कहते है भगवान जो करता है उसके पीछे कोई न कोई अच्छाई अवश्य छिपी होती है। इसलिए शायद मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ इस बार कुछ निजी कारणों के चलते मैं इस साल की छुट्टियों में इंडिया नहीं आ पायी तो देखिये मुझे यह सोनू निगम लाइव कॉन्सर्ट देखने का सुनहरा अवसर मिल गया। इससे और कुछ साबित हो न हो मगर यह तो साबित हो ही जाता है जी, कि कुछ नहीं से कुछ तो अच्छा होता ही है बोले तो,
"सम थिंग इज़ बैटर देन नथिंग"
मैंने इसके पहले आज तक कोई भी लाइव कॉन्सर्ट नहीं देखा था वैसे जगजीत सिंह जी का लाइव कॉन्सर्ट देखना का बड़ा मन था मेरा, लेकिन वह मेरी किस्मत में न था और ना ही अब कभी हो सकता है। मगर इस तरह का पहला अनुभव होने के नाते में इतना ज़रूर कह सकती हूँ कि मेरे लिए यह अपने आप में एक बहुत ही अदभुत अनुभव रहा। वहाँ पहुँचते ही सबसे पहले तो मुझे ऐसा लगा मानो मैं कोई संगीत के प्रोग्राम में नहीं बल्कि किसी की शादी के रिसेप्शन में आई हूँ जहां मुझे छोड़ कर बाकी सभी एक से एक बेहतरीन तडकीले भड़कीले लिबासों में आए हुए थे जिसे देखो वो खुद को विश्वसुंदरी से कम नहीं समझ रहा था, उम्र का किसी पर कोई असर नहीं था। चाहे वो साठ 60 -65 साल कि दादी अम्मा हो या 16-17 साल की लड़कियां, सभी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सभी अपने-अपने मन में यह सोच कर आयी थी कि सोनू निगम बस उन्हें ही देखेगा :)
यही एक बात थी जो यह साबित करती रही थी कि आज भी सोनू निगम को महिलाएं ज्यादा पसंद करती है। आज भी महिलाओं में सोनू निगम का क्रेज़ ठीक वैसा ही है जैसे आज से दस बारह साल पहले हुआ करता था और हो भी क्यूँ न उसकी आवाज़ में ही वो जादू है जो एक बार चढ़ना शुरू हो जाये तो बस चढ़ता ही चला जाता है और बस दिल गुनगुनाने लगता है तेरा जादू चल गया... प्रोग्राम की शुरुआत की गायिका जोनिता गांधी ने जिसने फिल्म इश्क़जादे में वह गीत गया था ज़रा-ज़रा काँटों से लगने लगा दिल मेरा मैं परेशान...लेकिन सोनू की आवाज़ की बात ही कुछ और है, सच उसके गीत और उसकी आवाज़ सीधे दिल तक उतरती चली जाती है। खासकर जब वो गाता है "सँदेसे आते हैं, हमे तड़पाते हैं, वो चिट्ठी आती है, जो पूछे जाती है के घर कब आओ गे"... या फिर जब वो गाता है "यह दिल दीवाना ,दीवान हाँ है यह दिल...और न जाने ऐसे कितने ही अनमोल नगमे जिन्हें जितनी खूबसूरती से लिखा गया उन्हें उतनी ही खूबसूरती से सोनू ने अपनी मखमली आवाज़ देकर उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा दिये।
जब पब्लिक डिमांड का वक्त आया तब मेरा मन कर रहा था कि मैं उस से कुछ रोमांटिक गीत गाने को कहूँ जैसे वीर फिल्म के गाने, या फिर मेरा सोनू के गाये हुए गानो में से सबसे ज्यादा पसंदीदा गीत "सौ दर्द है सौ राहते सब मिला हम नशी एक तू ही नहीं.....सच मज़ा अगया यह प्रोग्राम देखकर,सोनू निगम जैसी शख़सियत को यूं सामने देखकर, कितना खूबसूरत है वो उतना ही फिट भी यदि वो अपने बेटे से न मिलवाता या यूं कहें कि ना मिलवाये तो उसे देखकर लगता ही नहीं कि उसका 4 साल का एक बेटा भी है। सच वो स्टेज की रौनक और चकाचौंध रोशनी, वो जनता की तालियों और सीटियों की गड़गड़ाहट वो सोनू के लिए लोगों का पागलपन उफ़्फ़ जितनी तारीफ़ की जाये वो कम है।
वैसे तो सोनू निगम की आवाज़ में जादू है ही मगर मुझे उसके साथ-साथ आकर्षित किया वहाँ के माहौल ने लोगों के शोरगुल ने मौज मस्ती ने पागलपन ने और इस सब के बावजूद भी जो सबसे अच्छी बात लगी वो यह कि इतना बड़ा सेलिब्रिटी होने के बावजूद भी उसने जनता के सामने कोई नखरे नहीं किए तीन घंटे के समय में वो ज़रा देर के लिए भी नहीं रुका, रुका भी यदि तो ज्यादा-से ज्यादा एक मिनट के लिए रुकता था हर दो तीन गानो के बाद पानी पीने के लिए जो उसने वहीं स्टेज पर ही रख रखा था। वहीं जनता के सामने पसीना पौंछना, पानी पीना वो भी बिना किसी नाज नखरे के या ब्रेक के बहाने मुझे उसकी यह बात अच्छी लगी।
अब सभी सेलिब्रिटीज़ ऐसा ही करते है या सिर्फ उसने किया यह मैं नहीं का सकती क्यूंकि मैंने पहले ही कहा कि मैंने ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं देखा था। खैर कुल मिलकर यह अनुभव मेरी ज़िंदगी की एक सुनहरी शाम का एक यादगार अनुभव रहा :) मैंने सीधा मज़ा लिया आप तस्वीरों से लीजिये और मेरी पसंद का एक गीत सुनिए जो इस कॉन्सर्ट में तो मैं न सुन सकी मगर सोनू के गाये हुए गानो में से यह मेरा बेहद पसंदीदा गीत है। उम्मीद है आपको भी पसंद आएगा