वैसे तो ऐसा बहुत कम ही होता है कि जब इतना भी समय न मिल पाये कि मैं अपने ब्लॉग पर भी न आ पाऊँ। मगर इस बार ऐसा क्रिसमस की छुट्टियों के चलते हुआ, इस बार समय ही नहीं मिला ब्लॉग पर आने का इसलिए आज लगभग एक हफ्ते बाद आना हुआ है। आई तो देखा मेरे सभी ब्लोगर मित्रों ने नव वर्ष के विषय पर काफी कुछ लिखा है। बाकी यह कहना शायद गलत न हो कि बहुत कुछ लिखा है। इतना कि अब मुझे सोचना पड़ रहा कि मैं क्या लिखूँ कहाँ से शुरुवात करूँ, खैर अब बात करते हैं इस जाने वाले साल की और कुछ आने वाले साल की भी। जाने वाले साल ने इस साल भी कुछ अच्छे तो कुछ बुरे अनुभव भी कर वाये जैसा कि हर साल ही होता है। फिर भी दोनों तरह के अनुभव को नाप तौल कर देखने के बाद ही हम बड़ी मुश्किल से कह पाते हैं कि जाने वाला साल हमारे लिए कैसा था अक्सर आपने लोगों को कहते हुए सुना भी होगा कि अरे मेरे लिए तो फलां साल बहुत लकी था, उस साल मुझे यह मिला वो मिला। मगर यह जाने वाला साल ठीक ही था "नोट गुड नोट बैड" हर साल की तरह यह जुमला बहुत ही आम होता है हर कोई बस यही कहता नज़र आता है। .
मैं भी यही कहूँगी मेरे लिए भी यह साल कुछ ऐसा ही था न बहुत ही बुरा और ना ही बहुत अच्छा क्यूंकि सब कुछ नज़रिये और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि किन परिस्थियों में आपका नज़रिया क्या रहा था। जैसे यदि घूमने की दृष्टि से देखें तो मेरा यह साल बहुत ही उम्दा रहा। इस साल मैंने पेरिस, इटली, इंडिया सभी जगह खूब घूमा और खूब मज़े किये। ब्लॉग के नज़रिये से भी यदि देखें तो इस साल मैंने पहले की तुलना में खूब सारी पोस्ट बहुत जल्दी-जल्दी डाली और वैसा ही आप सभी का प्यार और प्रोत्साहन भी मिला बहुत सारे अच्छे-अच्छे लोगों से उनकी पोस्ट के ज़रिये मुलाक़ात हुई, दोस्ती हुई जिनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जिनकी मैंने आज तक कभी असली सूरत तक नहीं देखी मगर उनकी रचनाओं के माध्यम से ऐसा लगता है जैसे बरसों की जान पहचान हो और कुछ ऐसे भी हैं जिनको पहले मैंने बहुत घमंडी या अकड़ू किस्म का समझा, मगर जब धीरे-धीरे उनसे बात हुई तब पता चला कि वास्तव में वह बहुत ही प्रेमी लोग हैं मैंने ही उन्हे समझने में भूल की थी। नाम किसी का नहीं लूँगी क्यूंकि इतने सारे लोगों का नाम लेना नामुमकिन सी बात है और यदि गलती से भी कहीं कोई छूट गया तो बेवजह मेरा वो दोस्त बुरा मान जाएगा. जो मैं कतई नहीं चाहती।
खैर यदि मैं ब्लॉग जगत कि बातें लिखने बैठ गई तो शायद यह पोस्ट कभी ख़त्म ही ना हो, इसलिए विषय से न भटकते हुए मैं वापस आ जाती हूँ नव वर्ष पर। समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है और बदलना भी चाहिए, क्यूंकि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है इसी तरह अब नये साल के स्वागत के तरीकों में भी पहली की अपेक्षा बहुत ज्यादा परिवर्तन आया है, पहले ज्यादातर हर त्योहार लगभग नये साल से अनुभूति ही कराया करता था। क्यूंकि जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं हमारा देश कृषि प्रधान देश रहा है इसलिए हर बार मौसम के अनुसार नई फसल आने पर ही कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है भले ही उसका समबंध किसी पौराणिक कथा से जोड़ दिया जाता हो, मगर यदि यथार्थ रूप से सोचो तो हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई नई फसल का आना छुपा होता है। जैसे लोहड़ी ,होली, दिवाली, हर धर्म के लोग इस नई फसल के आगमन को अपने -अपने तरीके से त्यौहार के रूप में मनाते है बस नाम अलग दे दिया जाता है। जैसे अभी नये साल में आने वाला एक बड़ा त्योहार संक्रांति जिस पर तिल की फसल आती है इसलिए उस दिन, नहाने के पानी से लेकर खाने पीने की सभी चीजों में तिल का होना अनिवार्य होता है।
