरों के पास घर न हो और अन्न उपजाने वाले किसान अन्न के बिना आत्महत्या ही क्यों न कर ले? कभी की लिखी इन पंक्तियों की याद आ गयी।

    महल बनाने वाले बेघर सभी खेतिहर भूखे हैं
    शासन चलता ठंढ़े घर से शासक की रातें सिन्दूरी

    यूँ तो और भी बहुत बातें कहने को मन छटपटा रहा है - लेकिन विराम दे रहा हूँ। आपकी कोशिशें अच्छी है और मैंने कई बार महसूस किया कि मेरे सोच के बहुत हद तक करीब भी - शुभकामनाएं।

    हाँ एक बात - आपके ब्लाग की नीली स्क्रीन और छोटे छोटे अक्षरों से पढ़ने में दिक्कत होती है। दूसरी बात एक जगह "कहिये" के बदले "कहीये" पर मेरी नजर पड़ी - देख कर वर्तनी ठीक कर लें। क्योंकि ये रचनाएं आपकी भबिष्य की धरोहर भी तो होंगी। है कि नहीं?

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  5. आपको द्वारा उठाए गए मुद्दे सही हैं और आपकी संवेदनशीलता दर्शाते हैं. दूसरा सच यह है कि क्रिकेट एक बिज़नेस है और इसमें देशभक्ति का भावना मनोरंजन के तौर पर जोड़ी जाती है. अधिकतर खिलाड़ी पैसे के लिए खेलते हैं. उनका इमेज बनाने वाले और फिर उनके इमेज को भुनाने वाले बिज़नेसमैन हर जगह बैठे हैं.
    बहुत अच्छी पोस्ट. बधाई.

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  6. हाँ ऊपर कही कई इन पंक्तियों पर गौर कीजिए कि - आपके ब्लाग की नीली स्क्रीन और छोटे-छोटे अक्षरों से पढ़ने में दिक्कत होती है।

    मेरा विचार है कि ब्लॉग के शीर्ष को चित्र से सजाया जा सकता है. शेष पृष्ठ पर बोल्ड फांट्स का प्रयोग किया जाना चाहिए.
    यह आपके विचारार्थ है.

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  7. पल्लवी जी, क्षमा चाहूँगा पर कुछ बातों से मैं असहमत हूँ...उसे लिख रहा हूँ, अगर टिप्पणी लंबी हो जायेगी तो बुरा न मानें :) -

    पहला तो ये कि क्रिकेट अगर ज्यादा पोप्युलर है और बाकी खेल नहीं, तो इसमें सरकार और मिडिया का ज्यादा दोष है, खेल का नहीं...
    क्रिकेट को उस स्तर तक पहुचाने में अहम हाथ है बी.सी.सी.आई का...जिसने अपने दम पे, क्रिकेट को ये मुकाम हासिल करवाया है...बाकी बोर्ड ऐसा क्यों नहीं करते..
    कुछ महीनो पहले एक बी.सी.सी.आई के वरिष्ठ अधिकारी ने अपने टीवी इंटरवियु के दौरान ये कहा था कि अगर किसी और खेल को स्पोंसर या आगे लाने कि बात कभी उठी तो वो बी.सी.सी.आई हमेशा मदद के लिए तैयार है और वो उस खेल के स्तर को ऊपर उठाने कि हर संभव कोशिश करेगा..लेकिन दूसरे खेल विशेषज्ञ और जिन खेलों कि बात कही थी उनके अधिकारीयों को ये बयां नागवार गुजरी..

    मैं भी तहे दिल से चाहता हूँ कि बाकी खेल जैसे होकी और फुटबाल को हमारे देश में ज्यादा लोकप्रियता मिले...

    चेस और टेनिस में, और अब बैडमिंटन(सायना नेहवाल) में खिलाड़ियों ने इतना अच्छा प्रदर्शन दिया है और अच्छा खेल रहे हैं, तो देखिये कितने स्पोंसर आगे आ रहे हैं उन के लिए...

