आज सुबह कपडों की अलमारी जमाते वक्त अचानक ही एक पुराने कोट पर नज़र जा पड़ी। जैसे ही उसे उठाया तो उसकी जेब से चंद सिक्के लुढ़ककर ज़मीन पर जा गिरे। कहने को तो वो सिक्के ही थे मगर उनके बिखराव ने मेरे मानस पटल पर ना जाने कितनी बीती स्मृतियों के रंग बिखेर दिये। सिक्कों को तो मैंने अपने हाथों से उठा लिया। मगर उन यादों को मेरी पलकों ने चुना और मेरी नज़र जाकर उस लाल कालीन पर अटक गयी।
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