Friday, 11 November 2011

हाथों की महिमा....


हाथों की महिमा.... 

आज तक आपने शायद चेहरे की सुंदरता के बारे में पढ़ा होगा ,आँखों की सुंदरता के बारे में भी पढ़ा होगा,या यूँ कहना ज्यादा ठीक होगा कि आज तक आप सभी ने चेहरा, आँखें, केश, होंट यहाँ तक के पाँव की खूबसूरती के बारे में भी पढ़ा होगा। कई  कवियों ने इस विषय पर कवितायें लिखी, शायरों की शायरी तो खूबसूरती पर ही आधारित होती है, इस प्रकार, आपने औरत कि खूबसूरती पर आधारित ग़ज़लें, गीत सब कुछ सुने देखे और पढ़े भी होंगे। मगर मुझे यक़ीन है, कि आपने हाथों कि खूबसूरती के बारे बहुत कम ही पढ़ा या सुना होगा। है न!! 
J वैसे अब जो विचार में आपके सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ। वह मेरे विचार नहीं है, उन विचारों का निर्माण किसी और के दिमाग कि उपज है। जिसे किसी के प्रस्तुतिकरण ने और भी ज्यादा सुंदर और प्रभावशाली बना दिया है। मगर किस के दिमाग उपज है यह मुझे भी नहीं पता। यह मैंने एक विज्ञापन में देखा। कहने को वो मात्र विज्ञापन ही है, मगर एक ऐसा विज्ञापन, जो मेरे दिल को छू गया जिसने मुझे इस विषय पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि मैं भी इस विषय पर कुछ लिखूँ। 

वैसे तो विज्ञापन बनाने वाली कंपनियों का तो काम ही होता है, उपभोगता को भावनात्मक तरीक़े से अपनी और आकर्षित करना। मगर भावनायें तो भावनायें ही होती है। वह यह नहीं देखती कि उनकी उत्पत्ति कहाँ से और किस माध्यम से हो रही है। सो मेरे अंदर भी उस विज्ञापन को देखकर कुछ भावनायें जागीं। जिन्हें मैं आप सभी के साथ बाँटना चाहती हूँ। क्योंकि यहाँ जो विज्ञापन टीवी पर आते है, वो वहाँ भारत के टीवी चैनल्स पर नहीं आते। यह सब पढ़कर शायद आप सभी को यह लग रहा होगा कि मैं भी क्या कभी टीवी सीरियल, तो कभी विज्ञापनों पर ही पोस्ट लिखती रहती हूँ। 
J मगर मैं यहाँ यह कहना चाहूँगी, सच में मुझे यह विज्ञानपन इतना अच्छा लगा कि उसको आपके साथ इस पोस्ट के ज़रिये बाँटे बिना मैं रह ना सकी।J 
 "हाथ जो मिट्टी से बेहद सुंदर निर्माण करते हैं"

कहने को यह विज्ञापन शक्तिभोग आटे का है, किन्तु उस विज्ञापन कि तस्वीरें यहाँ लगा पाना संभव नहीं हो रहा है J मगर इस विज्ञापन के माध्यम से जो हाथों के महत्व को प्रदर्शित किया गया है वो सराहनीय है। "हाथ जो मिट्टी से बेहद सुंदर निर्माण करते हैं" बच्चों के खिलौने से लेकर अदबुद्ध मूर्तियों तक जिन्हें भगवान मान कर लोग पूजा करते हैं। जैसे ईश्वर ने कभी रचना की हो इस संसार की,

वैसे ही जब यही हाथ यदि विनाश की और बढ़ जायें, तो क्या नहीं कर सकते। ऐसे पेड़ काटना या और भी कई बुरे काम.... 

