Thursday 13 October 2011

एक बार फिर हैवानों की हैवानियत ने किया इंसानियत को शर्मसार ....


आप सभी को याद हो अगर तो मैंने बहुत दिनों पहले एक पोस्ट लिखी थी। जिसका शीर्षक था मरती हुई भावनायें। आज यह तस्वीर जो आप ऊपर देख रहे है उस को देखकर तो मुझे लगा कि मरती हुई भावनायेँ कहना गलत होगा। बल्कि मर गई भावनायें ज्यादा ठीक लगता है। क्योंकि यदि कहीं किसी कोने मे थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होती किसी के अंदर कोई भावना तो आज इस मासूम की यह हालत न होती, जो है। जब से यह तस्वीर देखी है और इस के बारे में पढ़ा है। "तब से अंदर से एक आह!!! एक चीख़ सी निकलती है" कि कोई कैसे कर सकता है फूल से भी ज्यादा कोमल इस बच्ची के साथ यह दुर्व्यवहार, ऐसा घ्रणित कार्य करते वक्त करने वाले के हाथों ने कैसे किया यह गंदा काम? क्या एक बार भी उसकी अंतर आत्मा ने उसे नहीं रोका या उसे सोचने पर मजबूर नहीं किया कि वो जो करने जा रहा है वो कितना बड़ा पाप  है ? कितना बड़ा अधर्म है ? 

छि छि छि.... मुझे तो शर्म आती है, कि मैं एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ, जहाँ इतनी आधुनिकता आने के बाद भी लड़कीयों की यह दुर्दशा की जा रही है। कितना और गिरेगा अब इंसान कितनी बार इन हैवानों की वजह से शर्मसार होती रहेगी इंसानियत। यूँ ही चलता रहा अगर, तो वो दिन दूर नहीं जब बिना किसी ऐसे पाप को अंजाम दिये भी हर इंसान या तो दुबारा इंसान ना बनने की इच्छा रखने लगेगा या फिर शायद सभी के अंदर से यह इंसानियत नाम का शब्द हमेशा के लिये मिट जायेगा। क्या आप जानते है, क्या किया गया है इस मासूम के साथ, जानेगे तो यक़ीनन आपको भी इस बात पर शर्म ज़रूर आयेगी कि आप भी उसी गंदी, बदबूदार, निहायत ही छोटी और संकीर्ण मानसिकता रखने वाले समाज का एक हिस्सा हैं। यह बच्ची कूड़ेदान से बरामद हुई है और इसके शरीर पर आपको जो यह छोटे-छोटे लाल निशान दिखाई दे रहे है वह चींटियों के खाये जाने के निशान है। ज़रा सोचिए कितना दर्द हुआ होगा उस मासूम को उस वक्त, कितना रोई होगी वो मासूम मगर उसकी दर्द भरी चीखें किसी ने न सुनी, अरे जब हम बड़े एक छोटी सी लाल चींटी के काटने कि वजह से तिलमिला जाते है। तो इस मासूम का क्या हाल हुआ होगा।

दिल रो रहा है मेरा...
L इस फूल की यह हालत देखकर इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कह सकती। मेरी हाथ जोड़ कर उन सभी अभिभावकों से बिनती है। कि यदि आपको लड़की नहीं चाहिए, तो पैदा भी मत कीजिये please. क्यूँकि यूँ पैदा करके उसे निर्दयता से जानवरों और कीड़े-मकोड़ों के हवाले करने से तो अच्छा है कि आप उसका जीवन यूँ ही खत्म कर दें। "जी हाँ मैं जानती हूँ कि मैं जो कुछ भी कह रही हूँ वह सरासर गलत है। मैं खुद उसके खिलाफ हूँ। मगर इस मासूम की यह ह्रदय विदारक घटना और तस्वीर को देखने के बाद, उसके बारे में जानने के बाद मैं यही कहूँगी कि पैदा होने के बाद किसी मासूम के साथ ऐसा हैवानियत का खेल खेलने से तो अच्छी है भूर्ण हत्या। मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ कि जो कुछ भी मैंने कहा या लिखा है वो सब गलत है। ऐसी समस्या का यह कोई हल नहीं हुआ। मगर जो इस मासूम के साथ लोगों ने किया। उसको मद्देनज़र रखते हुए जो मुझे ठीक लगा मैंने कह दिया।

