Friday, 15 November 2013

बार्सिलोना भाग-1

यूं तो पहले ऐसा कोई मन नहीं था स्पेन जाने का, लेकिन फिर सोचा यह एक कोना भी क्यूँ छोड़ा जाये जब इतना कुछ देख लिया है, घूम लिया है, तो फिर यह भी सही क्या पता कल हो न हो... और बस यही सोचकर श्रीमान जी ने बार्सिलोना के टिकिट बुक कर दिये और हम चले बार्सिलोना, लेकिन इस बार जाने क्यूँ हमने किसी को भी कुछ नहीं बताया सिर्फ परिवार वालों को पता था बाकी किसी को कुछ नहीं पता था न ही मैंने फेसबुक पर ही कुछ अपडेट किया था कि हम कहाँ हैं और पूरे 6 दिन किसी ने हम से पूछा भी नहीं कि कहाँ हो कैसी हो :( 

खैर हमने देखा, स्पेन का एक खूबसूरत शहर बार्सिलोना जो अपने आप में कला प्रेमियों के लिए कला से भरपूर शहर था। जहां एक और पिकासो की बनी चित्रकारी थी तो वही दूसरी ओर कमिलले पिस्सारो की बनी बेहतरीन तस्वीरें जिन्हें देखकर मन मंत्र मुग्ध हो गया था। हालांकी मुझे चित्रकला या चित्रकारी के विषय में कोई खास जानकारी नहीं है। मगर आप खुद ही सोचिए कि जब मुझे उस विषय में कोई खास जानकारी नहीं है, उसके बावजूद भी मुझे उनकी चित्रकारी ने इतना प्रभावित किया। तो जिन्हें जानकारी होती होगी उनका क्या होता होगा। वहाँ सिर्फ चित्रकारी ही नहीं बल्कि आर्किटेक्चर का काम भी बहुत ही प्रसिद्ध है। आप सभी लोगों ने शायद "एन्टोनी गाउडी" का नाम सुना होगा। वह वहाँ के बहुत ही प्रख्यात आर्किटेक्ट थे। जिन्होंने वहाँ के सभी राजा महाराजों एवं आम जनता के लिए खूबसूरत इमारतों का निर्माण किया था। कई जगह तो ऐसा लगा कि वहाँ के लोगों का उन दिनों बिना गाउडी के काम ही नहीं चलता था जहां जाओ बस एक ही नाम गाउडी गाउडी और सिर्फ गाउडी...   

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इसलिए शायद वहाँ की हर प्रसिद्ध इमारतों को देखकर उस व्यक्ति की सोच के बारे में जानकार और सोचकर बड़ा आश्चर्य सा होता है कि एक इंसान यदि सच में कुछ करना चाहे तो उसके लिए प्रेरणाओं की कमी नहीं है। बस प्रेरित होने की जरूरत हैं। हालांकी हर किसी के पास ऐसी नज़र नहीं होती। ऐसे सोच और समझ ऊपर वाला किसी किसी को ही देता है। जैसे गाउडी की प्रेरणा थी पायथन साँप की हड्डियों का ढांचा, पेड़ की झुकी हुई टहनियाँ, कछुए की पीठ का ढाँचा इत्यादि। इस सब से पता चलता है कि हमारे आस पास ही हर छोटी-छोटी चीजों में न जाने कितनी प्रेरणा भरी पड़ी है। बस उसे देखने, समझने और उस पर अमल करने की जरूरत है और यही सब देखने को मिलता है "गाउडी" के कार्यों में फिर चाहे वो इमारतों के नाम पर, गिरिजाघर में बनी आकृतियाँ हों या फिर राजसी महल हों या फिर आम आदमी के लिए बनी कोई इमारत या लकड़ी की कुर्सियाँ ही क्यूँ न हो। सभी चीजों में एक अलग तरह का काम देखने को मिलता है। 


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इसी सिलसिले में हमने पहले दिन देखा "कासा बाटलो" जो बार्सिलोना शहर का दिल कहा जाता है। यह गाउडी की सबसे प्रख्यात इमारतों में से एक है। क्यूंकि यह गाउडी के द्वारा बनाई गयी सभी इमारतों में से अपने आप में एक अनूठी इमारत है। इस इमारत का लोकल नाम Casa dels ossos है। इसे house of bones भी कहते है अर्थात हड्डियों का घर, लेकिन यहाँ ऐसा कुछ नहीं है। यह तो महज़ मध्यम वर्गीय परिवारों के रहने के लिए बनाई गयी इमारतों में से एक इमारत थी। जिसमें अंदर अलग अलग अपार्टमेंट भी बने हुए है। मगर गाउडी ने इसमें अपनी कला के माध्यम से जो आकार प्रकार दिया है, वह अपने आप अदभुत है। कितना अदभुत है, यह आपको यहाँ के कुछ चित्र एवं तस्वीरों के दवारा ही पता चल जाएगा। यह इमारत बार्सिलोना का दिल है शायद इसलिए यहाँ का टिकिट भी मंहगा है। जैसे हम तीनों का टिकिट हमें 57.5 यूरो का पढ़ा मतलब यदि भारतीय मुद्रा में कहें तो करीब करीब 5000 रूपये का पड़ा।        


