नवभारत टाइम्स पर आया मेरा यह लेख मेरे उन दोस्तों और पाठकों के लिए है जो मेरे साथ मेरे facebook account पर जुड़े हुए नहीं है।J
मगर बाकी सब लोग भी पढ़ सकते है। J
यूँ तो सभी बच्चे बहुत ही मूड़ी होते हैं कब किस बात पर उनका मूड बदल जाये, कहना मुश्किल ही होता है। खास कर खाने-पीने के मामले में तो बहुत ही नखरेल, आज कल के जमाने में बच्चों को स्वाद कम बल्कि देखने में आकर्षित खाना ज्यादा पसंद आता है।इसलिए यदि आप अपने बच्चों को कुछ पौष्टिक भोजन खिलाना चाहते हैं तो, उसमें अंदर भरिये प्यार, ममता के साथ पोष्टिक खाने के तत्त्व जैसे हरी सब्जियाँ, दालें, चने, राजमा जैसी प्रोटीन से भरपूर चीजों से बनी चीज़ें और बाहरी रंग रूप रखिए विदेशी खान पान का, जिसका आजकल चलन है। क्यूँकि किसी ने कहा है कि "खाने के स्वाद से पहले हमेशा उसका रंगरूप आता है" और उसे देखकर ही खाने की ओर आपकी ललक बढ़ती है। आज कल के "फास्ट फूड" के जमाने में बच्चों को सम्पूर्ण पोषण वाला आहार मिले वो बहुत ज़रूरी हो गया है। क्यूंकि आजकल के बच्चे सिर्फ पिज्जा, बरगर, कोलड्रिंक जैसी चीजों को ही ज़्यादा पसंद करते हैं और कभी भी पूछने पर उनकी पसंद और सबसे पहली डिमांड भी यही सब चीज़ें होती हैं। उस पर "कार्टून नेटवर्क" चैन्नल की मेहरबानी कि अब तो कार्टून्स को भी यही सब खाते दिखाया जाता है। जिसके चलते बच्चों की सोच और रुझान इस ओर पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों में मैंने भी यही महसूस किया और बहुत सोचा कि ऐसा क्या किया जाये कि बच्चों को उनकी पसंद के अंदर ही सम्पूर्ण पोषण वाला खाना भी मिल जाये और उनकी पसंद भी रह जाये। तब मुझे कुछ टिप्स मिले तो सोचा क्यूँ न आप सब के साथ भी इन टिप्स को बाँट लिया जाये। क्यूंकि बच्चों का टिफ़िन बनाते वक़्त इस परेशानी से तो लगभग हर माँ को रोज़ ही गुजरना पड़ता है J है न !!! तो लीजिये कुछ टिप्स आपकी सेवा में हाजिर हैं ।
- यदि आप अपने बच्चों को बर्गर देती हैं, तो उसके अंदर की टिक्की स्प्राऊट या कई दालों के मिश्रण से बना सकती है, या फिर काले चने को उबाल कर उसका भी प्रयोग किया जा सकता है।
- बच्चों को अक्सर बाज़ार में बिकने वाले काठी रोल जिन्हें यहाँ (फजीता रैप) भी कहा जाता है जो बच्चों को बहुत आकर्षित करते हैं। आप भी "होल मील" आटे से बनी चपाती के अंदर पनीर को हल्का सा तल कर चाट मसाला डालकर बाकी सारा सलाद का सामान रखकर रोल्स बनाकर दे सकते है। चाहे तो उसमें चटनी या सौस का प्रयोग भी कर सकते हैं, या फिर यदि आप अंडा खाते हैं या मांसाहारी है तो चिकन के साथ अंडे के ऑमलेट का या उबले अंडे का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- सैंडविच बच्चों का सबसे पसंदीदा खाना है। क्यूंकि बच्चों को अक्सर वो खाना पसंद आता है, जो चलते फिरते खाने में सुविधा हो और हाथ भी ज्यादा गंदे न हो, तो ऐसे में यदि कोई सबसे पहले नाम दिमाग में आता है तो वो है सैंडविच, उसके अंदर हर बार कोई नई दाल या फिर कई सारी सब्जियों के मिश्रण से बने कटलेट्स का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- ऐसे ही चाकलेट की जगह आज कल "कॉर्नफ़्लेक्स" से बनी चाकलेट भी बाज़ार में उपलभ्ध है। जो तुरंत लगी भूख के लिए पर्याप्त भी है, साथ ही पोष्टिक भी, या फिर किशमिश और अन्य कई प्रकार कि मेवा पर चढ़ी चाकलेट भी उतना नुकसान नहीं करेगी।
बच्चे क्या, बड़े भी खायेंगे ये।
ReplyDeleteबहुत ही स्वादिष्ट आलेख है :)
ReplyDeleteवैसे ये लेख मेरे लिए नहीं हो सकता क्योंकि मैं तो बना बनाया खाकर स्वाद लेने वालों मे से हूँ और यहाँ आपने बनाकर खिलाने की बात कही है :(
सादर
ज्ञान बढ़ाती हुई सार्थक पोस्ट आभार
ReplyDeleteस्वाद के साथ स्वास्थ्य भी! वाह!
