Tuesday, 30 October 2012

अच्छा तो हम चलते हैं.....



हम तो चले परदेस हम परदेसी हो गये 
छूटा अपना देश हम परदेसी हो गये ....

ऐसा लगता है जैसे यह गीत मेरे लिए ही लिखा गया है हर साल डेढ़ साल में मुझे अपना घर अपना शहर छोड़कर किसी नई जगह जाना पड़ता है। पहले तो सिर्फ देश ही बदला था मगर उसके बाद से तो जैसे बंजारों सी हो गयी है ज़िंदगी, कभी इस शहर तो कभी उस शहर बस यही सिलसिला जारी है और अब इसी सिलसिले में फिर से एक नया शहर जुड़ गया है या यूं कहिये जहां से शुरुआत हुई थी अब शायद वापसी भी वहीं से हो या न भी हो, उस विषय में तो अभी कोई जानकारी नहीं है। मगर हाँ एक बार फिर शहर ज़रूर बदल गया है यानि वापस लंदन आप में से शायद बहुत से ऐसे लोगों हों जिन्हें यह पता न हो कि मैं फिलह मेंचेस्टर के पास (Macclesfield) मेकल्सफील्ड नामक स्थान पर रह रही थी और अब लंदन शिफ्ट हो गयी हूँ। यानि फिर नये सिरे से नये साल में एक तरह की नयी ज़िंदगी शुरू, नयी जगह, नया घर, नया ऑफिस, नया स्कूल, नये दोस्त, नये लोग, यानि कुल मिलकार सब कुछ नया-नया। अब तो बस हर बार की तरह इस बार भी एक ही दुआ है कि यह नयापन भी रास आ जाये सभी को और कुछ नहीं चाहिए। क्यूंकि क्या है न कि बड़े तो हर माहौल में खुद को ढाल ही लेते हैं। समस्या होती है बच्चे के साथ अचानक से सब दोस्त यार स्कूल सब छूट जाता है। ऐसे में हम बड़ों से ज्यादा बच्चों को परेशानी होती है। हांलांकी बच्चों की आपस में दोस्ती आसानी से हो जाती है यह एक बहुत अच्छी बात है। मगर फिर भी नयी जगह हिलने मिलने में थोड़ा तो समय सभी को लगता है।

इतने दिनों से बस घर जमाने में ही सारा समय निकल रहा था अब जाकर सब सेट हो गया है इसलिए आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हुआ है तो सोचा चलो और कुछ नहीं तो कम से कम सबको बता तो दूँ अब मैं लंदन आ गयी हूँ और जगह का नाम है हैरो (Harrow), सुना है यहाँ भी लंदन के अन्य स्थानों की तरह भारतीय लोगों की संख्या ज्यादा है हांलांकी पिछले एक हफ्ते के अनुभव के अनुसार मुझे यहाँ पाकिस्तानी और श्रीलंकन ही ज्यादा दिखाई दिये, खैर हो सकता है थोड़े और दिनों बाद और भी भारतीय लोगों से मिलना हो जाये। अब तक जहां भी मैं रही हूँ वहाँ भारतीय लोगों की संख्या लगभग ना के बराबर ही मिली है तो अब बहुत मन कर रहा है अपने लोगों के बीच रहने का हांलांकी मेंचेस्टर में भी बहुत भारतीय लोग हैं मगर हम जहां रहते थे वहाँ से रोज़-रोज़ तो मैंचेस्टर जाना भी सभव नहीं था इसलिए कभी-कभी लगता है कि कभी तो की हिंदीभाषी मिलें वरना यूं तो जिंदगी एक रूटीन की तरह अच्छे बुरे अनुभव के साथ चलती ही है। वैसे मैंने सोचा था शिफ्ट होने पहले इस विषय में एक पोस्ट लिखूँगी मगर सामान बांधने और सफाई के चक्कर में समय ही नहीं मिला क्यूंकि यहाँ तो मकान खाली करने से पहले चमकाना भी पड़ता है :) और सही सलामत भी वरना लेटिंग एजेंट के पास जमा की गयी जमा पूंजी में से सारा काफी बड़ी मात्रा में पैसा काट लिया जाता है।

यूं तो साफ सफाई हर रोज़ ही करनी पड़ती है घर की मगर जब घर बदलना होता है तब ऐसा लगता है बाप रे यहाँ गंदा है वहाँ गंदा है यह पहले क्यूँ नहीं दिखा क्यूंकि बहुत सी गंदगी पता नहीं कैसे और क्यूँ मकान खाली होने के बाद ही नज़र आती है :) वैसे यदि आपके पास पैसा ज्यादा हो तो उसका भी विकल्प है क्लीनर को बुलवा कर सफाई करवाना मगर वो बहुत ही ज्यादा महंगा उपाय है क्यूंकि अकेले कार्पेट क्लीनिंग के ही 50 पाउंड के ऊपर लग जाते हैं तो सोचिए ज़रा पूरे घर की क्लीनिंग के कितने लगते होंगे मगर अफसोस की इतनी मेहनत के बाद भी आप अपना ही पैसा काटने से बचा नहीं सकते क्यूंकि proffesional cleaning के जैसी सफाई अपने बस का काम नहीं और ना ही हम इतनी बारीकियों पर ध्यान ही दे पाते कि बिजली के खटके पर भी उँगलियो के निशान न बने सारे काँच के सामान भी हीरे की तरह दमकें, चिमनी बिलकुल नयी जैसी लगे वगैरा-वगैरा बड़ा ही मुश्किल काम है यहाँ घर बदलना एक रात पूरी जाती है साफ सफाई में और समान पैक करने में और कई दिन जाते हैं सारा समान नए घर में जमाने में कुल मिलकार थकान ही थकान, ऊपर से सबका स्कूल ऑफिस अलग, कि आराम करना भी चाहो तो नहीं मिल सकता। ऊपर से चाहे जितनी भी थकान हो मुझ से दिन में नहीं सोया जाता।

पिछले पाँच सालों में यह मेरा चौथा स्थानांतरण है नयी जगह के नए अनुभव अभी कुछ खास हुए नहीं है इसलिए फिलहाल और ज्यादा कुछ लिखने को भी नहीं है तो फिलहाल इजाज़त जल्द मिलेंगे फिर किसी नए विषय के साथ जय हिन्द ....

11 comments:

  1. तो अपना नम्बर भेजो/// नई जगह है नये लोगों से बात करो..वैसे लंदन में कविता वाच्कनवी, तजेन्दर जी, द ग्रेट ब्लागरानी शिखा वार्ष्णेय..और भी बहुत...बहुत तो हैम मिलो सबसे!! शुभकामनायें/...

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  2. सच में स्थान परिवर्तन में सबसे ज्यादा तकलीफ बच्चों को ही होती है | वो भी इतने कम समय में बार -बार स्कूल और माहौल बदले तो ......

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  3. नये स्थान के लिये शुभकामनायें, शीघ्र बस कर प्रवाह में रहें...

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  4. बहुत दिक्‍कत होती है इतनी जल्‍द स्‍थानांतरण होने से ..

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  5. ओह ... इस व्यथा को मैं समझ सकती हूँ, 7 सालों में 5 जगह शिफ्ट हुई

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  6. नए स्थान हेतु शुभकामनायें।

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  7. शुभकामनाओं के साथ नयी जगह सुखमयी हो,,,,,,

    RECENT POST LINK...: खता,,,

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  8. लन्दन में आपका स्वागत है. जब फुर्सत मिले फोन कर लेना.

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