    होकी का पिछला विश्व कप मैंने देखा था जिसमे हम बाहर हो गए थे...और उस खेल में जब पांचवे(शायद) स्थान के लिए मुकाबला हुआ था तो हमारी टीम के कुछ खिलाड़ियों ने अभद्र इशारे किये थे पब्लिक में(ये बात अखबार में आई थी)...वो इस बात से बौखलाय हुए थे कि मैच में ज्यादा पब्लिक क्यों नहीं आई....अरे भाई,पुरे लीग मैच में पब्लिक ने तुम्हे जबरदस्त समर्थन दिया, और फिर भी तुम हारते चले गए...यकीन जानिये, उस समय मैदान देख ऐसा लग रहा था कि कोई क्रिकेट का मैच हो रहा है...स्टेडियम ऐसे भरा हुआ था....

    खिलाड़ी को भी प्रदर्शन दिखाना होगा, तब जाकर लोगों में विश्वास आएगा कि दूसरे खेलों में भी हम नंबर वन हो सकते हैं....

    जैसे कि देखिये, इस बार कोमन्वेल्थ खेल के दौरान जिन खिलाड़ियों ने अच्छे प्रदर्शन किये उन्हें भरपूर सम्मान(पैसा भी) मिला..

    स्टार बॉक्सर विजेन्द्र सिंह देखिये रातों रात हर एड-फिल्म में दिखने लगे...

    तो बात वही है,
    अगर खेलोगे तो पहचान, सम्मान सब मिलेगा...आखिर मिले भी क्यों नहीं?

    आप सोच के देखिये कि यदि क्रिकेट में कल को सचिन न चले, युवराज फीके पड़ जाए...धोनी कि फॉर्म नदारद हो जाए, ज़हीर कि लाईन लेंथ खराब....और मैच दर मैच हम हारते जाए, तो कौन देखेगा मैच?? कोई भी नहीं..

    होकी के खेल में हम किसी ज़माने में सबसे आगे हुआ करते थे...लेकिन फिर क्या हुआ??क्यों हम पीछे हुए...जब होकी में हम पीछे हुए तो उस समय क्रिकेट कि दीवानगी ऐसी कहाँ थी...तो उस समय क्या कारण रही होकी में खराब प्रदर्शन कि?

    दूसरी बात पैसों कि, तो मैं इसे गलत नहीं मानता..सैनिकों वाली बात पे आपके साथ हूँ,
    लेकिन ये भी कहना चाहूँगा,
    कि अगर ब्राजील फुटबाल वर्ल्ड कप जीत के आता है तो वहां कि सरकार पूरी टीम को पैसों से भर देती है...हर खेल में पैसा है...एक.वन, टेनिस और गोल्फ में तो इतना पैसा है कि क्रिकेट कभी बराबरी कर ही नहीं सकता..

    बल्कि जो बी.सी.सी.आई ने हर खिलाड़ी को एक एक करोड देने का फैसला किया मैं, मैं तो उसके विरोध में हूँ...मुझे तो लगता है कि ज्यादा पैसे मिलने चाहिए इन खिलाड़ी को...इतने अमीर बोर्ड से इतने कम राशि कि उम्मीद मुझे नहीं थी...

    खैर जो भी हो....बहुत बातें कहता जाऊँगा,
    टिप्पणी नहीं पोस्ट बन जायेगी :) :)

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  8. बाहर रह कर भी अपने घर की चिन्ता सराहनीय है। बिल्कुल अन्य खेलों को भी वढावा देना चाहिये । देश के महान सैनिकांे की तरफ झुकाव होना ही चाहिये । आपका तर्कयुक्त लेख अच्छा लगा

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  9. राम-राम जी,
    सब पैसे की माया है,
    पैसा हटा दो, फ़िर देखो, कितने नये धुरंधर आते है इस खेल में।

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  10. neha your concern & pious feelings is really appreciable.contraversial issues u have raised are justifed & r very much exposed to politicians & concern beureaucrets.the whole structure& authority needs to be revived & scrutinised to improve the situation.very well drafted blog. good going.march on.

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. It is true that in India we give more importance to cricket than any other game. It is good to give importance to cricket but we must also give importance to other sports. Many other sports like Hockey, Badminton etc requires more importance, money and public support for their survival.

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  13. सब पैसे की माया है|धन्यवाद|

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