और क्या कहूँ आगे आप खुद ही समझदार हैं। ज़रा सोचिए वो मासूम भी आपकी तरह एक इंसान है जिसके सीने में भी दिल है, जज़्बात है। उसे भी दर्द और तकलीफ़ होती है। जागो और अपनी अंतर आत्मा को सुनो, क्या कहती है वो, यूं न उसे मारकर, अनसुना करके अपने घर कि लक्ष्मी को ठुकराओ क्या पता जो आज है, कल हो न हो और तुम यूँ ही बेटे की लालसा में दोनों से हाथ धो बैठो फिर न तुम्हें लक्ष्मी मिले न विष्णु ....जय हिन्द ....  
                           

46 comments:

  1. क्या कहूं. काफी देर तक सोचता रहा. जिस अंदाज में आपने लिखा है वह सचमुच झकझोर देंने वाला है. हमारे समाज में ऐसी घटनाये आये दिन घट रही हैं . ईश्वर हमें सद्बुध्दी दें.

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  2. पल्लवी जी

    आप से बिलकुल सहमत हूँ वास्तव में मै भी यही कहती हूँ की करने दो खूब करने दो लोगो को भ्रूण हत्याए जन्म दे कर उसे मर देने, किसी कूड़ेदान में फेक देने या जीवन भर उसे कोसते रहेने उसके सामने उसकी बेटी होने का दुखड़ा रोने बेटे के आगे उसे आभाव भरा जीवन देने से अच्छा ही है उसे जन्म लेने से पहले ही मार दो हम तब तक किसी की कीमत महत्व को नहीं समझ पाते जब तक वो हमारे जीवन से चला न जाये तो ठीक है हमारे समाज से बेटियों को चले ही जाना चाहिए | मै भी भ्रूण हत्या को समर्थन देती हूँ |

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  3. अगर ऐसा है तब सचमुच भ्रूण हत्या ही ठीक है…

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  4. ओह...मैं सहमत हूँ आपसे इस अवस्था से तो भ्रूण हत्या ही बेहतर.
    इंसान नहीं हैवानियत की भी परकाष्ठा है ये.

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  5. शर्मनाक है यह।
    तस्‍वीर को देखकर ऐसे ही रौंगटे खडे हो गए और फिर आपका लिखा पढकर मन क्रोध में भर गया।
    एक मासूम के साथ इस तरह की हरकत करने वाले इंसान कहलाने के हकदार नहीं है।
    पोस्‍ट पढने के बाद अब चिंता हो रही है आखिर इस मासूम की स्थिति अब कैसी है... यदि आपको कुछ जानकारी हो तो कृपया शेयर किजिएगा....

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  6. इस पोस्‍ट को मैं अपने फेसबुक वाल और ग्रुप में शेयर कर रहा हूं......

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  7. Bhurn hatya bhi bhi paap h. Bahut hi ghatiya log hote h jo asa kaam karte h . Ladkiyo ko kudedan me phenkdete h. Ase logo ko sare aam fansi de deni chahiye.

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  8. वर्तमान में लोग शिक्षित हो रहे हैं लेकिन ज्ञानवान नहीं। शिक्षा का अर्थ केवल पैसा कमाना भर है। इसलिए केवल लाभ की ही बात करते हैं। उन्‍हें लगता है कि बेटा होगा तो पैसा घर में रहेगा और बेटी पर तो खर्च करना पड़ेगा। इसलिए जब तक शिक्षा को केवल अर्थोपार्जन से ही जोड़कर देखा जाएगा और नैतिक शिक्षा धर्मनिरपेक्षता की भेंट चढ़ जाएगी तब तक ऐसे ही होता रहेगा।

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  9. जिनहोने इस बच्ची के साथ ऐसा किया है वे इंसान तो क्या जानवर भी कहलाने लायक नहीं हैं क्योंकि जानवर भी अपने बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करते।
    आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ।

    सादर

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  10. दूसरे मनुष्य को ऐसी मृत्यु देने की अपेक्षा खुद को मार लेने में अधिक मानवता है. पल्लवी बिटिया यह तुला कभी संतुलित नहीं होती.

