सुबह सवेरे में प्रकाशित मेरा लिखा एक व्यंग |
अरे सीमा तुम यहाँ रसोई में क्या कर रही हो बेटा जाओ जाके पढ़ाई करो. कितनी बार कहा है तुम से, यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है.... एक बार पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ. फिर इस काम के लिए हज़ारों पड़े है अपने हिंदुस्तान में, पर माँ मुझे यह सब करना अच्छा लगता है, यह तड़के की खुशबु, यह फूली फूली गुब्बारे नुमा रोटियाँ मुझे बहुत आकर्षित करती हैं.
मैंने कहा ना तुम से....नहीं मतलब नहीं. एक बार में बात समझ नहीं आती है क्या तुमको...? चलो जाओ अपने कमरे में, फिर थोड़ी देर बाद तुषार लाओ माँ मैं बना देता हूँ. रसोई में खाना बनाना तो मुझे भी बहुत पसंद है. पता है कल ही मैंने खाना खज़ाना वाले संजीव कपूर का वीडियो देखा. क्या लाजवाब दम आलू बनाया था उन्होंने, देखकर ही मुँह में पानी आगया.
हे भगवान....! क्या होगा इस घर का सभी खाँसामा ही बनाना चाहते हैं यहाँ, यह नहीं कि कोई पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनने की बात करे.
"कुछ तो गड़बड़ है तारा" मन ही मन तारा ने सोचा. चलो ना माँ आज ट्राइ करते हैं बड़ा मज़ा आएगा. मैं खाना बनाऊंगा और तुम मेरा वीडियो बनाना, ठीक है ? फिर अपन इसे यूट्यूब पर डालेंगे. पागल हो गया है क्या....? यह सब तेरे काम नहीं है. इतना भी नहीं जनता क्या कि यह सब औरतों के काम है. तेरी बीवी आएगी ना, उससे करना यह सब काम. अच्छा..? और जो उसकी रूचि ना हो इन सब कामों में तो, तो क्या, घर के काम तो बेटा तब भी करने ही पड़ते हैं हम औरतों को, छोड़ो ना माँ क्यों झूठ बोलती हो. अरे मैंने क्या झूठ बोला, सच ही तो कहा। अच्छा तो फिर दीदी को क्यों नहीं करने दिया तुमने....माँ एकदम चुप कहे तो क्या कहे...खून का घूंट पीके रह गयी। अरे दीदी तुम्हारी नेल पेंट कितनी अच्छी है, मुझे भी दो ना मैं भी लगाऊंगा...और फिर तुम्हारा दुपट्टा ओढ़कर डांस भी करूँगा। यह देखते ही अब तो जैसे तारा के पैरों तले मानो ज़मीन ही निकल गयी। यह मेरा बेटा क्या कह रहा है। अब तो पक्का कुछ गड़बड़ है तारा, इससे पहले कि सच में कुछ गड़बड़ हो, कुछ कर तारा... कुछ कर.....! हाय राम...! एकता कपूर के धारावाहिक कि तरह उसने मन ही मन तीन बार कहा नहीं....नहीं....नहीं.....ऐसा नहीं हो सकता...बेबसी के भाव लिए, तारा ने तुषार से कहा यह क्या कह रहा है बेटा, भूल मत तू लड़का है....जरा तो लड़कों जैसी हरकतें कर बेटा....लड़कों जैसी....तारा की पड़ोन शीतल ने भी यह सब अपनी आँखों से देखा और कहा... तू कर क्या रही है तारा ? एक तरफ तो अभी अभी कॉलेज में महिला दिवस पर इत्ता कुछ कह रही थी अधिकारों के हनन को लेकर और अब खुद अपने ही घर में अपने ही बच्चों के अधिकारों का हनन... “कुछ तो गड़बड़ है तारा”.... जरुर कुछ तो गड़बड़ है...
No comments:
Post a Comment
अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए यहाँ लिखें