कभी यह हाथ सहारा हैं,

तो कभी प्रार्थना के रूप में विश्वास और आस्था का प्रतीक,  

वहीं कभी यह हाथ प्यार से खिलते हैं ,तो कभी प्यार से सुलाते भी हैं। J कितने महत्वपूर्ण होते है यह हाथ भी फिर ना जाने क्यूँ वंचित रह जाते है, खूबसूरती के पैमानों पर, हर एक चीज़ के दो पहलू होते हैं। एक अच्छा तो एक बुरा भी, हाथों के भी हैं, मगर मैंने यहाँ सब का वर्णन नहीं कर रही हूँ। क्योंकि हर सकारात्मक चीज़ के साथ उसका नाकारात्मक पहलू भी जुड़ा ही होता है। वो आपको पढ़कर ही समझ आ जाएगा। इसलिए अब इस विज्ञापन से उत्पन्न हुई भावनाओं को यही विराम देती हूँ। साथ ही यह उम्मीद भी करती हूँ कि आपको भी यह भावनात्मक प्रस्तुति पसंद आयेगी जय हिन्द ......  आप सभी लोगों के कहने पर में यहाँ उस विज्ञापन का लिंक दे रही हूँ। यहाँ आपको न केवल शक्ति भोग आटा, बल्कि उसके सभी product का विज्ञापन देखने को मिल जाएगा।  
http://www.youtube.com/watch?v=klX9S4pyXlw&feature=results_main&playnext=1&list=PL4EC230769270C92E               

37 comments:

  1. aap vigyapan ki original copy bhi de paati to khushi hoti...kher sach hai hath sach me kai kaam karte hain....

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  2. सही कहा आपने ... सृजन में सदैव तत्‍पर रहते हैं हाथ.. बहुत ही रोचकता से आपने यह आलेख लिखा है ...आभार सहित बधाई ।

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  3. :)
    हो सके तो यूट्यूब का कोई लिंक दीजिए!

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  4. बहुत अच्छी पोस्ट व प्रस्तुति,बहुत अच्छे से आपने हाथों के विभिन्न आयाम दर्शाए हैं !

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  5. कभी दुआ में उठ जाएँ कभी थप्पड़ भी बन जाएँ..ये हाथ हैं..

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  6. हाथ तो हाथ है किसी का हाथ सर पर हैं तो बस कोई चिता ही नहीं ...

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  7. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है कल शनिवार (12-11-2011)को नयी-पुरानी हलचल पर .....कृपया अवश्य पधारें और समय निकल कर अपने अमूल्य विचारों से हमें अवगत कराएँ.धन्यवाद|

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. आप सभी की जानकारी के लिए बताना चाहूंगी, कि मैंने आपके कहने पर उस विज्ञापन का लिंक नीचे अपनी पोस्ट पर लगा दिया है। अब आप उस विज्ञापन को वहाँ देख सकते हैं। जहां न केवल आपको शक्ति भोग अंटा, बल्कि उसके सभी प्रॉडक्ट कि जानकारी भी विज्ञापन के रूप में ही देखने को मिल जाएगी। :-)

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  10. ...हाथ ही वह अंग है जिसके माध्यम से आदमी वानर से नर बना…

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  11. हाथों ने तो विश्व रचा है।

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  12. 'हाथ' कांग्रेस का भी तो चुनाव चिन्ह है,पल्लवी जी.
    हाथ पर मुहर लगाएं,कांग्रेस को सफल बनायें.

    आपका क्या ख्याल है इस बारे में.

    कहते हैं: अपना हाथ,जगन्नाथ

    आपकी सुन्दर सकारात्मक पोस्ट के लिए दिल से आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आप अभी तक क्यूँ नही आयीं जी.

    मैंने अपने ब्लॉग का लिंक आपको मेल किया था.

    नई पोस्ट जो पुरानी होती जा रही है के बारे में भी बताया था.

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  13. इस आलेख में हाथ की महिमा पर आपने बहुत ही सधा हुआ हाथ दिखाया है।

    लगे हाथ कुछ और देख लीजिए इस शे’र में

    कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की
    घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है

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  14. सच विज्ञापन सिर्फ देखने भर के लिए नहीं होते ..एक संवेदनशील इंसान इनसे कितना कुछ सीख लेता है यह उसकी गहराई में जाकर ही पता लगता है..
    बहुत ही सुन्दर सार्थक बोलती प्रस्तुति के लिए आभार!

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  15. हांथों के सौंदर्य पर सुंदर यह आलेख
    नज़रों की गहनता ही पाये इसको देख

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  16. हाथ इस बात का प्रतीक हैं कि हमें अपना कर्म करते रहना चाहिये और कर्म ही इंसान को सच्ची सुंदरता प्रदान करता है।

    पोस्ट बहुत अच्छी है।

    सादर

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  17. यही हाथ यदि विनाश की और बढ़ जायें, तो क्या नहीं कर सकते। ऐसे पेड़ काटना या और भी कई बुरे काम....