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  11. धर्म की जो पुरोहितवादी व्याख्याएँ प्रचलित हैं उन्हीं का नतीजा हैं ऐसी घटनाएँ। 'कुंती' ने भी तो कर्ण को बहा दिया था और कबीर दास जी भी बहाये गए थे और ऐसा किया था धर्म-निरपेक्ष नहीं तथाकथित धर्मानुयाइयों ने। 'धर्म'वह है जो धारण करता है ,जब तक पोंगा-पंथ को धर्म मानना बंद नहीं होगा ऐसे अपराध भी होते रहेंगे।

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  12. कल 15/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. पल्लवी जी कल ये फोटो फसबूक पर शेयर किया था आज आपकी पोस्ट पढ़ी सही लिखा है आपने .इतने बेशर्म और तंगदिल कसे हो सकते है लोग.दूसरों को क्या दोष दे इसे जनम तो किसी स्त्री ने ही दिया होगा.अगर यही करतना था तो जन्म ही क्यों दिया.और कुछ ना करती कम से कम अनाथालय में ही छोड़ आती .हाथ नहीं काँपे होंगे उस माँ के? खेर में ये माँ शब्द वापस लेती हू क्यूंकि उसे माँ कहकर हम माओं का अपमान करदेंगे.....

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  14. बहुत ही अच्छी पोस्ट दी है आपने इस समाज के बारे में की जो समाज में गलत भावना चल रही है !और इसमें कनु जी ने भी बहुत अच्छी बात कही अपने कमेन्ट में आपका प्रयाश जरुर सफल होगा !
    कभी हमारे ब्लॉग पर् भी आये
    "SAMRAT BUNDELKHAND"

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  15. हे भगवान !! ऐसा कैसे कर पाते हैं लोग ?

    लेकिन - - नहीं - मैं भ्रूण हत्या से फिर भी सहमत नहीं हो सकती |हाँ - उसे बहुत दर्द हुआ होगा - हाँ - मानती हूँ कि मेरी सोच से भी अधिक - किन्तु - जीवित तो है ना ? आगे जीवन में बहुत कुछ है - अभी तो शुरुआत है | नहीं - दर्द से बचने के लिए मृत्यु - - वह भी उसकी इच्छा के बिना ? इससे मैं सहमत नहीं |

    तब की - जिस भी व्यक्ति का एक्सीडेंट हुआ हो और दर्द में हो / या अनेक अन्य कारणों से दर्द - जैसे कैंसर आदि - तो उसे उसकी इच्छा के बिना मृत्यु दे दी जाए - दर्द से बचाने के लिए ?

    एक गलत को दूसरा गलत कभी कम नहीं कर सकता !!!!!

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  16. कूड़ेदान में नवजात को फेंक देने वाले अभागे उन लोगों से भिन्न हैं जो लिंग परीक्षण कराकर कन्या का पता लगने पर MTP (भ्रूण हत्या) कराते हैं। वे सक्षम लोग तो कभी पकड़े ही नहीं जाते। यहाँ वर्णित करुण कथा समाज के सबसे निचले स्तर पर रहने वाले लोगों की है।

    आमतौर पर निम्न वर्गीय गरीब परिवार की कुँवारी लड़की या अकेली औरत अवांछित गर्भ को समय रहते नष्ट न कर पाने पर उस अवैध गर्भ को पालती है और प्रसव के बाद इस प्रकार का दुष्कृत्य करने पर मजबूर हो जाती है। किसी माँ की ममता पर जब समाज के कायदे कानून भारी पड़ते हैं तब इस प्रकार की लोमहर्षक घटनाएँ होती हैं।

    इस सामाजिक यथार्थ पर भी चिन्तन किया जाना चाहिए।

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  17. jidagi ko sharmshaar karti hui aisee bahut kuchh baaten roj ghatit hoti hai...:(

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  18. aisa karney waalo ko bhagwaan sadbuddhi de ...