तो दूसरी और इसी त्योहार का दूसरा रूप पंजाबी समाज का जानदार त्योहार लोहड़ी यह भी नई फसल के आगमन को ही दर्शाता है जिसमें हर नई फसल की चीजों का भोग लगाया जाता है जैसे मक्का, मूंगफली, तिल से बनी रेवड़ी और गज़क आहा, मुझे बहुत ही पसंद है यह दोनों मिष्ठान, लिखते-लिखते ही मेरे तो मुंह में पानी आरहा है। हिन्दुस्तानी सभ्यता के अनुसार तो यही दिन होते हैं नव वर्ष के स्वागत के लिए, बस अपना-अपना तरीका है। जैसे कुछ लोग बसंत पंचमी पर सरस्वती वंदना कर पीले रंग को महत्व देते हुए जितना हो सके पीले रंग का उपयोग करते हैं जैसे पीले कपड़े, पीले पकवान सब कुछ पीला -पीला क्यूंकि शायद उस वक्त सरसों का मौसम होता है और टेसू के फूलों का भी जिन्हें पीस कर पीला रंग तैयार किया जाता था। मम्मी बताती है कि पहले तो होली भी इन ही कुदरती रंगों से ही खेली जाती थी। मगर हुआ ना इस त्योहार के पीछे भी फसल का आना।
मगर अब नव वर्ष के स्वागत का तरीका बदल गया है ,क्यूंकि आज की जीवन शैली में परंपरायें रह ही नहीं गई हैं कि कोई उनका पालन करे और कुछ थोड़ी बहुत बची हैं उन्हें निभाने के लिए आज कल किसी के पास समय ही कहाँ है। परंपरा निभाना तो दूर की बात है आजकल तो लोगों के पास जीने के लिए समय नहीं तो त्यौहार क्या खाक मनायेंगे। ऐसा लगता है आजकल सब कुछ ओपचारिकता में बदल गया है। बस यह करना है इसलिए करते हैं मगर अंदर से वो करने वाली भावना होती ही नहीं है शायद इसलिए आज नव वर्ष का जश्न भी केवल होटल तक सिमट कर रह गया सा लगता है। या यह कहना भी शायद गलत नही है कि नववर्ष केवल जवान पीढ़ी तक सिमट कर रह गया है पहले ही संयुक्त परिवार की परंपरा अब बाकी नहीं है ऊपर से एकल परिवारों में भी केवल जवान पीढ़ी ही होटल मे जाकर खाना पीना खाकर, नाच गाकर नव वर्ष के आने का जश्न मना लिया करती है। जिसका केवल एक रात का नशा और जोश होता है अगली सुबह होते ही सब फुर हो जाता है और ज़िंदगी वहीं के वहीं "ढाक के तीन पात" पर ही खड़ी नज़र आती है।
न उसमें कोई जोश ही नज़र आता है न उमंग, सब कुछ बस जैसे एक रात के लिए ही होता है "रात गई बात गई" टाइप .नये साल में लोग अगर कुछ बांटते नज़र आते है, तो वह है केवल ज्ञान जैसे अपने बनाये नये साल के नये संकल्प को हमेशा अपनी आँखों के सामने लिख कर रखो अर्थात ऐसी जगह लगाओ कि सुबह-शाम उठते-बैठते उस पर नज़र पड़ सके ताकि सारी साल आप उस पर अमल कर सको और अपनी मंज़िल को पा सको वैसे देखा जाये तो बात सही है मगर मुझे ऐसा लगता है कि यह सब बस कुछ दिनों का भूत रहता है जो वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे उतरता जाता है और आने वाले नए साल तक पूरी तरह उतर चुका होता है। खैर यह विषय ऐसा है इस बात पर जितनी बात की जाये वो कम ही होगी इसलिए इस पोस्ट को यहीं विराम देते हुए बस इतना ही कहना चाहूंगी।
"आप सभी को नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें, ईश्वर करे आपके सभी के सपने पूरे हों,
आपको मान-सम्मान और अपनों का ढेरों प्यार और आशीर्वाद मिले"
आपको मान-सम्मान और अपनों का ढेरों प्यार और आशीर्वाद मिले"
इसी मंगलकामना के साथ एक बार फिर आप सभी को
IN
ADVANCE
"WISH YOU A VERY HAPPY AND PROSPEROUS NEW YEAR"
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं। आप सही लिख रही हैं कि हमारे त्योहार फसल के अनुसार होते थे और फसल मौसम के अनुसार होती है। हमें यह भी देखना चाहिए कि हमने कितना प्रेम दिया और आगे कितना दे पाएंगे। केवल मिले इसी से कुछ नहीं होता, बल्कि हम यूं कहें कि आप अधिक से अधिक लोगों को स्नेह दें।
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएं......