    वहीं कभी यह हाथ प्यार से खिलते हैं ,तो कभी प्यार से सुलाते भी हैं। J कितने महत्वपूर्ण होते है यह हाथ भी फिर ना जाने क्यूँ वंचित रह जाते है, खूबसूरती के पैमानों पर,... bahut achha likha hai aapne

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  18. बेहतरीन पोस्ट. शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण है और उन सभी कि अपनी अपनी विशेषताएं है.

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  19. हाथों की महिमा अपरंपार...आपके हाथ से हाथों का विश्लेषण करवा दिया. :)

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  20. पल्लवी जी,आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आप मेरे ब्लॉग पर आयीं.
    परन्तु,आपने मेरी पोस्ट 'सीता जन्म आध्यात्मिक चिंतन-३' पर
    दूसरी बार दर्शन दिए हैं

    और मेरी पोस्ट "सीता जन्म -आध्यात्मिक चिंतन -५":
    आपके पावन दर्शन को व्याकुल है अभी.'नाम जप'
    पर अपने अमूल्य विचार व अनुभव प्रस्तुत कर अनुग्रहित
    कीजियेगा.

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  21. बढ़िया महिमा बताई आपने हाथों की

    Gyan Darpan
    Matrimonial Site

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  22. सार्थक प्रस्तुति, बधाई.

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  23. हाथों की दास्तान कहती अच्छी पोस्ट!

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  24. Oh! Pallavi ji,you are so nice.
    Many many thanks to you.

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  25. रोचक लेख।
    हांथों के सौंदर्य पर अच्छी पोस्ट...........

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  26. सही कहा आपने ,

    blog par aakar utsah vardhan ke liye aabhaari hoon

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  27. आपका ब्लॉग अच्छा लगा | कई विशेषताएं बता दी अपने हाथों की | एक "हाथ" और है जिसने इस देश को हर तरह से बर्बादी के मुहाने पर पहुंचा दिया है | कभी उसकी पोल न खोलने लगना | वैसे वह स्वयं शर्मशार हो रहा है पर हेकड़ी है कि जाती नहीं |
    मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद | आशा है यूँ ही उत्साह बढ़ाते रहिएगा | धन्यवाद |

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  28. बात-बात में हाथों का मर्म समझा दिया आपने।

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  29. हाथ ही नहीं , शरीर का हर अंग महत्त्वपूर्ण होता है . लेकिन यूज या मिसयूज करना व्यक्ति के हाथ में होता है . इसलिए हाथ की महत्ता और भी बढ़ जाती है .
    वैसे ब्लोगर्स के लिए इनका महत्त्व और भी ज्यादा है .

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  30. इन हाथों के लेखन के माध्‍यम से ही हम सब एकदूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। अच्‍छी पोस्‍ट।

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  31. हाथों पर सुन्दर पोस्ट ... सच है हाथ कहीं सृजन करते हैं तो कहीं विनाश भी ...

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  32. कहते हैं कि प्रातः उठते ही सबसे पहले अपने हाथों का दर्शन करना चाहिए. ऐसा इस लिए कहा जाता है कि हाथों को ईश्वर समान माना जाता है. यदि कोई अपने हाथों को ईश्वर मान ले तो प्रातः दर्शनीय यही एक चीज़ है जिस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता. अच्छी बातें याद दिलाता आलेख.

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  33. अच्‍छी प्रस्‍तुति .. हाथ के हाथ में ही सबकुछ होता है !!

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  34. पल्लवी जी,
    बहुत सुंदर, क्या कहूं
    ऐसी रचनाएं और भाव कभी कभी ही पढने को मिलते हैं।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  35. Poonam Srivastava जी ने कहा
    pallavi ji , waqai in hathon ki mahima par shayad hi kisi ka dhyaan gaya ho.bahut bahut hi pasand aai aapki yah post
    hardik badhai swikaren

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  36. हाथ प्यार की भाषा होते हैं और व्यक्तित्व को भी परिभाषित करते हैं।

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