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  19. पल्लवी जी जानती हूँ आपने भावना मे बहकर कहा है मगर न तो भूण हत्या हो और ना ही ऐसा जघन्य अपराध …………।सिर्फ़ इतना किया जाये कि किसी नि:सन्तान दम्पत्ति को वो बच्चा दे दिया जाये तो कम से कम एक आँगन तो बच्चे की किलकारी से महक जाये। मेरे ख्याल से तो ये सबसे उत्तम तरीका है।

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  20. जी हाँ वंदना जी, मैं भी आपके सुझाव का स्वागत करती हूँ और समर्थन भी, मैं खुद भी भूर्ण हत्या के खिलाफ हूँ। इस विषय पर मैं पहले भी एक पोस्ट लिख चुकी हूँ। आप जैसे या हमारे जैसी सोच रखने वाले कुल कितने लोग होंगे हमारे समाज में शायद सिर्फ इतने के उन्हें उँगलियों पर ही गिना जा सके। इसलिए मैंने इस पोस्ट के जरिये बिनती की है कि जो अभिभावक ऐसा सोचते हैं। जैसा इस तस्वीर में दिख रहा है उसे तो लाख गुना अच्छी है भूर्णहत्या।
    खैर आपने यहाँ आकार एक बहुत ही अच्छा संदेश दिया उसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार.... शायद लोगों कि आँखें खुल जाएँ।

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  21. वेहद दुखद !
    अमानवीय कृत्य !!

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  22. सचमुच दुखद पहलू है यह.
    आपके ब्‍लॉग को फालो कर रहा हूं, अब गूगल रीडर से इस ब्‍लॉग के पोस्‍टों को नियमित पढ़ पाउंगा.

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  23. जो लोग इस अमानवीय कृत्या में शामिल हो, उन्हें समाज से बहिस्कृत कर देना चाहिए.

    आपने लोगों की आँखें खोलने का महत्वपूर्ण कार्य किया.. बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  24. aise agyaaniyon se bhara pada hai samaaj.

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  25. शर्मनाक!!!धिक्कार है ऎसे लोगों को।

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  26. Oh god! Please help us.
    Sadbuddhi do unnhe jo Tumhaare dwara manusya ko di gayi sabse badi shakti
    ka uphaas bana rahe hai.

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  27. Mam please main is post ki link
    bhartiya mari
    blog par laga raha hu.
    Kripya anumati de!

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  28. बेहद शर्मनाक है यह ...

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  29. अशोक कुमार जी मेरी ओर से कोई आपत्ति नहीं है आप मेरी इस पोस्ट का लिंक भारतीय नारी ब्लॉग पर लगा सकते हैं।

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  30. ...किसी और को ..निसंतान को तो तब दिया जाय जब पहले वह उसे अपना मानने को तैयार हो...क्या समाज नाजायज़ औलाद पैदा करने को कहता है ...सिर्फ अपने चंद पलों के सुख के लिए यह सब होता है ....बस मानवीय अनैतिकता ही दोषी है ....अन्य कोई नहीं ,...
    ----युगों से यह होता आरहा है ...आखिर इस दर्द की दवा क्या है ...कोई बताएगा ???

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  31. सच में ये एक शर्मसार कर देने वाली घटना है ऐसे लोगों को तो मानव के बीच से निकल फेंकना चाहिए उसी कूड़ेदान में ....
    भ्रमर ५
    यह बच्ची कूड़ेदान से बरामद हुई है और इसके शरीर पर आपको जो यह छोटे-छोटे लाल निशान दिखाई दे रहे है वह चींटियों के खाये जाने के निशान है। ज़रा सोचिए कितना दर्द हुआ होगा उस मासूम को उस वक्त, कितना रोई होगी वो मासूम मगर उसकी दर्द भरी चीखें किसी ने न सुनी, अरे जब हम बड़े एक छोटी सी लाल चींटी के काटने कि वजह से तिलमिला जाते है। तो इस मासूम का क्या हाल हुआ होगा।

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  32. अति दुखद/ शर्मनाक.....

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  33. पढकर दुख हुआ । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  34. बहुत ही अच्छी मार्मिक पोस्ट,बधाई!

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  35. ये बुत ही शर्मनाक है ... कौन है ऐसे लोग ...

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  36. अरे दिंगम्बर जी, हमारा समाज भरा पड़ा है ऐसे लोगों से .... :(

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  37. शर्मनाक..... ...........

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