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साथ ही यहाँ ओडियो गाइड का भी खासा चलन है। जो आपको लगभग सभी इमारतों या संग्रहालयों में दी जाती है। उसका पैसा भी अलग से लिया जाता है। लेकिन फिर भी उस ओडियो गाइड की मदद से आपको उस जगह या उस स्थान के बारे में जानने और समझने में बहुत सुविधा हो जाती है। इस इमारत की खास बात यह है कि इसकी छत किसी ड्रेगन की पीठ की तरह दिखाई देती है और खिड़कियों के बाहर आधे चेहरे की आकृति है। इस पूरी इमारत को अंदर बाहर से देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे इसमें सीधी दीवारों को न बनाने पर ज़ोर दिया गया है। या फिर उस चीज़ को जानबूझ कर नज़र अंदाज़ किया गया है। इसलिए इस इमारत में बनी लगभग हर चीज़ में आपको एक तरह का घुमाव नज़र आएगा।


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लेकिन इस सबसे भी अदभुत बात यह है कि उस जमाने में भी जिन तकनीकों का इस्तमाल किया गया है वह कमाल है और वही एक ऐसी चीज़ है जो हमें फिर एक बार यह सोचने पर विवश करती है कि क्या वाकई तरक्की के नज़रिये से हम आज आधुनिक हुए हैं? जबकि वास्तविकता तो यह है कि जिन चीजों की खोज करके हमें ऐसा लगता है कि इसे हमने अब पा लिया दरअसल वह सब तो हमारे पुरखे बहुत पहले ही खोज चुके थे। बस उन चीजों को ही आधुनिक रूप देकर हम उसे अपना या आज का आविष्कार समझने लगते हैं। अब जैसे उस जामने में एयर वेंटीलेशन के नाम पर लकड़ी से बना एक नमूना जो उस जमाने में ही बन गया था और बहूत सही इस्तेमाल में भी आता था। जिसे किसी भी तरह के विपरीत प्रभाव का कोई डर नहीं था। अर्थात किसी भी तरह के प्रदूषण या कोई भी और हानि होने की कोई संभावना नहीं थी। बस हवा के रुख के माध्यम से आपको सेटिंग बदलने की जरूरत होती थी। 
ऐसी कई सारी छोटी बड़ी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए गाउडी ने बड़े ही अदभुत तरीके से काम किया है। यहाँ नीचे पहली मंज़िल से छत तक एक से एक कलाकृतियाँ मौजूद है और एक खास बात यहाँ बनी सभी कलाकृतियों में जो बात सबसे साधारण होते हुए भी अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है वह है इमारतों को सजाने के लिए बेकार हो चुके टाइल्स के टुकड़ों का इस्तेमाल और वही इस शहर की खासियत है। यहाँ बने लगभग कर इमारत में साज सज्जा के समान में, कपड़ो पर बनी डिजाइन में सभी में आपको यही एक खास बात देखने को मिलेगी।

आज के लिए केवल इतना ही अभी तो छः दिन का सफर बाकी है दोस्तों यह तो केवल एक दिन का ही यात्रा वृतांत था :) पिचर अभी बाकी है मेरे दोस्त....

 

14 comments:

  1. खूबसूरत स्पेन की यात्रा, पल्लवी के आंखो, अच्छी लगी :)
    अब हमारे पास तो पासपोर्ट तक नहीं !! तो यहीं खुश हो लेते हैं :)

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  2. बढ़िया वृतांत.....
    हमें तो बार्सिलोना याने फुटबाल क्लब ...बस इतना ही पता था :-)

    इंटरवल ख़तम होने के इतंजार में....
    अनु

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  3. Sachida Nand Pandey15 November 2013 at 13:55

    Excellent way of presenting things as always....

    -- ye lekh famalies me panga bhee karva sakta hai...ki seekho Maneesh ji se vo kitna ghumne jaate hai aur ek aap...

    Last time we visited Scotland after reading your Scotland blog, seems this time Spain... :)

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  4. विकेश कुमार बडोला15 November 2013 at 15:04

    यात्रा वृत्‍तांत किसी क्षेत्र-विशेष में घटनेवाली या घट चुकी जीवन की अनेक मौलिक, सामाजिक बातों की गहराई को समझने के लिए केन्द्रित करता है। यह लेखन की संवेदनशीलता है, जिसे बनाए रखना हर लेखक की जिम्‍मेदारी होनी चाहिए। रही कहीं-कहीं वाक्‍य-विन्‍यास, मात्रा, बिन्‍दुओं इत्‍यादि की गलती तो उसका सम्‍पादन करके इस वृत्‍तांत को सहेजने योग्‍य बनाया जा सकता है।

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  5. अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा

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  6. Bahut badhiya .. ghoomte raho :)

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  7. एक दिन का ही यात्रा वृतांत ... जो घुमते-घुमाते कई सारी जानकारियाँ भी दे गया ... अच्‍छा लगा पढ़कर अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी ...

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  8. स्पेन में जिप्सी भी हैं जिनकी भाषा पंजाबी शब्दों से भरी है. एक विश्वप्रसिद्ध जिप्सी कलाकार भी वहीं की है जिसका नाम राया है. आप नाटककार डीगो फ्रेडरिका लोर्का के देश में गई हैं. बहुत खुशी हुई.

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  9. खूब घूमो और हमको बताती रहो :)

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  10. अरूण कुमार17 November 2013 at 21:44

    रोचक और ज्ञानवर्द्धक..............

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  11. अच्छा यात्रा वृतांत ... आपकी नज़र से बार्सिलोना को देखना अच्छा लगा ...

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  12. आपके साथ हमने भी बार्सिलोना घुम लिया. सुन्दर चित्रण किया है. बधाई.

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  13. बहुत रोचक यात्रा वृतांत...

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