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
नववर्ष आपके जीवन मे ढेरों खुशियाँ लेकर आयें ।
ReplyDeleteआपके लिखने में सहजता और अपनत्व महसूस होता है.
ReplyDeleteआप जो भी टिपण्णी करतीं हैं वह भी मन से करतीं हैं.
ब्लॉग जगत में आपसे परिचय एक सुखद अनुभव है.
आपको व आपके समस्त परिवार को आनेवाले नववर्ष
की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
आपकी प्रखर सोच एक नयी सोच दे जाती है... नए वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही सहज़ व सरल शब्दों में इतना विस्तृत रूप दिया आपने इस पोस्ट को ... नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
ReplyDeleteउत्तम ख्याल ! आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को नव-वर्ष २०१२ की ढेरों शुभकामनाये !
ReplyDeleteआने वाले नव-वर्ष-२०१२ के लिए शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteखुश और स्वस्थ रहें!
आने वाले नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसादर
और एक साल बीत गया ।
ReplyDeleteगुजरे वक्त का आंकलन करना भविष्य के लिए फायदेमंद हो सकता है ।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें जी ।
बहुत सुंदर प्रस्तुती,नई सोच, अच्छे विचार, ,.....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
नई पोस्ट --"काव्यान्जलि"--"नये साल की खुशी मनाएं"--click करे...
Beete Samay par nazar daalna Bahut sukhad lagta hai ...
ReplyDeleteAapko Bhi naye Saal ki Bahut shubh kamnayen ...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं...........
नवर्श में कुछ आशावादी भी बने रहेंगे। शुभकामनाएं॥
ReplyDeleteनये वर्ष में सब मंगलमय
ReplyDeleteनए वर्ष की मंगलकामनायें..पल्लवी जी
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....नववर्ष आगमन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....
ReplyDeletesunder prastuti.... naya sal mubarak ho.
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की शुभकामनाएं......
ReplyDeleteदो त्यौहार -मकर-संक्रांति और सरस्वती पूजा मुझे कितने पसंद हैं ये बतला नहीं सकता..
ReplyDeleteऔर न्यू इअर रेजोलूशन या संकल्प तो मुझे बड़ा बेकार सा लगता है!
हैप्पी न्यू इअर पल्लवी जी!
नए साल की हार्दिक बधाई आपको
ReplyDeleteहाँ ड़ी जे /वी जे /और भी कई जे मसलन पी जे (पीजिये -पिलाइए )वाली संस्कृति घर बना रही है .मौज मस्ती का बहाना चाहिए .जब कि मौज और तरंग अन्दर से गायब है .नव वर्ष मुबारक .
ReplyDeleteपल्लवी, इस बार हमने साल की बिदाई और नये सूरज का स्वागत बिलकुल अलग अन्दाज़ में किया ! 31 दिस. को गौतम बुद्ध की पुण्यस्थली राजगिर गये । देर रात जब कई होटलों में नशे के दौर चल रहे थे; हम राजगिर के ब्रह्म कुण्ड नामक गर्म पानी के एक सोते में स्नान का आनन्द ले रहे थे । 1 जनवरी की सुबह का सूरज को अर्ध्य दिया - पावापुरी में महावीर स्वामी की परिनिर्वाण स्थली ( जल मन्दिर ) पर ! फिर नालन्दा में प्राचीन विश्वविद्यालय के भग्नावेशों पर अतीत की स्मृति और अध्ययन! विभोर कर देने वाले दो दिन ! अविस्मरणीय !
ReplyDeleteचैटिंग करती सी पोस्ट. नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो.
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