ReplyDeleteआप का ज्ञान बर्द्धक लेख पड़ा,अच्छा लगा,बहुत सी माताओं की
ReplyDeleteसमस्या आपने हल कर दी ।
जी सही फ़रमाया.अच्छी माँ हैं आप :)
ReplyDeleteसही सलाह देती रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट।
ReplyDeleteआभार...
अच्छी प्रस्तुति ..वैसे आज कल माँएं ऐसे प्रयोग करती रहती हैं ... या यूँ कहें कि करना पड़ता है ...
ReplyDeleteGood Ideas.... Thanks
ReplyDeleteउत्तम सलाह....बच्चों के साथ पतियों को भी...:)
ReplyDeletebahut hi sahi sujhaaw
ReplyDeleteबहुत ही उत्तम प्रस्तुति ...आभार ।
ReplyDeleteयम यम।
ReplyDeleteदिखाता हूँ आपका ब्लॉग कूकिंग मशीन को।
उदयपुर में एक संस्था है शिक्षान्तर। अमेरिका में जन्मे और वही पले बड़े हुए युवा दम्पत्ति, लेकिन कुछ दिनों बाद ही अनुभव हुआ कि पाश्चात्य भोजन और आचरण दुनिया के लिए हानिकारक हैं। इसलिए वे यहाँ चले आए और अब भोजन में स्थानीय अन्नों का प्रयोग करते हुए बहुत ही स्वादिष्ट पिजा, बर्गर आदि व्यंजन बनाते हैं। बच्चे और बड़े सभी चाव से खाते हैं। वे शक्कर, घी और तैल का प्रयोग भी नहीं करते हैं।
ReplyDeletepasand aayi modern ma ki yah raay..
ReplyDeleteapne blog par bulaane ka shukriya pallavi ji
अरे वाह - यह देखने में भाने वाली बात खूब कही - वैसे तो बच्चों के साथ बड़ों को भी ललचा रहे हैं चित्र :) :) :)
ReplyDeleteबढ़िया सलाह है.आकर्षण भी ,पोषण भी.
ReplyDeleteउपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार . हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteआपके दिए सुझाव बहुत उपयोगी हैं. बच्चों को मैदे से जितना दूर रखा जा सके उतना ही अच्छा. तली चीज़ों का प्रयोग सप्ताहांत-डिशिज़ के तौर पर किया जाए तो बेहतर है. उस दिन बच्चों को खूब खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. बच्चों को फल कैसे खिलाए जाएँ, यह भी एक समस्या है. मेरे आसपास के बच्चे फलों से कतराते हैं.
ReplyDeleteपौष्टिक पोस्ट. सोच रहा हूँ कुकरी कक्षाएँ ज्वायन कर लूँ :))
बहुत ही उपयोगी जानकारी मिली आपके पोस्ट पर
ReplyDeleteभाई सबको ध्यान देना होगा आखिर स्वस्थ तन है तो धन है !
पल्लवी जी आप मेरे पोस्ट पर जो टिप्पणी दिया वो गूगल महाराज ने बौंस कर दिया फिर भी मै अपने मेल के जरिये
पढ़ा ! हो सके तो दुबारा आये अपनी टिप्पणी प्रकाशित करे ! धन्यबाद !
अच्छी जानकारी
ReplyDeleteइस पर तो अमल होना चाहिए
बहुत बहुत शुभकामनाएं
सबसे पहले तो आपका तहे दिल से शुक्रिया "भूषण अंकल" कि आप आए मेरी पोस्ट पर और आपने अपने बहुमूल्य विचारों से मुझे अनुग्रहित किया। रही बात बच्चों को फल खिलाने की,तो मेरी समझ से उसका सबसे अच्छा उपाय है किसी भी फल का(मिल्क शेक)जो सभी बच्चों को बेहद पसंद होता है। इससे एक पंत दो काज हो सकते है। फल के साथ बच्चों को दूध की पौष्टिकता दोनों एक साथ मिल जाते है। :-)
ReplyDeleteविदेशी कंपनिया इसी का तो लाभ उठा रही है॥
ReplyDeleteहम भी बच्चे हैं जी....चटोरी जीभ का क्या करें..
ReplyDeleteअच्छा तो इस ब्लॉग पर अब हेल्थ सलाह भी मिलेगी...अच्छा है, नयी नयी, तरह तरह की जानकारियां :)
ReplyDeleteहम भी अपने बेटेलाल को इसी तरह नई नई चीजें बनाकर खिलाते हैं तो उन्हें भी खाने में मजा आता है। जैसे सारी सब्जियाँ बारीक बारीक काट लीं और फ़िर उसका उत्पम बना दिया डोसा या फ़िर इडली या परांठा बना दिया। कल तो दलिये में ही बनाकर परोस दिया, स्वाद ले लेकर खाते हैं हमारे बेटेलाल भी और हम भी।
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